Advertisement
27 मई 2024 · MAY 27 , 2024

शतरंज: बिसात पर भारत की धाक

देश के प्रतिभावान खिलाड़ी इस खेल में अपनी प्रतिभा का लोहा मनवा रहे हैं और नई-नई प्रतिभाओं की आमद हो रही है
गुकेश (बाएं) और अर्जुन एरिगैसी

शतरंज में भारत की धाक और साख दिनोदिन बढ़ रही है। काले-सफेद 64 खानों में सिमटी इस दुनिया में भारत की उम्मीदों का सारा दारोमदार युवा खिलाड़ियों के कंधों पर है। पिछले दो दशकों में विश्वनाथन आनंद की शतरंज जादूगरी अब भारतीय युवाओं में फल-फूल रही है। 2013 में, मैग्नस कार्लसन चेन्नै में जब विश्वनाथन आनंद को हराकर नए विश्व शतरंज चैंपियन बने थे, तब उसी शहर का एक और सात वर्षीय लड़का खेलना शुरू कर रहा था। उसे इस बात का अंदाजा तक नहीं था कि एक दिन वह भी इतिहास रचेगा। 11 साल बाद, उसी लड़के ने अब शतरंज में आनंद के बाद एक और नए युग की शुरुआत कर दी है। कार्लसन की उस विजय को खेल के महान खिलाड़ी गैरी कास्परोव ने ‘शतरंज में एक नए युग’ की शुरुआत कहा था। अब एक दशक से भी ज्यादा समय के बाद, डी गुकेश ने फिडे कैंडिडेट्स 2024 जीत कर रूसी ग्रैंडमास्टर की उस टिप्पणी को चर्चा में ला दिया है।

गुकेश ने जीत कर इतिहास के पन्नों पर अपना नाम तो लिखवाया ही, साथ ही विश्व को एक बार फिर हिंदुस्तान की प्रतिभा से परिचय करा कर हैरान कर दिया। हालांकि, भारत में इस जीत पर कम ही लोग चौंके क्योंकि भारत दक्षिण की काबिलियत से भली भांति परिचित है। माना भले ही जाता रहा हो कि शतरंज का विकास भारत में हुआ और इसे पहले ‘चतुरंग’ नाम से जाना जाता था। लेकिन पारंपरिक रूप से सोवियत संघ (अब रूस) का दबदबा इस खेल में हमेशा रहा। अब हाल के दिनों में, भारतीय शतरंज के खिलाड़ियों ने इस खेल में खलबली मचाई है। इस समय दुनिया में सबसे अस्थिर बात भारत का ‘नंबर 1 शतरंज खिलाड़ी’ है। साल के शुरुआती चार महीनों में, लाइव रेटिंग में भारत के शीर्ष रैंक वाले शतरंज खिलाड़ी की स्थिति लगातार पांच खिलाड़ियों- विश्वनाथन आनंद, गुकेश, प्रगनानंद, अर्जुन एरिगैसी और विदित गुजराती के बीच बदलती रही है। दूसरे शब्दों में कहा जाए, तो वास्तव में शतरंज की दुनिया में यह भारत का समय है। जैसा कि कास्परोव कहते हैं, ‘‘विषी आनंद के ‘बच्चे’ आजाद हैं!’’ एक नजर उन बच्चों पर जिन्होंने दुनिया में भारत का डंका बजा दिया है।

डोम्माराजू गुकेश

फिडे कैंडिडेट्स 2024 में जीत। गुकेश अब कास्परोव के पांच साल के जीत के रिकॉर्ड को तोड़कर सबसे कम उम्र के कैंडिडेट विजेता बन गए हैं। चेन्नै में जन्मे विलक्षण प्रतिभा के धनी गुकेश ने केवल 12 साल की उम्र में भारत के सबसे कम उम्र और दुनिया के दूसरे सबसे कम उम्र के ग्रैंडमास्टर बनने का गौरव हासिल किया। गुकेश वर्तमान में दुनिया के तीसरे सबसे कम उम्र के ग्रैंडमास्टर हैं। 2022 में, उन्होंने 2700 की लाइव फिडे रेटिंग हासिल की और वह ऐसा करने वाले चौथे सबसे कम उम्र के खिलाड़ी थे। पिछले साल, गुकेश ने भारत के शीर्ष रेटेड खिलाड़ी के रूप में आनंद के 37 साल के शासन को भी समाप्त कर दिया। किसी ने नहीं सोचा था कि कैंडिडेट्स में फ़ेबियानो कारूआना, हिकारू नाकामुरा और इयान नेपोमनियाचची जैसे शीर्ष खिलाड़ियों के साथ लड़ाई में एक 17 वर्षीय भारतीय खिलाड़ी प्रतिष्ठित खिताब पर कब्जा करेगा। साल के अंत में एक और ‘सबसे कम उम्र’ का खिताब उनका इंतजार कर रहा है, जब गुकेश अब तक के सबसे कम उम्र के विश्व चैंपियन बनने के लिए मौजूदा विश्व चैंपियन चीन के डिंग लिरेन का सामना करेंगे।

