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पर्वतीय और पूर्वोत्तर के राज्यों के उद्योगों को राहत

पर्वतीय और पूर्वोत्तर के राज्यों के उद्योगों को राहत

केंद्र सरकार ने पर्वतीय राज्यों सहित पूर्वोत्तर के राज्यों के उद्योगों को बड़ी राहत दी है। जम्मू-कश्मीर, उत्तराखंड, हिमाचल प्रदेश, सिक्किम सहित पूर्वोत्तर के राज्यों को माल और सेवा कर (जीएसटी) कानून के तहत बजटीय सहायता देने की योजना को मंजूरी दे दी है। यह मंजूरी आज प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में आर्थिक मामलों पर मंत्रिमंडलीय समिति की बैठक में दी गई।
उत्तराखंड विवाद में भाजपा ने खुद की नाक कटा ली: शिवसेना

उत्तराखंड विवाद में भाजपा ने खुद की नाक कटा ली: शिवसेना

उत्तराखंड मामले पर शिवसेना ने गुरूवार को भाजपा को घेरते हुए कहा कि भाजपा को जनादेश संदेहजनक और गैरजरूरी कार्रवाइयां करने के लिए नहीं मिला है। साथ ही शिवसेना ने सवाल उठाया कि क्या भविष्य में देश में आपातकाल जैसी स्थिति उभर सकती है।
उत्तराखंड के पांच पर्वतीय जिले सूखा ग्रस्त घोषित होंगे

उत्तराखंड के पांच पर्वतीय जिले सूखा ग्रस्त घोषित होंगे

कम बारिश के चलते उत्तराखंड के पर्वतीय क्षेत्रों में भी पैदा हुए सूखे के हालात को देखते हुए प्रदेश के 13 में से पांच जिलों को सूखाग्रस्त घोषित करने की तैयारी कर ली गई है। मुख्य सचिव शत्रुघ्न सिंह ने इस संबंध में यहां बताया कि कम वर्षा के कारण सूखे के हालात से जूझ रहे प्रदेश के पांच जिलों के 74,000 हेक्टेअर क्षेत्रफल को जल्द ही सूखाग्रस्त घोषित किया जाएगा।
नेपाल भूकंप में अब तक 41 भारतीयों की मौत

नेपाल भूकंप में अब तक 41 भारतीयों की मौत

नेपाल में आए विनाशकारी भूकंप में मारे गए 57 विदेशियों में से 41 लोग भारतीय हैं। इमारतों को जमींदोज और बिजली के खंभों व पेड़ों को जड़ों से उखाड़ फेंकने वाला यह भीषण भूकंप अपने पीछे तबाही और दर्द का एक भयावाह मंजर छोड़ गया है। नेपाल पुलिस द्वारा जारी बयान के अनुसार, भूकंप में मरने वाले भारतीयों की संख्या 41 हो चुकी है।
नेपाल फिर झटके, मृतकों की संख्या 7 हजार के पार

नेपाल फिर झटके, मृतकों की संख्या 7 हजार के पार

नेपाल में आए विनाशकारी भूकंप में मरने वालों की संख्या शनिवार को बढकर 7 हजार से ज्‍यादा हो गई है और 14,025 अन्य लोग घायल हुए हैं। अब मलबे में शायद ही किसी के जिंदा बचे होने की उम्‍मीद बची है।
प्रकृति से छीना तो वापस भी करो

प्रकृति से छीना तो वापस भी करो

हिमाचल प्रवास के दौरान कहीं वैसे रसीले आडू भी नहीं दिखे जैसे हमने राज्य में घुसने के ठीक पहले पंचकुला में लिए थे। और लाल-लाल चेरी ने हमें सिर्फ नारकंडा के आसपास राजमार्ग पर लुभाया। पहाड़ी ढलानों पर सेबों के बागान-दर-बागान दिखते चले गए और हम लोगों से पूछते रहे, कहां गए, कहां गए हिमाचल के मशहूर सेब? शायर मिलते तो कह देते, सेबों को किन्नौरी बालाओं के रुखसार की रंगत में देखिए। लेकिन हमें पता चला, हिमाचल में इस बार फलों की पैदावार में जबर्दस्त गिरावट आई है। फलों में वहां मुख्य पैदावार सेब और नाशपाती की होती है और इन दोनों का उत्पादन इस वर्ष 50-60 प्रतिशत कम हुआ है।
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