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चोटों से परेशान जहीर ने अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट को कहा अलविदा

भारत के सर्वश्रेष्ठ तेज गेंदबाजों में से एक जहीर खान ने आज अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट को अलविदा कह दिया। चोटों से तंग आ चुके इस धुरंधर गेंदबाज ने स्वीकार किया कि अब उनका शरीर खेलने का बोझ नहीं उठा सकता। फिल्‍हाल वह आईपीएल-9 में खेलेंगे लेकिन इसके बाद वह घरेलू क्रिकेट से भी विदा लेना चाहते हैं।
चोटों से परेशान जहीर ने अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट को कहा अलविदा

जहीर खान ने आईपीएल के कमिश्नर राजीव शुक्ला को फोन कर अपने फैसले के बारे में बताया था। बांए हाथ के 37 वर्षीय गेंदबाज जहीर ने भारत के लिए 92 टेस्ट और 200 वनडे मैच खेले हैं। जहीर ने 17 टी-20 मैच भी भारत की ओर से खेले हैं। जहीर खान ने एक बयान जारी करते हुए कहा, मैं आगामी सत्र की तैयारी कर रहा था तो मुझे लगा कि मेरा कंधा रोज 18 ओवर फेंकने का बोझ नहीं सह सकता। मुझे तभी अहसास हो गया कि यह संन्यास लेने का सही समय है। उन्होंने कहा, मैं तुरंत प्रभाव से अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट को अलविदा कह रहा हूं। मैं आईपीएल नौ के साथ घरेलू क्रिकेट से भी विदा लेना चाहता हूं। 

2011 में भारत के वर्ल्ड कप जितने में जहीर का प्रदर्शन बहुत अहम रहा था। उन्होंने तब वर्ल्ड कप में 21 विकेट हासिल किये थे। जहीर पिछले कुछ सालों से फिटनेस की समस्या से जूझते रहे हैं जिसकी वजह से वह लगातार टीम से अंदर बाहर होते रहे हैं। भारत के वसीम अकरम कहे जाने वाले जहीर के मुताबिक,  क्रिकेट कैरियर में सबसे कठिन फैसला खुद को खेल से अलग करने का होता है। आप अतिरिक्त प्रयास करके कैरियर को विस्तार देना चाहते हैं लेकिन दो दशक बाद शरीर जवाब देने लगता है। जहीर खान का भारतीय टीम में पदार्पण तब हुआ जब जवागल श्रीनाथ का कैरियर ढलान पर था। उनके कैरियर के शुरूआती चरण के यादगार विकेटों में दूसरे वनडे में स्टीव वाॅ का विकेट था जो उनके खतरनाक यार्कर पर बोल्ड हुए थे। गांगुली को जहीर के रूप में एक बेहद भरोसेमंद तेज गेंदबाज मिल गया। उसी दौर में वीरेंद्र सहवाग, युवराज सिंह, हरभजन सिंह और आशीष नेहरा भी भारतीय क्रिकेट में उभर रहे थे।

 

अंतरराष्‍ट्रीय क्रिकेट से संन्‍यास की घोषणा करते हुए उन्‍होंने बताया कि 2011 विश्व कप विजेता टीम का हिस्सा होना उनके कैरियर का सबसे खुशनुमा पल था। आईपीएल में जहीर का करार दिल्ली डेयरडेविल्स से है और वह अगले साल नौवें सत्र के बाद घरेलू क्रिकेट को भी अलविदा कह देंगे। जहीर ने 92 टेस्ट में 311 विकेट लिए हैं और वह अनिल कुंबले (619), कपिल देव (434), हरभजन सिंह (417) के बाद टेस्‍ट मैचों में सर्वाधिक विकेट लेने वाले भारतीय गेंदबाज हैं। उन्होंने 200 वनडे में 282 विकेट लिए हैं जबकि टी20 में 17 विकेट उनके नाम है।

अपने कैरियर के आखिरी दौर में जहीर खान ने आरपी सिंह, एस श्रीसंत, प्रवीण कुमार, मुनाफ पटेल जैसे गेंदबाजों का काफी मार्गदर्शन किया। महेंद्र सिंह धोनी ने 2011 विश्व कप में उनका बखूबी इस्तेमाल किया। इंग्लैंड के खिलाफ भारत का मैच टाई रहा तो सिर्फ जहीर की वजह से। अगले साल जहीर खान आईपीएल खेलेंगे लेकिन उनके प्रशंसक उन्हें सफेद जर्सी में रिवर्स स्विंग की जादूगरी दिखाने वाले भारतीय तेज गेंदबाज के रूप में ही याद रखना चाहेंगे।

भविष्‍य की योजनाओं के बारे में जहीर ने कहा कि वह खेल को वापिस कुछ देना चाहेंगे लेकन अभी इस बारे में फैसला नहीं किया है। उन्होंने कहा, जाक इज बैक शीर्षक फिर आपको पढ़ने को मिलेगा क्योंकि मैं इस खेल और अपने देश को कुछ वापिस देना चाहता हूं जिसने श्रीरामपूर के इस लड़के को अपने सपने सच करने का मौका दिया। अपने सफर के बारे में जहीर ने कहा कि वह अपने तमाम कोचों और कप्तानों के शुक्रगुजार हैं जिन्होंने उनकी क्षमता पर भरोसा किया। वर्ष 2000 में भारत के लिए पदार्पण करने के बाद से उन्‍हें अहम मौके मिले और लोगों ने अलग-अलग मौकों पर उनकी हौसला अफजाई की। जिसके बूते वह भारतीय क्रिकेट में योगदान दे सके और बहुत कुछ सीखा। जहीर ने कहा है कि वह भारतीय क्रिकेट के लाखों समर्थकों को भी धन्यवाद देना चाहते हैं। क्रिकेट पिछले दो दशक में उनकी जिंदगी रहा है, इस खेल ने उन्‍हें जीवन में सब कुछ दिया। 

 

 

 

 

 

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