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विराट कोहली को सबक सिखाएगा ये इंजीनियर

विराट कोहली को सबक सिखाएगा ये इंजीनियर

भारतीय क्रिकेट टीम के कप्तान विराट कोहली और कोच पद से इस्तीफा दे चुके कुंबले के विवाद से महाराष्ट्र का एक मैकेनिकल इंजीनियर बहुत आहत है। इस इंजीनियर को लगता है कि कोहली ने कुंबले के साथ अच्छा नहीं किया और अब उन्हें ही कोच बन कर विराट को ‘सबक’ सिखाना होगा।
कुंबले को नहीं उनका विरोध करने वालों को होना चाहिए बाहर: सुनील गावस्कर

कुंबले को नहीं उनका विरोध करने वालों को होना चाहिए बाहर: सुनील गावस्कर

अनिल कुंबले के इस्तीफे के बाद भी टीम इंडिया में विवाद थम नहीं रहा है। सुनील गावस्कर के बाद शूटर अभिनव बिंद्रा और बैडमिंटन खिलाड़ी ज्वाला गुट्टा ने भी इस विवाद को लेकर ट्वीट किया है।
बीसीसीआई को नए कोच की तलाश, कुंबले के कार्यकाल को लेकर असमंजस

बीसीसीआई को नए कोच की तलाश, कुंबले के कार्यकाल को लेकर असमंजस

भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (बीसीसीआई) ने गुरुवार को मुख्य कोच के पद के लिये आवेदन मंगवाए हैं। इससे मुख्य कोच अनिल कुंबले को संकेत मिल गया कि चैम्पियंस ट्रॉफी के बाद खत्म हो रहे उनके मौजूदा कार्यकाल का स्वत: विस्तार नहीं होगा।
वंदना शिवा का दावा, अनिल दवे जीएम के पक्ष में नहीं थे

वंदना शिवा का दावा, अनिल दवे जीएम के पक्ष में नहीं थे

पिछले दिनों दिवंगत पर्यावरण मंत्री अनिल माधव दवे भारत में जेनेटिकली मोडिफाइड (जीएम) सरसों के विरोध में थे। यह दावा पर्यावरणविद वंदना शिवा ने किया है।
गदर के आगे कुछ भी नहीं बाहुबली

गदर के आगे कुछ भी नहीं बाहुबली

बाहुबली 2 भले ही कमाई के बॉक्स ऑफिस पर रेकॉर्ड तोड़ती रहे लेकिन गदर निर्देशित करने वाले अनिल शर्मा इसे शिगूफे से ज्यादा कुछ नहीं मानते। उनका मानना है कि भले ही बाहुबली ने पंद्रह सौ करोड़ रुपये का बिजनेस कर लिया हो लेकिन गदर का कोई मुकाबला नहीं।
मध्यप्रदेश में अनिल दवे की रणनीति से मिली थी भाजपा को सत्ता

मध्यप्रदेश में अनिल दवे की रणनीति से मिली थी भाजपा को सत्ता

अनिल माधव दवे, एक शौकिया पायलट, लेखक, पर्यावरणविद, नदी संरक्षणवादी, एक सांसद, पर्यावरण मंत्री और विभिन्न भूमिकाओं के लिए पहचाने जाते रहे हैं। संघ से ताल्लुक रखने वाले अनिल दवे को एक प्रखर प्रवक्ता के तौर पर जाना जाता था। पर्यावरणविद अनिल माधव दवे का जन्म मध्य प्रदेश के उज्जैन जिले के बड़नगर गांव में 6 जुलाई 1956 को हुआ था।
अनिल माधव दवे: बिना कुछ कहे गुजर गया 'नर्मदा समग्र' का यात्री

अनिल माधव दवे: बिना कुछ कहे गुजर गया 'नर्मदा समग्र' का यात्री

अनिल माधव दवे देश के पर्यावरण मंत्री बनने से पहले पर्यावरण के समर्पित कार्यकर्ता थे। सैकड़ों-हजारों वर्षों से चली आ रही नर्मदा यात्रा को उन्होंने समग्र दृष्टिकाेेेण दिया था। लेकिन नर्मदा पु्त्र दवे की जीवन यात्रा पर इतनी छोटी होगी, किसी को आभास नहीं था।
काम के प्रति समर्पण और सादा जीवन थी अनिल दवे की खासियत

काम के प्रति समर्पण और सादा जीवन थी अनिल दवे की खासियत

काम के प्रति समर्पण और सादा जीवन अनिल माधव दवे की खासियत रही है। पर्यावरण संरक्षण में उन्होंने अपना सबकुछ अर्पित कर दिया था। इसी वजह से पीएम नरेंद्र मोदी ने कै‍बिनेट में जगह देकर उन्हेंने पर्यावरण को और बेहतर करने का जिम्मा दिया था। दवे ने मां नर्मदा की काफी सेवा की। नर्मदा के संरक्षण में उनकी उल्लेेखनीय भूमिका, उनके सामाजिक सरोकार की व्यांख्या करती है। मुस्कान के साथ सरल छवि वाले दवे पूरी तरह से कर्मयोगी थे।
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