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जनादेश ’23/छत्तीसगढ़: किस्सा कुर्सी का

दोनों दलों को एक-तिहाई बहुमत की आस, कौन जीतेगा मतदाता का विश्वास
मत की ताकतः फायदे-नुकसान का गणित

छत्तीसगढ़ में 17 नवंबर को दूसरे चरण के मतदान के बाद कांग्रेस आश्वस्त है कि सत्ता में उसकी वापसी हो रही है। शायद यही वजह है कि अगले ही दिन उप-मुख्यमंत्री टी.एस. सिंहदेव ने मुख्यमंत्री बनने की इच्छा सार्वजनिक कर दी है।  उन्हें उम्मीद है कि पार्टी दो-तिहाई बहुमत के साथ सरकार बना रही है और अगर कप्तानी का मौका मिलेगा तो करेंगे। सिंहदेव के इस बयान से ऐसी अटकलें चल पड़ी हैं कि 3 दिसंबर को नतीजों के बाद किस्सा कुर्सी का खुलकर दिखेगा। खबर है कि दूसरे चरण का चुनाव प्रचार थमने के बाद अचानक पार्टी आलाकमान के बुलावे पर सिंहदेव दिल्ली पहुंचे थे।

राज्य में चुनाव पूर्व ज्यादातर जनमत सर्वेक्षण कांग्रेस की सरकार बनाते नजर आए मगर कुछ में भाजपा को 29 से ज्यादा सीटों पर और फिलहाल 71 विधायकों वाली कांग्रेस को सिर्फ 32 सीटों पर आगे बताया है। बाकी जगह टक्कर है, हालांकि दोनों ही दल जीत का दावा कर रहे हैं।

मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने एक पोस्ट में लिखा, "मैंने पहले भी कहा था “षड्यंत्र” रचा जाता है, भरोसा जीता जाता है। छत्तीसगढ़ की जनता ने जो आशीर्वाद दिया है उसके आगे हम सब नतमस्तक हैं। प्रदेश की जनता ने “नकारात्मकता” को छोड़ “सकारात्मकता” को चुना है। नई सरकार के साथ छत्तीसगढ़ के सांस्कृतिक उत्थान और जनसमृद्धि का दूसरा चरण शुरू होगा।"

उधर भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष अरुण साव ने सोशल प्लेटफार्म पर लिखा, "प्रदेश में भारी बहुमत से भाजपा की सरकार बन रही है और इसके लिए जनता-जनार्दन का बहुत-बहुत धन्यवाद। आप सबने लंबी-लंबी लाइन लगाकर परिवर्तन के लिए वोट किया है। माताओं-बहनों ने मतदान को लेकर विशेष उत्साह दिखाया है। छत्तीसगढ़ फिर से विकास की दिशा में तेज गति से दौड़ने लगेगा।"

इन सबके बीच ऊपरी तौर पर जो चीजें नजर आ रही हैं वे कुछ अलग हैं। दो करोड़ से अधिक वोटरों वाले राज्य में इस बार राज्य में ग्रामीण क्षेत्रों में मतदान का प्रतिशत बढ़ा है। माना जा रहा है कि मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की कर्जमाफी की घोषणा ने असर दिखाया है। राजनीतिक गलियारे में मोटे तौर पर जो बात चल रही है उसके आधार पर कहा जा रहा है कि भाजपा और कांग्रेस के अलावा प्रदेश में कई छोटी-छोटी पार्टियां भी मैदान में हैं, जिन्हें नजरअंदाज नहीं किया जा सकता है। इनमें छत्तीसगढ़ जनता कांग्रेस, आम आदमी पार्टी, शिवसेना, एनसीपी, समाजवादी पार्टी, हमर राज पार्टी समेत अनेक क्षेत्रीय पार्टियों के साथ कई लोग चुनावी मैदान में उतरे हैं जो कि कई सीटों पर बना-बनाया खेल बिगाड़ने में बहुत ज्यादा सक्षम नजर आ रहे हैं। जोगी कांग्रेस ने लगभग 79 प्रत्याशी मैदान में उतार दिए हैं जिसमें कोटा से रेणु जोगी और अकलतरा से ऋचा जोगी शामिल हैं। सराईपाली से कांग्रेस के विधायक किस्मतलाल नंद, पामगढ़ में कांग्रेस से पिछली बार चुनाव लड़ने वाले गोरेलाल बर्मन जोगी कांग्रेस में आ गए हैं। गोरेलाल बर्मन पिछली बार महज 3000 वोट से हारे थे। वहीं आम आदमी पार्टी ने 50 के ऊपर उम्मीदवार उतारे हैं।

वोटर खामोश है, लेकिन हो सकता है कि धान बेचने वाले किसानों और महिला वर्ग ने पिछली सरकार की योजनाओं को ध्यान में रखकर अपना नफा-नुकसान देख कर वोट डाला हो।

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