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22 जुलाई 2024 · JUL 24 , 2024

फिल्म/केरल से कान: मलयाली औरतों का झंडा

हाल में कान महोत्सव में दक्षिण के इस राज्य ने जता दिया कि महिलाओं को साथ लेकर कैसे आगे बढ़ा जाता है
जलवाः कान में पायल कपाड़िया टीम के साथ

अपनी व्यावसायिक फिल्मों की लोकप्रियता के लिए मशहूर मलयाली फिल्मकार अंजलि मेनन ने हाल ही में मलयाली सिनेमा में औरतों की नुमाइंदगी पर एक अहम सवाल उठाया है। बीते एक साल से मलयाली सिनेमा उद्योग लगातार एक पर एक हिट देता जा रहा है और दूसरी भाषाओं व राज्यों से भी खूब मुनाफा कमा रहा है। ऐसे में अं‍जलि मलयाली सिनेमा में पुरुषों के वर्चस्व और औरतों के कम प्रतिनिधित्व पर सवाल खड़ा करती हैं। मसलन, हालिया हिट फिल्में मंजुम्मे‍ल बॉएज और आवेशम पूरी तरह से पुरुषों की दुनिया, उनके रोमांचकारी साहस, दोस्ताने आदि पर केंद्रित है, जिसमें महिलाओं को दोयम किरदारों में दर्शाया गया है।

कानी कुश्रुति

अंजलि मेनन के सवाल ने सोशल मीडिया पर चर्चा छेड़ दी है और यह बात उभरकर सामने आ रही है कि ऐतिहासिक रूप से औरतों को केवल हीरो की प्रेमिका, पत्नी, मां या बहन की भूमिकाओं तक सीमित रखा गया था जो उसी के बुने अफसाने को पुष्ट करती रही थीं। 2023 के बाद से लगातार हिट हुई फिल्मों में यह बहस फिर उठ खड़ी हुई है। इसने सिने उद्योग में लैंगिकता के इस सवाल को पड़ताल के दायरे में ला दिया है।

अंजलि के सवाल उठाने के कुछ दिन बाद ही इसका जवाब भी आ गया, ‘‘मलयाली सिनेमा में औरतें कहां हैं? वे कान में नाच रही हैं।’’ सोशल मीडिया पर पायल कपाडि़या की फिल्म ऑल वी इमेजिन ऐज लाइट की कामयाबी की चौतरफा चर्चा है, जिसे कान फिल्म समारोह में ग्रां प्री ज्यूरी का पुरस्कार मिला है। यह फिल्म दो मलयाली नर्सों अनु और प्रभा की जिंदगी के संघर्ष पर केंद्रित है, जो मुंबई के एक अस्पताल में काम करती हैं और एक तंग अपार्टमेंट में रहती हैं। बजबजाते हुए महानगर में उनकी रोजमर्रा की जिंदगी की चुनौतियों, उनकी आंतरिक यात्रा और कामयाबियों पर यह फिल्म नजर डालती है।

नाम रोशनः कान में पुरस्कृत फिल्म ऑल वी इमेजिन ऐज लाइट फिल्म के दृश्य

नाम रोशनः कान में पुरस्कृत फिल्म ऑल वी इमेजिन ऐज लाइट फिल्म के दृश्य

दोनों नर्सों की भूमिका निभाने वाली कानी कुश्रुति और दिव्या प्रभा के लिए सोशल मीडिया पर बधाइयों का तांता लगा हुआ है। मलयाली सिनेमा में महिला किरदारों के प्रदर्शन के बरअक्स यह कामयाबी का एक जश्न बन गया है। अंजलि मेनन के सवाल के जवाब में लोग सोशल मीडिया पर कान की कामयाबी की कहानी सुना रहे हैं कि कैसे मलयाली अभिनेत्रियां कान में नाच रही हैं, लाल कालीन पर चल रही हैं और इतिहास में अपना नाम दर्ज करवा रही हैं।

इस फिल्म को पाम डीओर की प्रतिस्पर्धी श्रेणी में चुन लिया गया था, इसलिए ग्रां प्री मिलने से पहले ही जश्न चालू हो चुका था। बीते 23 मई को फिल्म के प्रीमियर के दौरान कुश्रुति लाल कालीन पर जब दिखीं, तो उनके हाथ में तरबूज की एक फांक के रंग और आकृति वाला पर्स था, जिसे फलस्तीनी प्रतिरोध का प्रतीक माना जाता है। दुनिया भर में लोग फलस्तीन के साथ एकजुटता दिखाने के लिए इस प्रतीक का इस्तेमाल करते हैं, जो फलस्तीन के झंडे के जैसा है।

इस प्रतीक के प्रयोग का इतिहास 1967 में हुए छह दिन के युद्ध तक जाता है, जब इजरायल ने गाजा, वेस्ट बैंक और पूर्वी यरूशलम कब्जे में लिया था। उसने फलस्तीन के झंडों के प्रदर्शन पर बंदिश लगा दी थी। इसके बाद फलस्तीनियों ने वैकल्पिक रास्‍ता निकाला। उन्होंने तरबूज को झंडे का प्रतीक बना दिया। क्योंकि उसका लाल, हरा और सफेद रंग फलस्तीनी झंडे के रंगों जैसा था। इस तरह बड़े महीन ढंग से फलस्तीनियों ने अपनी राष्ट्रीय पहचान को कायम रखा।

