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यूपी की सियासत में सवर्ण मुद्दों को लेकर उतरा ‘राजा’

अपने 25 साल के राजनीतिक कॅरियर के बाद कुंडा के निर्दलीय विधायक रघुराज प्रताप सिंह उर्फ राजा भैया ने...
यूपी की सियासत में सवर्ण मुद्दों को लेकर उतरा ‘राजा’

अपने 25 साल के राजनीतिक कॅरियर के बाद कुंडा के निर्दलीय विधायक रघुराज प्रताप सिंह उर्फ राजा भैया ने सवर्ण मुद्दों को लेकर दलगत राजनीति में हिस्सा ले लिया है।

उनका कहना है कि आज अगर मुआवजा दिया जा रहा है तो वो जाति देखकर दिया जा रहा है, हम समानता का अधिकार चाहते हैं, यह हमारा मौलिक अधिकार है। 1989 में राजीव गांधी जी के द्वारा एससी/एसटी एक्ट बनाया गया, तब से आज तक उसको दिन प्रतिदिन जटिल बनाया जा रहा है। भारत के अगर सभी राजनीतिक दल किसी बात में एकमत हुए तो, वो है एससी/एसटी एक्ट। सभी ने मुकदमा दर्ज होते ही 6 महीने के लिए जेल भेजे जाने के कानून को पास किया।

ये बातें उन्होंने लखनऊ के रमाबाई अम्बेडकर मैदान में आयोजित रजत जयंती समारोह के दौरान कहीं। अब तक रमाबाई अम्बेडकर मैदान को भरने का श्रेय बसपा सुप्रीमो मायावती और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को जाता है। राजा भैया के कार्यक्रम में भी करीब 90 फीसदी मैदान भरा था। यह तब है, जब राजा भैया की छवि पूर्व मंत्री और निर्दलीय विधायक के रूप में है। राजा भैया ने कार्यक्रम के माध्यम से शक्ति प्रदर्शन कर विरोधियों को ताकत अहसास कराया।

यूपी की राजनीति में राजा भैया और शिवपाल सिंह यादव के दलगत राजनीति में उतरने के कारण समीकरण बदल रहे हैं। यह भी माना जा रहा है कि राजा भैया और शिवपाल सिंह यादव लोकसभा चुनाव मिलकर लड़ेंगे। अगर ऐसा होता है तो यह देखने वाली बात होगी कि दोनों दल मिलकर दलगत राजनीति में कितनी पकड़ बना पाते हैं।

राजा भैया की निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में 1993 से शुरू हुई राजनीतिक यात्रा यहां तक पहुंची है। समानता के मुद्दे पर राजा भैया ने कहा कि जो आरक्षण का लाभ पा चुके हैं, उन्हें आरक्षण के दायरे से हटाया जाए। साथ ही आम दलित और गरीब लोगों को इसका लाभ दिया जाए, जनसत्ता दल सभी राजनीतिक दलों से अपील कर इस फैसले का स्वागत करती है। इसके लिए यह भी कहा जा सकता है कि यह पार्टी दलित विरोधी है। जबकि हम सिर्फ समानता की बात कर रहे हैं। मुआवजा बराबर मिलना चाहिए, बराबरी की बात करना अपराध नहीं होता। हम चाहते हैं कि आम दलित तक रोशनी पहुंचाई जाए।

उन्होंने कहा कि चुनाव आयोग में पंजीकरण के लिए आवेदन किया गया है। तीन नाम दिए गए हैं, जनसत्ता दल, जनसत्ता लोकतांत्रिक दल या जनसत्ता पार्टी। हालांकि अभी आयोग ने पार्टी के नाम पर मुहर नहीं लगाया है। उन्होंने कहा कि मजदूर, किसान और जवान के लिए हमारी पार्टी संकल्पित है। इनके लिए उन्होंने कई घोषणाएं भी कीं।

80 फीसदी ने कहा, बनाएं पार्टी

राजा भैया ने दलगत राजनीति में उतरने से पहले 20 लाख लोगों के बीच में सर्वे कराया। इसमें तीन विकल्प दिए गए थे। पहला, किसी दल की सदस्यता स्वीकार करें, दूसरा निर्दलीय और तीसरा स्वयं का संगठन। इसमें करीब 80 फीसदी ने राजा भैया को खुद का दल बनाने की सहमति दी।

भाजपा ने पूर्व विधायक को पार्टी से निकाला

राजा भैया की रैली पर भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष डॉ. महेन्द्र नाथ पाण्डेय ने कहा कि ये उनका संवैधानिक अधिकार है। हमारा वोटर हमारे साथ है, बीजेपी को इन सब चीजों से कोई मतलब नहीं कि कौन क्या कर रहा है। पूर्व विधायक चन्द्रभद्र सिंह उर्फ सोनू सिंह (सुल्तानपुर) को पार्टी विरोधी गतिविधियों में सम्मलित होने के कारण तत्काल प्रभाव से पार्टी से निष्कासित कर दिया है।

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