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... तो कांस्य जीत जाती दीपा कर्मकार

अगर एक रूसी हैकिंग समूह पर भरोसा करें तो विश्व की एंटी डोपिंग रोधी एजेंसी वाडा ने दुनिया के चोटी के खिलाड़ियों को प्रतिबंधित दवाएं लेने की इजाजत दे रखी है जिसके कारण ऐसी दवाएं नहीं लेने वाले ईमानदार खिलाड़ियों को हार का सामना करना पड़ता है। अभी खत्म हुए रियो ओलंपिक खेलों में भारत को भी ऐसे दो खिलाड़ियों के कारण कम से कम दो मेडल गंवाने पड़े हैं। इनमें ऐतिहासिक प्रदर्शन करने वाली जिम्नास्ट दीपा कर्ममार भी शामिल हैं जो चौथे स्‍थान पर रही थीं।
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दरअसल रूसी हैकरों के समूह फैंसी बियर्स ने वाडा के सर्वर को हैक कर उनके कंप्यूटर से दुनिया के शीर्ष खिलाड़ियों से जुड़े दस्तावेज चुराए हैं और इन दस्तावेजों के आधार पर दावा किया है कि टेनिस की विलियम्स बहनों, दुनिया की शीर्ष जिमनास्ट सिमोन बाइल्स समेत कई खिलाड़ियों को वाडा ने प्रतिबंधित दवाएं लेने की इजाजत दे रखी है। बाइल्स ही वह खिलाड़ी हैं जिन्होंने ओलंपिक की वाल्ट स्पर्धा में स्वर्ण पदक जीता था। अगर बाइल्स को प्रतिबंधित दवा लेने की इजाजत नहीं दी गई होती तो इस स्पर्धा में चौथे स्‍थान पर रहीं दीपा पदक तालिका में शामिल होतीं।

फैंसी बियर्स की वेबसाइट पर डाले गए दस्तावेजों के अनुसार सेरेना विलियम्स को वाडा ने 2010, 14 और 15 में प्रतिबंधित दवा ऑक्सीकोडोन, हाइड्रोमोर्फान, प्रेडनिसोन और मिथाइलप्रेडनिसोलोन के इस्तेमाल का दोषी पाया था मगर कोई कार्रवाई नहीं की गई। इसी प्रकार वीनस विलियम्स को 2010, 11, 12 और 13 में प्रेडनिसोन, प्रेडनिसोलोन और ट्राइमाइसिनोलोन तथा अन्य दवाएं देने का दोषी पाया था। इस पर भी कोई कार्रवाई नहीं की गई। वीनस विलियम्स ने अपने अमेरिकी जोड़ीदार राजीव राम के साथ मिलकर रियो खेलों में टेनिस के मिश्रित युगल मुकाबले में भारतीय जोड़ी रोहन बोपन्ना और सानिया मिर्जा को सेमीफाइनल में हराया था और बाद में रजत पदक जीता था।

जहां तक बाइल्स का सवाल है तो उन्होंने रियो खेलों में चार स्वर्ण पदक जीते हैं। कमाल की बात है कि वाडा ने इसी अगस्त महीने में जांच में उन्हें मिथाइलफेनिडेट नामक प्रतिबंधित दवा लेने का दोषी पाया था मगर उसपर कोई कार्रवाई नहीं की। यही नहीं वर्ष 2013 और 14 में भी उन्हें प्रतिबंधित दवा के सेवन का दोषी पाया गया था।

इस बारे में अंतरराष्ट्रीय जिम्नास्टिक्स फेडरेशन और टेनिस फेडरेशन का कहना है कि इन खिलाड़ियों को वाडा के नियमों के तहत ही प्रतिबंधित दवा के सेवन की इजाजत दी गई है। दरअसल वाडा के नियमों के अनुसार यदि किसी खिलाड़ी को किसी बीमारी के ‌इलाज के लिए ये दवाएं देना आवश्यक हो तो वाडा उनके खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं कर सकता। नियमों के इसी अपवाद का फायदा उठाकर इन खिलाड़ियों ने प्रतिबंधित दवाओं का इस्तेमाल किया। बाइल्स का दावा है कि उन्हें ये दवाएं अटेंशन डेफिसिट हाइपर एक्टिविटी डिस्‍ऑर्डर के इलाज के लिए लेनी पड़ी। इसी प्रकार सेरेना विलियम्स ने चोट के इलाज के लिए ये दवा लेने की बात कही है। कमाल की बात यह है कि वाडा के दस्तावेज यह खुलासा नहीं करते कि सच में इन खिलाड़ियों को ऐसी कोई समस्या थी। अगर किसी खिलाड़ी को ऐसी कोई समस्या हो तो बाकायदा इसकी पूरी मेडिकल हिस्ट्री बनाई जाती है और तब अगर प्रतिबंधित दवा का कोई सुरक्षित विकल्प न मौजूद हो तब इन दवा के इस्तेमाल की इजाजत दी जाती है।

हैकर समूह फैंसी बियर्स ने कहा है कि ये दस्तावेज दिखाते हैं कि वाडा किस प्रकार दुनिया के खिलाड़ियों में भेदभाव करता है। कुछ चुनिंदा खिलाड़ियों को नियमों से हर प्रकार की छूट दी जाती है और दूसरी ओर कुछ खिलाड़ियों को छोटी से गलती पर भी सालों के लिए प्रतिबंधित कर दिया जाता है। गौरतलब है कि इस वर्ष रूस के कई खिलाड़ियों को डोपिंग के आरोप में प्रतिबंधित कर दिया गया था जिसके कारण रूस की टीम के ओलंपिक में हिस्सा लेने पर ही सवालिया निशान लग लगे थे।

दूसरी ओर वाडा ने इन खुलासों को ज्यादा तवज्जो नहीं दी है। उसका कहना है कि उसने अपने नियमों के अनुसार ही कदम उठाए हैं। उसने उन खिलाड़ियों से माफी मांगी है जिनकी व्यक्तिगत जानकारी इस हैकिंग से सार्वजनिक हो गई है। उसने इसे आपराधिक गतिविधि करार दिया है।

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