वैज्ञानिकों ने एक ऐसा नया तरीका इजाद किया है जिससे किसी के खून के जरिए उस व्यक्ति को 10 साल बाद होने वाली हृदय की बीमारी का पूर्वानुमान किया जा सकता है।
इस्लामिक कैलेंडर के पवित्र महीने रमजान की शुरुआत होने वाली है। इस माह में मुस्लिम धर्म के लोग रोजे रखते हैं। रोजे के दौरान पूरे दिन भर कुछ भी नहीं खाया और पिया जाता है। ऐसे में दिल की बीमारी से जूझ रहे लोगों को रोजे रखने की वजह से परेशानी हो सकती है। इस बारे में भारत के प्रमुख ह्रदय रोग विशेषज्ञ डॉ. उपेंद्र कौल ने ऐसे मरीजों को इस महीने में बहुत अधिक सावधानी बरतने की सलाह दी है।
वैज्ञानिक बिना बैटरी वाला ऐसा आधुनिक पेसमेकर विकसित कर रहे हैं, जिसे खुद वह दिल चार्ज कर सकेगा, जिसमें वह लगाया गया होगा। यह प्रगति दरअसल एक पीजोइलेक्ट्रिक सिस्टम पर आधारित है जो कि छाती के भीतर हर धड़कन पर पैदा होने वाली कंपन ऊर्जा को विद्युत ऊर्जा में बदलने की क्षमता रखता है। इस तरह से पेसमेकर को जरूरी उर्जा उपलब्ध करवाई जा सकती है।
वैज्ञानिकों ने ऐसे प्रोटीन की पहचान की है जो दिल का दौरा पड़ने के बाद उसकी मांसपेशी की कोशिकाओं को फिर से बनाने में मदद करता है। अनुसंधाकर्ताओं ने यह भी बताया है कि हृदय के अंदर थोड़ी अधिक मात्रा में यह प्रोटीन रखा जाए तो चूहों और सुअरों में इससे न केवल हृदयघात के बाद दिल के कामकाज में सुधार होता है बल्कि उनके बचने की संभावना भी बढ़ जाती है।