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Search Result : "आशुतोष पाठक"

रे की फिल्म पर वृत्तचित्र

रे की फिल्म पर वृत्तचित्र

सिनेमा को चाहने वाले इस साल दिग्गज फिल्मकार सत्यजित रे की पहली फिल्म पाथेर पांचाली के साठ साल पूरा होने का जश्न मना रहे हैं। इसी बीच रे की भारत में कम और यूरोप-अमेरिका में ज्यादा सराही गई फिल्म अरण्येर दिन रात्रि पर एक डॉक्यूमेंट्री रिवाइविंग इमेजरी सामने आई है। पिछले दिनों रांची, झारखंड में इसका प्रीमियर हुआ।
बुजुर्ग को इंसाफ दिलाने वाले आशुतोष के जज्‍बे को सलाम

बुजुर्ग को इंसाफ दिलाने वाले आशुतोष के जज्‍बे को सलाम

लखनऊ के फोटो जर्नलिस्‍ट आशुतोष त्रिपाठी के कैमरे से ली गईं कुछ तस्वीरों ने न सिर्फ एक बुजुर्ग टाइपिस्‍ट को इंसाफ दिलाया बल्कि सोशल मीडिया की ताकत का भी अहसास करा दिया। पूरी ईमानदारी और साहस से अपना फर्ज निभाने वाले आशुतोष के जज्‍बे की भी खूब तारीफ हो रही है।
ऑल इज वेल में वेल खोजिए

ऑल इज वेल में वेल खोजिए

भारत एक गरीब देश है जैसे निबंध रटने वाले बच्चों को अब यह बताना होगा कि भारत गरीब नहीं रह गया है। कारण? बॉलीवुड पर नजर डाल लें तो पता चलेगा कि भारत में इतना अनाप-शनाप पैसा हो गया है कि ‘ऑल इज वेल’ जैसी फिल्म बनाई जा सकती है।
आई जी आशुतोष पांडेय की पहल एक नंबर भरोसे का

आई जी आशुतोष पांडेय की पहल एक नंबर भरोसे का

गोरखपुर के रहने वाले राजेंद्र सिंह बीएसएफ के जवान हैं। उनका बेटा प्रदीप स्कूल की छुट्टियां होने के कारण कानपुर घूमने गया। कानपुर से वापसी के दौरान वह ट्रेन से कहीं लापता हो गया। बड़ी कोशिशों के बाद भी प्रदीप का कुछ पता नहीं चला। कानपुर जीआरपी ने पंद्रह दिन के बाद गुमशुदगी की रिपोर्ट दर्ज की। लेकिन आगे कोई कार्रवाई नहीं हुई।
फिर आएंगे भेजा फ्राय वाले

फिर आएंगे भेजा फ्राय वाले

भेजा फ्राय और भेजा फ्राय 2 बनाने वाले निर्देशक सागर बेल्लारी ने अपनी नई फिल्म पर काम शुरू कर दिया है। सागर फिल्मों में परिस्थितिजन्य हास्य गढ़ने के लिए जाने जाते हैं। उनकी फिल्मों में संवाद से ज्यादा कलाकारों के हावभाव दर्शकों को गुदगुदाते हैं।
रहस्यमय व्यापमं मौतों पर छह पर्दे

रहस्यमय व्यापमं मौतों पर छह पर्दे

व्यापमं को घोटाला कहा जाए या डेथ-ट्रैप यानी मौत का जाल या फिर मौत का बरमूडा त्रिकोण...। एक बात साफ है कि इसके पास जाने वाले या इसमें शामिल लोगों की मौतों का आंकड़ा जिस तेजी से बढ़ा, उसने इसे भारत के सबसे रहस्यमय खौफनाक घोटाले में तब्दील कर दिया। ऐसा रहस्य जो बड़ी-बड़ी आपराधिक गाथाओं को मात देने को आतुर हो।
कहानी - आंटी

कहानी - आंटी

दिनेश पाठक चर्चित कथाकार हैं। सभी शीर्षस्थ पत्र-पत्रिकाओं में रचनाएं प्रकाशित होती रही हैं। कुछ कहानियों का अन्य भाषा में अनुवाद भी हुआ है। अब तक उनके नौ कथा संग्रह, दो उपन्यास और एक संपादित पुस्तक प्रकाशित हुई है। उनकी प्रकाशित पुस्तकों में - शायद यह अंतहीन, धुंध भरा आकाश, जो गलत है, इन दिनों वे उदास हैं, रात के बाद, अपने ही लोग, पारुल दी, नस्ल और देखना एक दिन शामिल है।
जासूसी साहित्य के शहंशाह

जासूसी साहित्य के शहंशाह

कनॉट प्लेस स्थित ऑक्सफोर्ड बुकस्टोर ने पिछले बृहस्पतिवार की शाम लोकप्रिय हिंदी साहित्य और उसमें भी जासूसी कथाओं के बादशाह स्तंभ सुरेन्द्र मोहन पाठक के साथ एक अनौपचारिक बातचीत आयोजित की। हिंद युग्म प्रकाशन के शैलेश भारतवासी और नीला स्कार्फ और हालिया रिलीज मम्मा की डायरी से चर्चित लेखिका अनु सिंह चौधरी ने उनसे बात की और जाना साहित्य की इस विधा को।
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