मणिपुर विधानसभा चुनाव में मिली करारी हार के बाद मानवाधिकार कार्यकर्ता इरोम शर्मिला प्रदेश के पलक्कड़ जिले की जनजातीय बस्ती अट्टापड्डी में कुछ समय गुजारेंगी।
रामजस कॉलेज और गुरमेहर कौर विवाद को लेकर उभरे राष्ट्रवाद के बहस पर उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने शुक्रवार को भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के नेताओं को गुरुदेव रवींद्रनाथ टैगोर की किताबें पढ़ने की सलाह दी।
मणिपुर विधानसभा चुनाव में नगा संगठनों की नाकेबंदी की वजह से भारतीय जनता पार्टी की उम्मीद फंस गई है। जबकि इस बार वहां पर मुख्यमंत्री इबोबी सिंह के शासनकाल के दौरान सरकारी योजनाओं में व्याप्त भ्रष्टाचार और पिछड़ेपन की वजह से भाजपा की संभावना दिख रही थी।
इरोम शर्मिला चानू ने मुझे वीआई नहीं बनना कहते हुए आज केंद्रीय चुनाव आयोग के निर्देश पर राज्य के अधिकारियों द्वारा मुहैया करायी जा रही सुरक्षा लेने से इनकार कर दिया।
मणिपुर की मानवाधिकार कार्यकर्ता इरोम शर्मिला की पार्टी पीपुल्स रिसर्जेट्ंस एंड जस्टिस एलायंस (पीआरजेए) निधि और श्रमशक्ति की कमी से जूझने के बाद अब धन जुटाने के लिए ऑनलाइन वेबसाइट के माध्यम से चंदे के लिए धन जमा कर रही है। पार्टी कार्यकर्ता लोगों तक पहुंचने के लिए साइकिल पर प्रचार कर रहे हैं।
टैगोर परिवार की वंशज और सुप्रसिद्ध अभिनेत्री शर्मिला टैगोर के मुताबिक भारतीय इतिहास में भले ही टैगोर परिवार की महिलाओं का बहुत ही कम जिक्र किया गया है, लेकिन इन महिलाओं ने बहुत सी उपलब्धियां हासिल कीं।
अगले वर्ष पंजाब और उत्तर प्रदेश के अलावा मणिपुर में भी विधानसभा चुनाव हैं। मणिपुर के चुनाव इस संदर्भ में रोचक होने वाले हैं कि आयरन लेडी इरोम शर्मिला ने इस दफा न केवल राजनीति में आने की इच्छा जाहिर की है बल्कि वह मुख्यमंत्री भी बनना चाहती हैं। उधर भारतीय जनता पार्टी ने भी अपना पूरा दम-खम लगा रखा है। मणिपुर के सामाजिक, राजनीतिक हालात पर वहां की राज्यपाल नजमा हेपतुल्ला से बातचीतः
विख्यात लेखक और नोबेल पुरस्कार से सम्मानित रवीन्द्रनाथ टैगोर और अर्जेंटीना की पत्रकार एवं लेखिका विक्टोरिया ओकैंपो में मुलाकात और इसके बाद एक-दूसरे पर प्रभाव पर आधारित एक फिल्म का निर्माण भारत और अर्जेंटीना संयुक्त रूप से कर रहे हैं।
16 साल तक की भूख हड़ताल के बाद भी मणिपुर की लौह महिला इरोम शर्मिला की अच्छी सेहत का राज उनकी इच्छाशक्ति और योगाभ्यास है। इस भूख हड़ताल के दौरान उन्हें नाक से जबरन तरल भोजन दिया जाता था। शर्मिला के सहयोगियों और उनके परिवार के सदस्यों के अनुसार, शर्मिला ने 1998 में योग सीखा था। इसके दो साल बाद वह भूख हड़ताल पर बैठ गई थीं। यह भूख हड़ताल मंगलवार को खत्म हो गई।