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Search Result : "पाकिस्तानी संघीय जांच एजेंसी"

आर्थिक जासूसी: गठजोड़ की गांठ खुले तो मानें

आर्थिक जासूसी: गठजोड़ की गांठ खुले तो मानें

सरकारी गलियारों में दूर तक पसरे हुए कॉर्पोरेट जगत के पंजे सार्वजनिक नीतियों को अपने स्वार्थ के लिए कैसे मोड़ते हैं, इसका पर्दाफाश नीरा राडिया टेप कांड ने कुछ वर्ष पहले किया था। सत्ता के गलियारों में वैसी ही कॉर्पोरेट घुसपैठ पर से वैसा ही पर्दा अब मंत्रालय जासूसी कांड उठा रहा है। प्याज के छिलकों की तरह इसकी परतें प्रतिदिन और खुलती जा रही हैं। लेकिन सबकी निगाहें इस पर टिकी हैं कि इन परतों के नीचे छोटी-छोटी कठपुतलियां नचाने वाले बड़े-बड़े असली चेहरे सामने आते हैं या नहीं। और सामने आ भी जाएं तो उनके किए की कानूनी जवाबदेही ठहराई जाती है या नहीं।
शाही शादी में पाकिस्तानी बारातियों को वीजा

शाही शादी में पाकिस्तानी बारातियों को वीजा

भारतीय दुल्हन और पाकिस्तानी दूल्हे की शादी बड़े ही धूमधाम से संपन्न हो गई। यह कोई मामूली शादी नहीं थी। दो राजघराने रिश्ते में बंधे। दूल्हे राजा पाकिस्तान के उमरकोट के सोढ़ा राजपूत परिवार के करणी सिंह सोढ़ा दुल्हन कनोता परिवार की पद्ममिनी राठौड़ हैं।
श्रमिकों के बीच कंडोम बांटने की सलाह

श्रमिकों के बीच कंडोम बांटने की सलाह

छत्तीसगढ़ में स्वास्थ्य विभाग ने राज्य के निजी उद्योगों से आग्रह किया है कि एड्स की रोकथाम के लिए वह अपने कारखानोंं में काम करने वाले श्रमिकों को कंडोम उपलब्ध कराएं।
कोयला घोटाला : हिंडाल्को मामले में सीबीआइ की जांच पूरी

कोयला घोटाला : हिंडाल्को मामले में सीबीआइ की जांच पूरी

सीबीआई ने विशेष अदालत में कोयला ब्‍्लॉक आवंटन से जुड़े एक मामले में अपनी अंतिम जांच रिपोर्ट पेश कर दी जिस पर 11 मार्च को सुनवाई होगी। इस मामले में पूर्व कोयला सचिव पी सी पारख, हिंडाल्को और अन्य कथित तौर पर संलिप्त हैं।
पाकिस्तानी नाव को भारत ने उड़ाया था?

पाकिस्तानी नाव को भारत ने उड़ाया था?

अब शायद सच सामने आए कि 31 दिसंबर की रात को भारत-पाकिस्तान समुद्री सीमा पर क्या हुआ था। पाकिस्तान की नाव में सवार अपराधियों या आतंकवादियों ने खुद आग लगा ली या फिर भारत सरकार ने उसे उड़ा दिया, यह फिर एक बड़ा सवाल बन गया है। कोस्ट गार्ड के डेप्टी इंस्पेक्टर जनरल बी.के. लोशाली ने इस सवाल पर केंद्र सरकार बुरी तरह से घिर गई है।
शांति के पासे फेंकने की जरूरत

शांति के पासे फेंकने की जरूरत

निर्मला देशपांडे की पाकिस्तान में बरसी से उठी ये सदाएं मनमोहन सिंह पहुंची या यह उनकी अंत: प्रेरणा थी अथवा अमेरिकी उत्प्रेरणा, जैसा कि कुछ लोग विश्‍वास करना चाहते हैं, शर्म अल शेख के संयुक्त वक्तव्य में ब्लूचिस्तान के जिक्र के लिए राजी होकर और भारत-पाक समग्र वार्ता के लिए भारत में आतंकवादी हमले रोकने की पूर्व शर्त को ढीला करके भारतीय प्रधानमंत्री ने शांति के लिए एक जुआ खेला है। मुंबई हमले के बाद दबाव की कूटनीति से भारत को जो हासिल होना था वह हो चुका और पाकिस्तान को लश्कर-ए-तैयबा के आतंकतंत्र के खिलाफ अपेक्षया गंभीर कार्रवाई के लिए बाध्य होना पड़ा। दबाव की कूटनीति की एक सीमा होती है और विनाशकारी परमाणु युद्ध कोई विकल्प नहीं हैं। इसलिए वार्ता की कूटनीति के लिए जमीन तैयार करने की जरूरत थी। ब्लूचिस्तान के जिक्र को भी थोड़ा अलग ढंग से देखना चाहिए।
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