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पश्चिम बंगाल: टीएमसी ने राज्य चुनाव आयोग को लिखा पत्र, राज्यपाल पर लगाया चुनाव प्रक्रिया में "बाधा डालने" का आरोप

आगामी आठ जुलाई को पश्चिम बंगाल में होने वाले पंचायत चुनाव से पहले, तृणमूल कांग्रेस ने सोमवार को चुनाव...
पश्चिम बंगाल: टीएमसी ने राज्य चुनाव आयोग को लिखा पत्र, राज्यपाल पर लगाया चुनाव प्रक्रिया में

आगामी आठ जुलाई को पश्चिम बंगाल में होने वाले पंचायत चुनाव से पहले, तृणमूल कांग्रेस ने सोमवार को चुनाव प्रक्रिया में "बाधा डालने" और राज्य में "समानांतर सरकार के अस्तित्व को चित्रित करने" का प्रयास करने के लिए राज्यपाल सीवी आनंद बोस के खिलाफ राज्य चुनाव आयोग (एसईसी) को पत्र लिखा।

टीएमसी ने लिखा, "माननीय राज्यपाल जी राज्य के गेस्ट हाउसों/सर्किट हाउसों और परिवहन सुविधाओं का दुरुपयोग करते हुए भारतीय जनता पार्टी के कार्यकर्ताओं के साथ बैठकें कर रहे हैं, जो कि पूर्ण रूप से आदर्श आचार संहिता पश्चिम बंगाल पंचायत चुनाव अधिनियम, 2003 और भारत के संविधान का उल्लंघन करता है।"

पत्र में यह प्रमुख रूप से चिन्हित किया गया कि राज्य चुनाव आयोग की भूमिका पर सवाल उठाना राज्यपाल का अधिकार नहीं है। टीएमसी ने लिखा, "राज्यपाल, राज्य चुनाव आयोग पर अनुचित बयान देकर कहीं ना कहीं चुनाव की प्रक्रिया में बाधा डालने का प्रयास कर रहे हैं।" टीएमसी के अनुसार, राज्यपाल ने प्रदेश की स्थिति को लेकर "स्थिति बहुत चिंताजनक है" और "लोकतंत्र की मृत्यु की घंटी उसके संरक्षकों के हाथों में नहीं बजनी चाहिए" जैसे बयान दिए हैं।

टीएमसी का कहना है कि ऐसे बयान राज्य चुनाव आयोग की पवित्रता पर सवाल खड़े करते हैं। पार्टी ने शिकायत करते हुए बताया कि जिस प्रकार से राज्यपाल, खंड विकास अधिकारियों से रिपोर्ट लेकर और पुलिस के माध्यम से जानकारी इकट्ठा कर रहे हैं, वो गलत है। साथ ही यह संवैधानिक आदेश का घोर उल्लंघन है। पत्र में कहा गया, "नामांकन प्रक्रिया सहित अन्य जानकारी इकट्ठा करना, कानून एवं व्यवस्था पर पुलिस से सवाल करना और राजभवन में कथित कंट्रोल रूम की स्थापना अधिकारों का उल्लंघन है।"

टीएमसी ने आरोप लगाया कि राज्यपाल सत्तारूढ़ दल से परामर्श किए बिना बैठकें आयोजित करके और उन्हें सुरक्षा प्रदान करके भाजपा का पक्ष लेकर समानांतर सरकार चला रहे हैं। टीएमसी के उपाध्यक्ष सुब्रत बक्शी ने लिखा, "राज्य या राज्य चुनाव आयोग से परामर्श किए बिना भाजपा के सदस्यों के लिए सुरक्षा व्यवस्था प्रदान करने के लिए गृह मंत्रालय, भारत सरकार और केंद्रीय सुरक्षा एजेंसी के साथ बैठकें आयोजित की जा रही हैं।"

तृणमूल कांग्रेस ने राजभवन में स्थापित कथित कंट्रोल रूम पर आपत्ति जताई, जहां आम आदमी अपनी समस्याएं लेकर जा सकते हैं। उधर, राज्यपाल ने भी पंचायत चुनावों से पहले जारी हिंसा की आलोचना की और कहा कि हिंसा को "हत्या" और "धमकी" की राजनीति के रूप में वर्णित किया जा सकता है। गौरतलब है कि आनंद बोस उन विभिन्न स्थानों का दौरा कर रहे हैं जहां पहले राज्य में हिंसा भड़की थी।

उन्होंने कहा, "मेरे दौरों ने मुझे यकीन दिलाया है कि पश्चिम बंगाल के कुछ इलाकों में हिंसा फैल रही है। मैं किसी दोष-खोज मिशन के हिस्से के रूप में नहीं बल्कि तथ्य-खोज मिशन के रूप में हिंसा की घटनाओं के विभिन्न स्थानों का दौरा कर रहा हूं। यहां दिए गए बयान भारत के संविधान और राज्यपाल के अधिकार क्षेत्र के अंतर्गत होंगे।"

"मेरे संवैधानिक सहयोगियों को अपने कर्तव्यों का स्वतंत्र रूप से, स्पष्ट रूप से और निडर होकर पालन करने का पूरा अधिकार है और राज्यपाल इसमें हस्तक्षेप नहीं करेंगे। वे स्वतंत्र रूप से कार्य करेंगे।" पश्चिम बंगाल में पंचायत चुनावों के नामांकन के दौरान और उसके बाद हिंसा देखी गई। बीरभूम जिले के अहमदपुर में एक ब्लॉक विकास कार्यालय (बीडीओ) पर कथित तौर पर देशी बम फेंके गए।

मालदा जिले में भी एक टीएमसी कार्यकर्ता की कथित तौर पर पीट-पीट कर हत्या कर दी गई। बता दें कि पंचायत चुनाव एक ही चरण में होंगे और वोटों की गिनती 11 जुलाई को होगी। चुनावों में सत्तारूढ़ टीएमसी और भाजपा के बीच स्थानीय प्रशासन पर नियंत्रण के लिए तीखी खींचतान देखने को मिलने की संभावना है और यह अगले साल के लोकसभा चुनाव से पहले दोनों पार्टियों के लिए एक अग्निपरीक्षा भी मानी जा रही है।

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