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सावधान : 57 % डॉक्‍टर बिना मेडिकल क्वालिफिकेशन के कर रहे आपका ईलाज

सावधान : 57 % डॉक्‍टर बिना मेडिकल क्वालिफिकेशन के कर रहे आपका ईलाज

विदेशों में शिक्षा और स्‍वास्‍थ्‍य को जीवन का सबसे महत्‍वपूर्ण पहलू माना जाता है। लेकिन इससे उलट हमारे देश में इन दोनों क्षेत्रों पर घोर लापरवाही की जाती है। इसका एक सटीक उदाहरण विश्‍व स्‍वास्‍थ्‍य संगठन की एक रिपोर्ट में आपको मिल सकता है।
विधानसभा चुनाव: तमिलनाडु, केरल और पुडुचेरी में रुका प्रचार, सोमवार को मतदान

विधानसभा चुनाव: तमिलनाडु, केरल और पुडुचेरी में रुका प्रचार, सोमवार को मतदान

तमिलनाडु, केरल और पुडुचेरी में 16 मई को होने वाले विधानसभा चुनाव के लिए प्रचार शनिवार की शाम समाप्त हो गया। इसके साथ ही चिलचिलाती गर्मी में चुनाव प्रचार के दो महीने के लंबे दौर के बाद तीनों राज्यों में विधानसभा चुनाव के लिए नेताओं का दौरा और प्रचार का शोर आज थम गया।
शिशिर की शर्वरी हिंस्र पशुओं भरी

शिशिर की शर्वरी हिंस्र पशुओं भरी

बढ़ती कन्या भ्रूण हत्या के अलावा आउटलुक के अस्तित्व के इन 12 वर्षों में भारतीय समाज की दूसरी हिंसा कृषि संकट और बढ़ते शहरीकरण के प्रसंग में दिखती है। सन 2001 के पूर्ववर्ती दशक में शहरी आबादी 6.18 करोड़ बढ़ी थी जो 2001 से 2011 के बीच 9.1 करोड़ बढ़ी। ग्रामीण आबाद 2001 के पूर्ववर्ती दशक में 11.3 करोड़ बढ़ी थी लेकिन 2001 से 2011 के बीच यह सिर्फ 9.06 करोड़ बढ़ी। यानी शहरी आबादी वृद्धि दर के मुकाबले ग्रामीण आबादी वृद्धि दर कम हुई। यानी आजीविका के अभाव में या विभिन्न परियोजनाओं के चलते बड़ी संख्या में ग्रामीण आबादी उजडक़र शहरों में आई। यह तर्क दिया जा सकता है कि विकास के कारण ग्रामीण आबादी की गतिशीलता बढ़ी और वह शहरों में बेहतर अवसर तलाशने आई इसलिए इसे आपदा-पलायन नहीं कह सकते। लेकिन इस दौरान शहरों में भी संगठित रोजगार घटा यानी गांवों से शहरों में होने वाला आव्रजन आपदा-पलायन ही था। यही कृषि संकट का भी दौर रहा जब देश में बड़े पैमाने पर किसानों ने आत्महत्या की।
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