साहित्य अकादमी के साहित्योत्सव में ‘गांधी, आंबेडकर, नेहरू: निरंतरता तथा अलगाव’विषय पर तीन दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी में भारतीय इतिहास और संस्कृति की प्रख्यात अध्येता कपिला वात्स्यायन ने अपनी बात रखी।
जेएनयू में राष्ट्रविरोधी नारे लगाने के 10 आरोपी छात्रों में से एक छात्र उमर खालिद के पिता ने आज कहा है कि यह न्यायपालिका को तय करना है कि वह मामले में संलिप्त था या नहीं। साथ ही उन्होंने मांग की कि उनके बेटे को मीडिया ट्रायल से अलग रखा जाए।
भारत में असहिष्णुता पर चल रही बहस को महत्व नहीं देते हुए अदाकारा काजोल ने आज कहा कि बॉलीवुड में ऐसी कोई विभाजन रेखा नहीं है। जयपुर साहित्य उत्सव के तीसरे दिन काजोल ने कहा, हमारा उद्योग समाज में जो चल रहा होता है उसे हमेशा दर्शाता रहेगा। बॉलीवुड में कोई विभाजन रेखा नहीं हैं, ना ही जाति, नस्ल है और न ही असहिष्णुता। काजोल के करीबी दोस्त फिल्मकार करण जौहर ने उत्सव के उद्घाटन दिवस पर यह कहकर कि देश में अभिव्यक्ति की आजादी सबसे बड़ा मजाक है, तूफान ला दिया। हाल के महीनों में, अभिनेता शाहरूख खान और आमिर खान देश में बढ़ती असहिष्णुता के बारे में बोलकर विवादों में आ चुके हैं।
गीत, कविता, कहानियां, गजल, निबंध हर विधा में रामदरश मिश्र ने अपनी कलम चलाई है। वह नामी साहित्यकार से पहले संवेदनशील, उदार, स्नेहशील, सहज और सहृदयी व्यक्तित्व के स्वामी हैं। सन 2015 का साहित्य अकादमी पुरस्कार उनकी पुस्तक आग की हंसी के लिए देने की घोषणा हुई है। इस मौके पर साहित्य अकादमी, दिल्ली, के सभागार रामदरश मिश्र जी ‘लेखक से मिलिए’ कार्यक्रम में अपने पाठकों, प्रशंसकों से रूबरू हुए।
छत्तीसगढ़ के आदिवासी बहुल बस्तर क्षेत्र के सुकमा जिले में 15 महिलाओं सहित 70 नक्सलियों ने आज आत्मसमर्पण कर दिया। पुलिस के अनुसार माओवादी आंदोलन और हिंसा से निराश होकर इन लोगों ने अपने हथियार डालने का फैसला किया।
साहित्य अकादेमी के अध्यक्ष डॉ. विश्वनाथ प्रसाद तिवारी द्वारा 23 भारतीय भाषाओं के युवा रचनाकारों को साहित्य अकादेमी युवा पुरस्कार-2015 प्रदान किए गए। विश्वनाथ प्रसाद तिवारी ने कहा, कोई भी पुरस्कार या राशि तो वापस की जा सकती है किंतु प्राप्त सम्मान कभी वापस नहीं किया जा सकता। यह स्वयं द्वारा अर्जित होता है और समाज यानी ‘लोक’ की इसमें महत्त्वपूर्ण भूमिका होती है।
साहित्यिक पत्रिका समास के संपादक और साहित्यकार उदयन वाजपेयी अपनी कहानियों से ज्यादा उनके द्वारा लिए गए विभिन्न हस्तियों के साक्षात्कार के लिए पहचाने जाते हैं। कई साहित्यिक पत्रिकाओं के बीच समास का अलग तेवर है। स्थानीय पुट के साथ-साथ इसमें राष्ट्रीयता का दखल भी इसमें कम नहीं होता। साहित्यिक पत्रिकाओं की कमी और इस दुनिया के बदलते तेवर पर उन्होंने कई पहलुओं पर अपनी बात साझा की।