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भारतीय अमेरिकियों के खिलाफ घृणा अपराध चिंताजनक हैं: प्रीत भरारा

भारत में जन्मे अमेरिका के पूर्व शीर्ष संघीय अभियोजक प्रीत भरारा ने भारतीय अमेरिकियों के खिलाफ घृणा अपराधों की बढ़ती घटनाओं को चिंताजनक बताया है और कहा है कि विश्वभर से सभी प्रवासियों को गले लगाने की अमेरिका की पुरानी परंपरा ही अमेरिका को महान बनाती है।
भारतीय अमेरिकियों के खिलाफ घृणा अपराध चिंताजनक हैं: प्रीत भरारा

भरारा ने कहा, ...अमेरिका कानूनों की ऐसी प्रणाली का निर्माण करता है... जिसमें समान अवसर के अधिकार की बात की गई है और जो इस अमेरिकी आदर्श को संजोए है कि हर बच्चा, चाहे वह गरीब हो, अनाथ हो या प्रवासी हो, वह उससे भी ऊंचा उठ सकता है जो उसके माता-पिता ने उसके बारे में कभी सोचा होगा।

उन्होंने कहा, हाल में हुई कुछ घटनाएं दर्दनाक एवं व्याकुल करने वाली रही हैं, उन पर ध्यान दिए जाने की आवश्यकता है। मैं उन मामलों की बात कर रहा हूं जिनमें प्रतीत होता है कि भारतीय अमेरिकियों को घृणा अपराध का निशाना बनाया गया है।

48 वर्षीय भरारा को पिछले महीने सदर्न डिस्टिक्ट ऑफ न्यूयार्क के अमेरिकी अटॉर्नी के पद से हटा दिया गया था जिसके बाद वह कल पहली बार सार्वजनिक रूप से सामने आए। कूपर यूनियन फॉर द एडवांस्मेंट ऑफ साइंस एंड आर्ट में यहां द जॉन जे इसेलिन मेमोरियल लेक्चर देते हुए भरारा ने करीब एक घंटे तक सभा को संबोधित किया।

भरारा ने 32 वर्षीय भारतीय इंजीनियर श्रीनिवास कुचिभोटला की कंसास में हुई हत्या के बारे में बात की। कुचिभोटला और उनके मित्र आलोक मदसानी को अमेरिकी पूर्व नौसैन्य कर्मी एडम पुरिंटन ने गोली मार दी थी।

उन्होंने कहा,  अन्य घटनाओं के अलावा मूर्खतापूर्ण हत्या की इस प्रकार की घटनाओं ने भारत में चिंता की लहर पैदा कर दी है। ऐसी रिपोर्ट हैं कि लोग अब छुट्टियां मनाने के लिए भी अमेरिका आने से डर रहे हैं। इससे मेरा मन दुखी होता है।

भरारा ने कहा, मेरी जन्मभूमि से अब बड़ी संख्या में लोग अमेरिका आने से डरते हैं। वे उस देश में आने से डरते हैं जिसने मुझे, मेरे परिवार को गले लगाया और हमें इतना कुछ दिया।

उन्होंने कहा कि कंसास की घटना में युवा अमेरिकी इयान ग्रिलॉट के रूप में एक आशा की किरण दिखती है जिसने पुरिंटन को रोकने की कोशिश की और इस दौरान घायल हो गया।

भरारा ने कहा, मैं इस देश में आव्रजन के भविष्य के बारे में नहीं जानता लेकिन मैं अमेरिका को उतना ही प्यार करता हूं जितना यहां जन्म लेने वाला कोई व्यक्ति करता होगा। मुझे जो मिला है, उसके लिए मैं कर्जदार महसूस करता हूं।

यूएस अटॉर्नी ऑफ न्यूयार्क का कार्यभार संभालना उनके और उनके परिवार के लिए क्या मायने रखता है, इस बारे में बताते हुए भरारा ने अपने माता-पिता की पंजाब से अमेरिका की यात्रा को याद किया जो बेहतर भविष्य एवं जीवन की उम्मीद में यहां आए थे।

भरारा ने अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा उन्हें बर्खास्त किए जाने को सोच समझकर उठाया गया कदम बताया उन्होंने राष्ट्रपति पद के चुनाव के बाद मैनहट्टन में ट्रंप टावर में ट्रंप और उनके बीच हुई बैठक का जिक्र करते हुए कहा कि ट्रंप ने उन्हें एक और कार्यकाल पूरा करने के लिए स्पष्ट रूप से कहा था और उन्होंने यह भी कहा था कि भरारा को सभी से यह कहना चाहिए कि ट्रंप चाहते हैं कि वे इस पद पर बने रहें।

48 वर्षीय भरारा ने कहा, इसके बाद सबको जाने देने का निर्णय लिया गया जिसे लेकर मुझे किसी से कोई शिकायत नहीं है। मैंने कहा कि मैं इस्तीफा नहीं दूंगा और मुझे बर्खास्त किया जाए, इसका एक कारण यह था कि मैं चाहता था कि रिकार्ड हमेशा यह दर्शाएं कि यह निर्णय सोच समझकर लिया गया था।

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