कानी कुश्रुति को केरल में राजनीतिक बयानों के लिए जाना जाता है। वे दक्षिणपंथ-विरोधी और फलस्तीन समर्थक हैं। आम तौर से मलयाली अदाकार राजनीतिक बयान देने से बचते हैं। इसके उलट कानी अपनी राजनीतिक आस्थाओं और मानवीय संबंधों पर काफी मुखर हैं। उनके माता-पिता मैत्रेय और डॉ. जयश्री केरल के मशहूर फेमनिस्ट कार्यकर्ता हैं। कानी को स्वतंत्र वैचारिक परिवेश में पाला पोसा गया है।

नाम रोशनः कान में पुरस्कृत फिल्म ऑल वी इमेजिन ऐज लाइट फिल्म के दृश्य

नाम रोशनः कान में पुरस्कृत फिल्म ऑल वी इमेजिन ऐज लाइट फिल्म के दृश्य

डॉक्टकर या शिक्षक बनने के बजाय कानी ने पेशे के रूप में रंगमंच को चुना। रंगमंच से शुरुआत कर कानी ने फिल्म उद्योग में अपनी पहचान बनाई है।  उन्हें केरल राज्य फिल्म समारोह 2020 में फिल्म बिरयानी के लिए सर्वश्रेष्ठ अभिनेत्री का पुरस्कांर मिला था। इसे सजिन बाबू ने निर्देशित किया था। इसके अलावा, मॉस्को अंतरराष्ट्रीय फिल्म समारोह में इसी किरदार के लिए उन्हें सर्वश्रेष्ठ अभिनेत्री का सम्मान मिला।

कानी और दिव्या दोनों ने कुछ समय तक टेलीविजन में काम किया है। दोनों ईश्वरन साक्षी नाम के सीरियल में काम कर चुकी हैं। इसके 150 एपिसोड प्रसारित हुए थे। दिव्या को इस फिल्म में शानदार अभिनय के लिए 2016 के स्टेट टेलीविजन अवॉर्ड में सर्वश्रेष्ठ सहायक अभिनेत्री का पुरसकार मिला था। दिव्या को 2022 में लोकार्नो फिल्म समारोह में मलयाली फिल्म अरियप्पु के लिए अंतरराष्ट्रीय प्रतिस्पर्धा श्रेणी में सर्वश्रेष्ठ अभिनेत्री के लिए नामित किया गया था। यह फिल्म महेश नारायणन ने निर्दशित की थी।

कानी रंगमंच की दीवानी थीं, तो दिव्या अप्रत्याशित रूप से फिल्मों में चली आईं। कोच्चि में एक सुबह 2013 में टहलते हुए उन्होंने एक फिल्म की शूटिंग देख ली। वहीं से उनका मन फिल्मों की ओर मुड़ा। भीड़ के बीच शूटिंग देखने के दौरान क्रू में से किसी का ध्यान उन पर गया और उसने उन्हें छोटा सा किरदार निभाने की पेशकश की। उस वक्त वे एक निजी कंपनी में नौकरी करती थीं। दिव्या ने एक दिन की छुट्टी लेकर फिल्म में काम किया। उन्हें नहीं पता था कि इसके बाद उनकी किस्मत बदलने वाली है। वह सुपरस्टार मोहनलाल की ऐक्शन मूवी लोकपाल थी। इस तरह दिव्या बिजनेस मैनेजमेंट का करियर छोड़कर फिल्मों में आईं।

नाम रोशनः कान में पुरस्कृत फिल्म ऑल वी इमेजिन ऐज लाइट फिल्म के दृश्य

नाम रोशनः कान में पुरस्कृत फिल्म ऑल वी इमेजिन ऐज लाइट फिल्म के दृश्य

इसी तरह ऑल वी इमेजिन ऐज लाइट की निर्देशक पायल कपाडि़या का भी सफर रहा। उनकी भी सिनेमा की कोई पृष्ठभूमि नहीं थी। वे छात्र नेता थीं। पुणे के फिल्म और टीवी संस्थान में 2015 में गजेंद्र चौहान को चेयरमैन बनाए जाने के विरोध में जो आंदोलन चला, उसमें वे प्रमुख भूमिका में थीं। उन्होंने आंदोलन में मुख्य भूमिका निभाई। पायल कपाडि़या वहां छात्रों के 131 दिन चले लंबे प्रदर्शन का अहम हिस्सा रहीं। उस दौरान छात्रों को काफी परेशानी का सामना करना पड़ा लेकिन पायल ने फिर भी न आंदोलन छोड़ा न परेशान हुईं और छात्रों के साथ लगातार खड़ी रहीं। इसके लिए उनके और दूसरे छात्रों के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई भी हुई। तत्कालीन एफटीआइआइ निदेशक प्रशांत पाथराबे के खिलाफ धरना देने के आरोप में जिन 35 छात्रों पर एफआइआर हुई, उनमें पायल भी एक थीं। इसके बाद संस्थान ने कपाडि़या सहित कई छात्रों का वजीफा रोक लिया।

इन चुनौतियों के बावजूद पायल कपाडि़या ने हार नहीं मानी और अपना पहला वृत्तचित्र बनाया। उनका बनाया गया पहला वृत्तचित्र फिल्म अ नाइट फॉर नोइंग नथिंग 2021 के कान फिल्म समारोह में गया और उसने ‘गोल्डपन आइ’ पुरस्कार जीता।

 

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