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भारतीय शतरंज की यात्रा खेल खोजने से लेकर राज करने तक का सफर

वर्तमान समय में शतरंज की दुनिया में भारतीय ध्वज शान से लहरा रहा है, शतरंज में भारत के लिए मील का पत्थर रहे घटनाक्रम इस प्रकार हैं
शह-मातः प्रज्ञानानंद ने फिडे विश्वकप फाइनल में कार्लसन को कड़ी टक्कर दी

600 ईस्वी

भारत में शतरंज की शुरुआत हुई। पहले चतुरंगा नाम से जाना जाता था। बाद में ईरान में नियमों में कुछ बदलाव के साथ, इसे शतरंज कहा गया। 1500 ईस्वी आते-आते शतरंज का वह स्वरूप बना जो वर्तमान में दिखाई देता है।

1924

शतरंज को नियंत्रित करने वाली संस्था फिडे का गठन पेरिस में आयोजित हुए पहले अनौपचारिक शतरंज ओलंपियाड के दौरान हुआ। इसकी नींव का आधार विश्व बंधुत्व है।

1955

भारत को पहला राष्ट्रीय विजेता रामचंद्र सप्रे के रूप में मिला।

1956

भारत ने पहली बार मॉस्को में आयोजित शतरंज ओलंपियाड में हिस्सा लिया। टीम में रामदास, बीपी महालस्कर, एस. वेंकटरमन, आर.बी. सप्रे शामिल रहे।

1961

मैनुअल आरोन भारत के पहले अंतरराष्ट्रीय मास्टर बने। उन्होंने 9 बार भारतीय राष्ट्रीय शतरंज चैंपियनशिप जीतकर कीर्तिमान स्थापित किया।

1980

भोपाल निवासी रफीक खान रजत पदक जीतकर पहले भारतीय शतरंज ओलंपियाड मेडलिस्ट बने।

1987

विश्वनाथन आनंद वर्ल्ड जूनियर चेस चैंपियनशिप जीतने वाले पहले भारतीय बने।

1988

विश्वनाथन आनंद पहले भारतीय ग्रैंडमास्टर बने। इसके साथ ही उन्हें पद्मश्री से सम्मानित किया गया।

1995

विश्वनाथन आनंद ने विश्व चैंपियनशिप फाइनल मुकाबले में गैरी कास्परोव का सामना किया। अच्छी शुरुआत के बावजूद आनंद मुकाबले में पराजित हुए।

चेस ग्राफिक

2000

एस. विजयलक्ष्मी पहली भारतीय महिला अंतरराष्ट्रीय मास्टर बनीं।

2001

विजयलक्ष्मी पहली भारतीय महिला ग्रैंडमास्टर बनीं।

2002

कोनेरू हंपी 15 साल,1 महीने और 27 दिन की आयु में सबसे युवा महिला ग्रैंडमास्टर बनीं। उन्होंने जुडित पोलगार के रिकॉर्ड को ध्वस्त किया।

2007

विश्वनाथन आनंद विश्व चैंपियन बने।

2012

भारत ने पहली बार दृष्टिबाधित शतरंज ओलंपियाड चेन्नै में आयोजित किया।

2016

प्रज्ञानानंद 10 साल,10 महीने और 19 दिन की आयु में शतरंज इतिहास के सबसे युवा अंतरराष्ट्रीय मास्टर बने।

2018

प्रज्ञानानंद 12 साल 10 महीने और 13 दिन की आयु में ग्रैंडमास्टर बने।

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