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किसान पुरस्कार ठुकराने पर कांग्रेस बोली- बाबूलाल के हौसले को सलाम, शिवराज सरकार को दिखाया आइना

किसान पुरस्कार ठुकराने पर कांग्रेस बोली- बाबूलाल के हौसले को सलाम, शिवराज सरकार को दिखाया आइना

मध्यप्रदेश कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और सांसद कमलनाथ ने प्रदेश के ख्याति प्राप्त किसान द्वारा ठुकराए...
कर्जमाफी के नाम पर किसानों के साथ मजाक, जले पर नमक छिड़क रही मामूली राहत

कर्जमाफी के नाम पर किसानों के साथ मजाक, जले पर नमक छिड़क रही मामूली राहत

शांति देवी जिन्होंने फसल बोने के नाम पर बैंक से 1 लाख रुपये कर्ज लिया था, लेकिन इनको जो ऋणमाफी का प्रमाण पत्र दिया गया है, उसमें 10.36 रुपये का कर्ज माफ है।
देश में कर्जदार हैं लगभग 4.69 करोड़ किसान, औसतन 3.20 लाख रुपये का कर्ज

देश में कर्जदार हैं लगभग 4.69 करोड़ किसान, औसतन 3.20 लाख रुपये का कर्ज

एक तरफ तो यह नीतियां किसान को कर्जदार बनाती है, तो वहीं दूसरी ओर किसानों को कम समर्थन मूल्य और खुले बाजार को ताकत देकर किसानों को ऐसी स्थिति में पंहुचाती है, जहां वे ब्याज तो छोड़िये, मूलधन भी चुकाने की स्थिति में नहीं रह जाते हैं।
मध्य प्रदेश: कांग्रेस में कौन होगा सीएम उम्मीदवार, रस्साकशी शुरू

मध्य प्रदेश: कांग्रेस में कौन होगा सीएम उम्मीदवार, रस्साकशी शुरू

किसान आंदोलन की ताप से मध्य प्रदेश में सत्ता वापसी की आस लगाए बैठी कांग्रेस पार्टी में 'सीएम प्राजेक्ट' को लेकर रस्साकशी का दौर शुरू हो चुका है। बीते दिनों कांग्रेस के दिग्गजों ने जो दांव खेला है, वह थोड़ा चौकाता जरूर है, लेकिन अप्रत्याशित नहीं है।
फसल बीमा या बीमा की फसल

फसल बीमा या बीमा की फसल

बीमा आग्रह की विषयवस्तु है इसे खरीदने से पहले कृपया बिक्री पुस्तिका को ध्यानपूर्वक पढ़ें। इंश्योरेंस रेगुलेटरी ऐंड डेवलपमेंट अथॉरिटी ऑफ इंडिया (आइआरडीएआइ) के इस विज्ञापन को हम सभी ने हजारों बार पढ़ा, सुना या देखा होगा। लेकिन क्या आप जानते हैं? एक बीमा ऐसा भी है जिसके मामले में खरीदार के पास बिक्री दस्तावेज को देखने की बात तो दूर, उसे उस कंपनी की भी कोई जानकारी नहीं होती, जिसका बीमा वह खरीद रहा है।
किसान मुक्ति संसद: आत्महत्या कर चुके किसानों के बच्चों ने लोगों को झकझोरा

किसान मुक्ति संसद: आत्महत्या कर चुके किसानों के बच्चों ने लोगों को झकझोरा

राजधानी दिल्ली के जंतर-मंतर पर किसान मुक्ति संसद में आत्महत्या कर चुके महाराष्ट्र के किसानों के बच्चों ने अपनी पीड़ा को एक नाटक के जरिए सबके सामने रखा।
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