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बीसीसीआई को कोर्ट का तगड़ा झटका, राज्‍य संघों के साथ पैसों के लेन-देन पर रोक

भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड बीसीसीआई का सुप्रीम कोर्ट से अब बच पाना मुश्किल है। शीर्ष अदालत ने बीसीसीआई को उसकी मान्य ईकाइयों यानी राज्‍य संघोंं में जस्टिस लोढ़ा समिति की सिफारिशें के अनुसार सुधार लागू करने को लेकर शुक्रवार को तगड़ा झटका दिया है। शीर्ष कोर्ट ने बीसीसीआई और स्‍टेट एसोसिएशन्‍स के बीच पैसे के लेन-देन पर रोक लगा दी है।
बीसीसीआई को कोर्ट का तगड़ा झटका, राज्‍य संघों के साथ पैसों के लेन-देन पर रोक

 

शीर्ष कोर्ट ने अपनी टिप्‍पणी में कहा कि लोढ़ा कमेटी की सिफारिशें लागू करने तक पैसे के लेन-देन पर रोक लगी रहेगी। बीसीसीआई अब मैच कराने के लिए स्‍टेट एसोसिएन्‍स को पैसे नहीं दे सकती है। कोर्ट ने बीसीसीआई से यह भी पूछा कि लोढ़ा कमेटी की सिफारिशें कब तक लागू करेंगे। इस मामले को लेकर शीर्ष कोर्ट ने बीसीसीआई को दो हफ्ते में हलफनामा दाखिल करने का वक्‍त दिया है।

शीर्ष अदालत ने यह भी कहा कि बीसीसीआई के खातों पर नजर रखी जाए। निगरानी के लिए लोढ़ा पैनल ऑडिटर नियुक्‍त करे। इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने बीते दिनों बीसीसीआई की ओर से दायर याचिका पर सुनवाई दो हफ्तों के लिये स्थगित कर दी थी, जिसमें ढांचागत सुधारों पर सिफारिशें लागू करने के 18 जुलाई के निर्देश की समीक्षा करने की मांग की गयी थी।

बीसीसीआई ने अपनी पुनरीक्षण याचिका में यह आरोप लगाते हुए प्रधान न्यायाधीश टीएस ठाकुर को मामले की सुनवाई से हटाने की भी मांग की थी कि उनका रवैया उनके प्रति पक्षपातपूर्ण है।

बीसीसीआई ने पुनरीक्षण याचिका पर सुनवाई खुली अदालत में कराने की भी मांग की थी। सुनवाई चैम्बर में मुख्य न्यायधीश और न्यायमूर्ति एस ए बोबडे की पीठ के समक्ष सूचीबद्ध की गई थी लेकिन इसमें मामले की सुनवाई के लिये दो हफ्ते के बाद का समय लिखा गया था। कई अन्यों ने भी 18 जुलाई को दिये गये फैसले की फिर से जांच की मांग की थी, जिसमें अनुभवी क्रिकेट प्रशासक निरंजन शाह और चंदू बोर्डे शामिल थे।

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