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बीसीसीआई अध्यक्ष पर फंसा पेंच, पूर्व क्षेत्र अलग से मैदान में

अनुभवी प्रशासक जगमोहन डालमिया के निधन ने बीसीसीआई को विभाजित कर दिया गया है। पूर्व क्षेत्र की इकाइयों ने अपना स्वयं का उम्मीदवार खड़ा करने का फैसला किया है जिससे उत्तराधिकार की लड़ाई में नया मोड़ आ गया है।
बीसीसीआई अध्यक्ष पर फंसा पेंच, पूर्व क्षेत्र अलग से मैदान में

पूरी संभावना है कि पूर्व क्षेत्र की इकाइयां बीसीसीआई अध्यक्ष पद के लिए झारखंड के संयुक्त सचिव अमिताभ चौधरी को अपने उम्मीदवार के रूप में पेश करें। अध्यक्ष पद के लिए शरद पवार और राजीव शुक्ला के नामों को लेकर भी अटकलबाजी चल रही है लेकिन इन दोनों अनुभवी राजनीतिज्ञों को पूर्व क्षेत्र से प्रस्ताव और अनुमोदक मिलना आसान नहीं होगा। पूर्व क्षेत्र में छह वोट हैं जिसमें बंगाल, असम, झारखंड, ओडिशा, त्रिपुरा और राष्ट्रीय क्रिकेट क्लब (एनसीसी) शामिल हैं।

फिलहाल इस तरह की संभावना है कि अगर शुक्ला या पवार अपनी उम्मीदवारी पेश करते हैं तो चुनाव कराना पड़ेगा और चयन सर्वसम्मति से नहीं होगा।आईसीसी और बीसीसीआई के पूर्व अध्यक्ष पवार तभी अपनी उम्मीदवारी पेश करेंगे, जब उन्हें कम से कम 16 वोट मिलना तय हो और इसके लिए उन्हें सरकार के समर्थन की जरूरत पड़ेगी। वैसे भी अनुभवी राजनेता पवार को लंबी और विस्तृत चर्चा के बाद फैसला करने के लिए जाना जाता है।

पूर्व क्षेत्र के अधिकारियों ने पिछले दो दिनों में एक-दूसरे के साथ अनौपचारिक चर्चा की है और इस नतीजे पर पहुंचे हैं कि 2017 तक अध्यक्ष उनके क्षेत्र से होना चाहिए। पूर्व क्षेत्र से बीसीसीआई के एक शीर्ष अधिकारी ने नाम जाहिर नहीं करने की शर्त पर बताया, पूर्व क्षेत्र के राज्य चाहते हैं कि कोई उनके क्षेत्र से अध्यक्ष बने। इस समय अमिताभ चौधरी इसमें फिट बैठते हैं।’

उन्होंने कहा, वह आईपीएस अधिकारी हैं, झारखंड राज्य क्रिकेट संघ (जेएससीए) को चला रहे हैं, उन्होंने एजीएम में हिस्सा लिया है और पदाधिकारी हैं। पूर्व क्षेत्र की कम से कम चार इकाइयां उनकी उम्मीदवारी का समर्थन करेंगी। हमारा कहना है कि 2017 से इस पद के लिए पूर्व क्षेत्र से ही कोई होना चाहिए। अगर ऐसा नहीं हुआ तो चुनाव की संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता। आपको आश्वासन दिया जा सकता है कि अगर पवार चुनाव लड़ते हैं तो कैब और एनसीसी (डालमिया के पारिवारिक क्लब की तरह) उनके पक्ष में मतदान नहीं करेगा।’

सूत्रों के अनुसार बीसीसीआई के पूर्व अध्यक्ष एन. श्रीनिवासन की बड़ी भूमिका होगी क्योंकि 30 में से 10 वोटों पर उनका नियंत्रण है जो कुल वोट का एक तिहाई है। कोषाध्यक्ष हरियाणा के अनिरूद्ध चौधरी की तरह अमिताभ चौधरी भी श्रीनिवासन के विश्वासपात्र माने जाते हैं। पूर्व क्षेत्र में अब भी श्रीनिवासन को असम, बंगाल, ओडिशा और झारखंड के रूप में पर्याप्त समर्थन हासिल है।

शुक्ला के भी विभिन्न राजनीतिक पार्टियों में मित्र हैं लेकिन उनके लिए भी पूर्व क्षेत्र से प्रस्तावक हासिल करना आसान नहीं होगा। वह हालांकि अपना उम्मीदवार नहीं उतारने और सर्वसम्मत पसंद के रूप में उनका समर्थन करने के लिए पूर्व क्षेत्र की इकाइयों को मनाने की कोशिश कर सकते हैं। इस बीच बीसीसीआई की आम सभा की विशेष बैठक प्रस्तावित 15 दिन से आगे खिसक सकती है जब तक कि एन. श्रीनिवासन के प्रतिनिधित्व पर बीसीसीआई के लिए स्थिति स्पष्ट नहीं हो। इस बीच जब भी बैठक होगी तब बंगाल क्रिकेट संघ का प्रतिनिधित्व इसके सबसे वरिष्ठ कार्यकारी अधिकारी सुबीर गांगुली करेंगे जो संघ के संयुक्त सचिव हैं।

ऐेसा कोई नियम नहीं है लेकिन कैब में परंपरा रही है कि जब अध्यक्ष नहीं रहे तो नई नियुक्ति तक दो संयुक्त सचिव में से जो सीनियर होगा, वह बैठक में हिस्सा लेगा। यही कारण है कि सुबीर एक अन्य संयुक्त सचिव सौरव गांगुली की जगह बैठक में हिस्सा लेंगे।

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