रमेशबाबू प्रज्ञानंद

आर. प्रज्ञानंद को इस साल के कैंडिडेट्स में भारत के सर्वश्रेष्ठ खिलाड़ी के रूप में देखा गया। वह शतरंज के इतिहास में सबसे कम उम्र के अंतरराष्ट्रीय मास्टर थे। यह खिताब उन्होंने केवल 10 साल की उम्र में हासिल किया था। 12 साल की उम्र में, वह ग्रैंडमास्टर खिताब का दावा करने वाले (गुकेश के बाद) देश के दूसरे सबसे कम उम्र के खिलाड़ी बन गए थे। प्रज्ञानंद ने पिछले साल अजरबैजान के बाकू में फिडे शतरंज विश्व कप के फाइनल में पहुंचकर अपनी प्रतिभा का लोहा मनवाया था। फाइनल में द ग्रेट मैग्नस कार्लसन द्वारा हारने से पहले हिकारू नाकामुरा, फैबियानो कारूआना उन दिग्गजों में से थे जिन्हें प्रज्ञानंद ने परास्त किया था। इस कैंडिडेट्स में, प्रज्ञानंद को 50 प्रतिशत अंक के साथ संतोष करना पड़ा। हालांकि, चेन्नई के इस सपूत को खूब वाहवाही मिली। दुनिया भर के शतरंज प्रशंसक उससे बेहतर होने की उम्मीद कर रहे हैं।

विदित गुजराती

विदित गुजराती

कैंडिडेट्स में ओपन कैटेगरी के लिए क्वालिफाई करने वाली भारतीय तिकड़ी की अनुभवी सदस्य विदित गुजराती 29 साल के हैं। इस उम्र में उन्हें ‘चाइल्ड प्रोडिजी’ तो नहीं कहा जा सकता लेकिन उनका उत्कृष्ट खेल ध्यान आकृष्ट करता है। इस समय वह भारत के शीर्ष शतरंज खिलाड़ियों में से एक हैं। टूर्नामेंट में वर्ल्ड नंबर 3 नाकामुरा और वर्ल्ड नंबर 4 अलीरेजा फिरोजा पर जीत से पता चला है कि नासिक में जन्मे ग्रैंडमास्टर कठिनाइयों को आसानी से पार कर सकते हैं। विदित इस साल की शुरुआत में, कुछ समय के लिए भारत के शीर्ष क्रम के खिलाड़ी रहे। गुजराती ने अपना पहला विश्व कप 2015 में खेला जहां वह पहले दौर से आगे नहीं बढ़ सके। 2017 और 2019 में वह इवेंट के तीसरे राउंड तक पहुंचे। इसके बाद उन्होंने पिछले साल नवंबर में प्रतिष्ठित फिडे ग्रैंड स्विस टूर्नामेंट जीतकर कैंडिडेट्स टूर्नामेंट के लिए अपना टिकट बुक किया। यहां वह छठे स्थान पर रहे।

