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मौजूदा विधायकों और मंत्रियों को लोकसभा चुनाव में नहीं उतारेगी आम आदमी पार्टी

आम आदमी पार्टी (आप) आगामी लोकसभा चुनावों में अपने विधायकों और मंत्रियों को नहीं उतारेगी। दिल्ली आप...
मौजूदा विधायकों और मंत्रियों को लोकसभा चुनाव में नहीं उतारेगी आम आदमी पार्टी

आम आदमी पार्टी (आप) आगामी लोकसभा चुनावों में अपने विधायकों और मंत्रियों को नहीं उतारेगी। दिल्ली आप के संयोजक गोपाल राय ने यह जानकारी देते हुए कहा कि दिल्ली, पंजाब और हरियाणा में आम चुनावों के लिए पार्टी के उम्मीदवारों की घोषणा चुनाव की अधिसूचना से बहुत पहले कर दी जाएगी।

मीडिया से बातचीत में गोपाल राय ने कहा, 'हम अपने मौजूदा विधायकों को टिकट नहीं देने जा रहे हैं। सभी लोग इच्छुक हैं, लेकिन हम उन्हें टिकट नहीं देंगे।' पार्टी दिल्ली की सात संसदीय सीट में छह के लिए प्रभारियों की पहले ही घोषणा कर चुकी है। केवल पश्चिम दिल्ली सीट के लिए प्रभारी की घोषणा अभी बाकी है।

उन्होंने कहा कि हम दिल्ली, हरियाणा और पंजाब में चुनावों की घोषणा होने से काफी पहले अपने उम्मीदवारों की घोषणा कर देंगे। आप ने कांग्रेस के साथ गठबंधन की संभावनाओं को खारिज करते हुए इन तीनों राज्यों में अकेले ही लोकसभा चुनाव लड़ने का फैसला किया है।

महाराष्ट्र में नहीं लड़ेगी चुनाव

इससे पहले आप की राष्ट्रीय प्रवक्ता प्रीति शर्मा मेनन ने सोमवार को कहा था कि पार्टी चार राज्यों दिल्ली, पंजाब, हरियाणा और गोवा में लोकसभा चुनाव लड़ेगी लेकिन उसने महाराष्ट्र में अभी तक चुनाव नहीं लड़ने का फैसला किया है। उन्होंने कहा था कि फिलहाल हम लोग महाराष्ट्र में किसी सीट पर चुनाव नहीं लड़ रहे हैं।अगर हमें लगा कि इससे भाजपा को हराने में मदद मिलेगी तो पार्टी कुछ सीटों पर विचार कर सकती है।

बड़े चेहरे हैं गायब

अन्ना आंदोलन से निकली आम आदमी पार्टी भारतीय राजनीति में एक उदाहरण बन गई थी। यह देश की पहली पार्टी थी जिसने इतनी जल्दी लोकप्रियता हासिल की और एक केंद्र शासित प्रदेश दिल्ली में सरकार भी बनाई। पार्टी ने 2014 का लोकसभा चुनाव भी लड़ा था लेकिन कुछ खास हासिल नहीं कर पाई। लेकिन अब 2019 का लोकसभा चुनाव 'आप' के लिए चुनौती साबित होने वाला है।

इस समय पार्टी में तमाम बड़े चेहरे गायब हैं जिहोंने साल 2014 के लोकसभा चुनाव में रणनीति बनाने का काम किया था। उन्होंने पार्टी मुखिया और दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के खिलाफ मोर्चा खोला हुआ है। आप के शुरुआती राजनीति के सबसे बड़े रणनीतिकार योगेंद्र यादव ने तो अपनी स्वराज पार्टी भी बना ली और वह गांव-गांव में जाकर किसानों से संपर्क साधने में जुटे हैं।

कई मामलों में हुई फजीहत

अलग तरह की राजनीति का दावा करने वाली पार्टी की कई नेताओं से खासी किरकिरी भी हुई। इसमें वकालत की फर्जी डिग्री मामले में पूर्व कानून मंत्री जितेंद्र सिंह तोमर हो या फिर पत्नी के साथ मारपीट मामले में सोमनाथ भारती। इनके अलावा ऑफिस ऑफ प्रॉफिट मामले में 21 विधायकों को लेकर भी पार्टी को खासी फजीहत का सामना करना पड़ा है।

 

 

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