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परमाणु मुआवजे पर भारत के कदम का अमेरिका ने किया स्वागत

अमेरिका ने परमाणु क्षतिपूर्ति पूरक मुआवजा समझौते की भारत द्वारा अभिपुष्टि किए जाने का स्वागत करते हुए कहा है कि यह महत्वपूर्ण कदम भारत में परमाणु संयंत्रों के निर्माण में अमेरिकी कंपनियों की भागीदारी बढ़ाने में सहायक होगा।
परमाणु मुआवजे पर भारत के कदम का अमेरिका ने किया स्वागत

अमेरिकी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता जॉन किर्बी ने शुक्रवार को कहा, अमेरिका परमाणु क्षतिपूर्ति पूरक मुआवजा समझौता या सीएससी से जुड़ने के भारत के कदम का स्वागत करता है। उन्होंने कहा कि सीएससी में भारत की सदस्यता परमाणु उत्तरदायित्व व्यवस्था बनाने की दिशा में एक अन्य महत्वपूर्ण कदम है और यह आईएईए परमाणु सुरक्षा कार्य योजना के तहत जरूरी है। किर्बी ने कहा, इससे भारत में परमाणु संयंत्र स्थापित करने के लिए अमेरिका की कंपनियों की भागीदारी को बढ़ावा मिलेगा, जिससे भारतीयों को ज्यादा विश्वसनीय बिजली मिल सकेगी, भारी मात्रा में कार्बन वाले स्रोतों पर भारत की निर्भरता कम होगी, जिससे पर्यावरण को लाभ मिलेगा और इससे भारत को अपनी बढ़ती और विकसित होती अर्थव्यवस्था के लिए ज्यादा उर्जा सुरक्षा मिल सकेगी।

 

जब किर्बी से पूछा गया कि क्या इससे भारत-अमेरिका असैन्य परमाणु संधि के क्रियान्वयन में मदद मिलेगी, तो उन्होंने कहा, हमारा मानना है कि यह वैश्विक परमाणु उत्तरदायित्व व्यवस्था बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है और इससे भारत में परमाणु बिजली के इस्तेमाल को विस्तार देने में अंतरराष्ट्रीय सहयोग को बढ़ावा मिलेगा। इसी बीच, भारतीय-अमेरिकी असैन्य परमाणु संधि के विभिन्न पहलुओं से जुड़े रहे निजी क्षेत्र के एक प्रतिष्ठित भारतीय-अमेरिकी विशेषज्ञ ने इसे अहम उपलब्धि बताया है। अमेरिका-भारत परमाणु समझौते के विशेषज्ञ विजय साजावल कहा, यह एक बड़ी उपलब्धि है। भारत ने यह संकल्प लिया था। इस अहम कदम से व्यावसायिक आपूर्तिकर्ताओं को भारत के साथ अपनी परमाणु संधियां करने में मदद मिलेगी और यदि दोनों अमेरिकी कंपनियां इस पर आगे बढ़ती हैं, तो इससे कम से कम 12 हजार मेगावॉट बिजली का उत्पादन होगा।

 

 

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