अर्जुन एरिगैसी

एक समय विश्वनाथन आनंद की टक्कर का कोई दूसरा खिलाड़ी भारत में नहीं था। धीरे-धीरे जिन खिलाड़ियो ने आनंद के नक्शे-कदम पर चलना शुरू किया उनमें 20 वर्षीय अर्जुन एरिगैसी भी हैं। भारतीय शतरंज ग्रैंडमास्टर एरिगैसी ने 14 साल, 11 महीने, 13 दिन की उम्र में यह खिताब हासिल किया था। कम उम्र में ग्रैंडमास्टर का खिताब हासिल करने वाले वे 32वें खिलाड़ी और भारत के 54वें ग्रैंडमास्टर हैं। 2022 में इंडियन नेशनल चैंपियनशिप जीती। डी गुकेश और अर्जुन एरिगैसी ने मई 2024 में फिडे रेटिंग सूची में नया रिकॉर्ड बनाया। दोनों की जोड़ी नवंबर 2016 के बाद प्रकाशित रेटिंग सूची के विश्व शीर्ष 10 में जगह बनाने वाली पहली भारतीय जोड़ी बनी।

 शतरंज की ‘रानियां’

कोनेरू हम्पी

कोनोरू हम्पी

37 साल की उम्र में भी नई पीढ़ी के खिलाड़ियों के बीच जगह बनाई हुई है। यह अनुभवी ग्रैंडमास्टर टोरंटो में महिला कैंडिडेट्स टूर्नामेंट में उपविजेता रही थीं। 1987 में आंध्र प्रदेश के गुडीवाड़ा में जन्मी हम्पी शतरंज की सनसनी कही जाती थीं। 2002 में केवल 15 साल की उम्र में ग्रैंडमास्टर खिताब हासिल करने वाली सबसे कम उम्र की महिला बन गई थीं। हम्पी ने 1997 में विश्व युवा शतरंज चैंपियनशिप में तीन स्वर्ण पदक जीतकर इतिहास रच दिया। 2000 और 2002 में ब्रिटिश महिला चैंपियनशिप जीती। 20 साल की उम्र में 2600 रैंकिंग पार कर विश्व चैंपियन जूडिथ पोल्गर के बाद दूसरी महिला खिलाड़ी बनीं। उन्होंने 2020 में ऑनलाइन शतरंज ओलंपियाड में विजयी भारतीय टीम के एक प्रमुख सदस्य के रूप में भूमिका निभाई।

वैशाली रमेश बाबू

वैशाली

आधिकारिक तौर पर अंतरराष्ट्रीय शतरंज महासंघ, फिडेक द्वारा ग्रैंडमास्टर की उपाधि से वैशाली को सम्मानित किया गया है। कोनेरू हम्पी और हरिका द्रोणावल्ली के बाद यह उपाधि पाने वाली वैशाली तीसरी भारतीय महिला ग्रैंडमास्टर हैं। यह उपाधि इसलिए भी खास है क्योंकि वैशाली और उनके भाई, रमेशबाबू प्रगनानंद, दुनिया की पहली ग्रैंडमास्टर भाई-बहन की जोड़ी बन गई है। 2018 में, 13 साल की उम्र में, प्रगनानंद ने ग्रैंडमास्टर की उपाधि हासिल की। 2015 में, वैशाली ने अंडर-14 लड़कियों की श्रेणी में एशियाई युवा शतरंज चैंपियनशिप जीतकर अंतरराष्ट्रीय शतरंज क्षेत्र में अपनी उपस्थिति दर्ज कराई। बाद में वैशाली ने इंटरनेशनल मास्टर (आईएम) की उपाधि भी हासिल की।

हरिका द्रोणावल्ली

हरिका द्रोणावल्ली

12 जनवरी 1991 को आंध्र प्रदेश के गुंटूर में जन्मी हरिका द्रोणावल्ली का शतरंज का सफर पिता के मार्गदर्शन में, पांच साल की उम्र में ही शुरू हो गया था। 2008 में हर बाधा को पार करते हुए ग्रैंडमास्टर का खिताब हासिल करने वाली सबसे कम उम्र की महिला बनीं। अब ग्रैंडमास्टर कोनेरू हम्पी और आर वैशाली के साथ हरिका द्रोणावल्ली 2024-2025 फिडे महिला ग्रां प्री सीरीज में भारत का नेतृत्व करेंगी। अंतरराष्ट्रीय मंच पर लगातार द्रोणावल्ली का शानदार सफर जारी रहा। उन्होंने दुनिया के सर्वश्रेष्ठ शतरंज खिलाड़ियों के सामने अपनी काबिलियत साबित की। उनकी रणनीतिक चालों का लोहा उनके विरोधी भी मानते हैं।

 

Advertisement
Advertisement
Advertisement