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दिल्ली गेट क्षेत्र में पथराव और आगजनी के बाद लाठी चार्ज, दूसरे क्षेत्रों में भी प्रदर्शन, टकराव

दिल्ली गेट क्षेत्र में पथराव और आगजनी के बाद लाठी चार्ज, दूसरे क्षेत्रों में भी प्रदर्शन, टकराव

दिल्ली में नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) के खिलाफ देर शाम दिल्ली गेट क्षेत्र में पथराव और आगजनी की...
महाराष्ट्र : सोलापुर में किसानों पर पुलिस ने किया लाठी चार्ज, जबरन जमीन अधिग्रहण का मामला

महाराष्ट्र : सोलापुर में किसानों पर पुलिस ने किया लाठी चार्ज, जबरन जमीन अधिग्रहण का मामला

दिल्ली में किसानों पर पुलिस द्वारा किए गए लाठी चार्ज पर विपक्ष के निशाने पर आई भारतीय जनता पार्टी...
घाटी में कठुआ की पीड़ित को न्याय दिलाने के लिए प्रदर्शन, पुलवामा में छात्रों पर लाठी चार्ज

घाटी में कठुआ की पीड़ित को न्याय दिलाने के लिए प्रदर्शन, पुलवामा में छात्रों पर लाठी चार्ज

कठुआ में गैंगरेप के बाद मारी गई आठ साल की बच्ची को न्याय दिलाने के लिए बुधवार को श्रीगर सहित घाटी में कई...
मिलिए लखनऊ में लाठी से मजनुओं को थूरने वाली दबंग महिला से

मिलिए लखनऊ में लाठी से मजनुओं को थूरने वाली दबंग महिला से

योगी आदित्यनाथ के लखनऊ में मजनुओं को लाठी से सरेआम थूरने वाली लड़की का वीडियो अभी खासा वायरल हो रहा है। घटना शहर में 1090 नाम से प्रसिद्ध चौराहे पर हुई है। दो मोटरसाइकिल पर सवार कुछ मनचले स्कूटर पर जा रही उस महिला पर अश्लील फब्तियां कसते हुए उसका पीछा करते आ रहे थे।
शांत मध्‍यप्रदेश की पुलिस गोली मारने में नंबर वन

शांत मध्‍यप्रदेश की पुलिस गोली मारने में नंबर वन

मध्‍यप्रदेश की पुलिस गोली मारने में नंबर वन है। शांत मध्‍यप्रदेश की पुलिस के बारे में ऐसी सूचना लोगों को अवश्‍य आश्‍चर्य में डाल देगी। देश में मध्यप्रदेश की गणना उन राज्यों में होती है, जो आमतौर पर शान्त माने जाते हैं। लेकिन एनसीआरबी के आंकड़ों पर नजर डालें तो अपराध के मामलों में मध्‍यप्रदेश शीर्ष पर नजर आता है।
चर्चाः हथियार का हिसाब न लो साधु से | आलोक मेहता

चर्चाः हथियार का हिसाब न लो साधु से | आलोक मेहता

‌वह जमाना गया जब कहा जाता था कि ‘जात न पूछो साधु की’। इस बार सिंहस्‍थ कुंभ के अवसर पर पवित्र क्षिप्रा में भाजपा नेताओं-मुख्यमंत्री और साधुओं ने ‘दलित’ कोटे के तहत वाल्मीकी घाट पर स्नान किया। वैसे यह समरसता का स्नान था, लेकिन अन्य साधु-संतों और भक्त जनता को बता दिया गया कि दलित साधु-संत की अपनी महत्ता है।
किसान की लाठी नहीं है अब गन्ना

किसान की लाठी नहीं है अब गन्ना

एक दौर था जब प्रदेश के किसान नकदी फसल गन्ने को अपनी लाठी मानते थे। सूबे की 124 चीनी मिलें सूरसा के मुंह जैसी खेतों की ओर ताकती रहती थीं और दिन रात गन्ने की ही फरमाईश करती थीं मगर अब यह लाठी जैसे टूट गई है और 'सुरसा’ भी न जाने कहां बिला गई है। प्रदेश में गन्ने की फसल को राजनीति का ऐसा घुन लगा है कि खेत, फसल और किसान सब चौपट हो रहे हैं। आलम यह है कि गन्ना उगाने की लागत सवा तीन सौ रुपए क्विंटल आ रही है मगर किसान को मिल रहे हैं मात्र 280 रुपए। वह भी रुला-रुलाकर।
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