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हरियाणा में कांशीराम की टूट रही मूर्ति, यूपी में श्‍ााह दलितों संग खा रहेे रोटी

बसपा प्रमुख मायावती ने भाजपा शासित हरियाणा में कांशीराम की प्रतिमा तोड़े जाने की घटना की निन्दा करते हुए मंगलवार को मांग की कि हरियाणा सरकार दोषियों पर सख्त कार्रवाई करे। मायावती ने कहा, एक तरफ मानवतावादी आंदोलन को गति प्रदान करने वाले कांशीराम जी की प्रतिमा को तोड़ने का घिनौना काम किया जाता है तो दूसरी तरफ भाजपा अध्यक्ष अमित शाह एक ओबीसी समाज के व्यक्ति के घर दलितों के साथ खाना खाने का वैसा ही नाटक करते हैं, जैसा कांग्रेस पार्टी के युवराज :राहुल गांधी: खासकर बसपा शासन के दौरान उत्‍तर प्रदेश में किया करते थे।
हरियाणा में कांशीराम की टूट रही मूर्ति, यूपी में श्‍ााह दलितों संग खा रहेे रोटी

उल्लेखनीय है कि हरियाणा के गुड़गांव में अज्ञात लोगों ने सोमवार को बसपा संस्थापक कांशीराम की प्रतिमा तोड़ दी थी। मायावती ने कहा कि भाजपा आज से नहीं बल्कि जनसंघ के समय से ही अपने चाल, चरित्र व चेहरे से हमेशा ही जातिवादी प्रवृत्ति की रही है और इनकी दलित-विरोधी मानसिकता के कारण ही यहांं दलित व पिछड़े समाज के लोगों को अपूरणीय क्षति झोलनी पड़ी है। उन्होंने कहा कि इसी मानसिकता के कारण दलितों को आत्मसम्मान व स्वाभिमान से जीने का हक खासकर भाजपा शासित राज्यों में नहीं दिया जा रहा है। उनको मिलने वाले आरक्षण के संवैधानिक हक से भी वंचित रखा जा रहा है। इतना ही नहीं बल्कि अब तो आरक्षण की व्यवस्था को समाप्त करने की ही साजि़श की जा रही है।

मायावती ने कहा कि भाजपा ने कांग्रेस के साथ मिलकर आरक्षण की कानूनी व्यवस्था को पहले ही काफी निष्कि्य व निष्प्रभावी बना दिया है, जिससे सरकारी नौकरियों में अब इनकी संख्या लगातार कम होती जा रही है। उन्होंने कहा, भाजपा और नरेन्द्र मोदी सरकार किसानों की कितनी ज्यादा विरोधी है और किसानों को, उनकी ज़मीन से बेदखल करके उद्योगपतियों को ज़मीन देने के मामले में कितनी हद तक आगे जा सकती है, यह पूरे देश ने देखा है।

बसपा प्रमुख ने कहा कि भूमि अधिग्रहण कानून को बदलने के लिये मोदी सरकार बार-बार नया अध्यादेश लायी। लेकिन अन्य राजनीतिक पार्टियों के सख़्त विरोध और किसानों की जबर्दस्त एकजुटता के कारण भाजपा सरकार को फिर मुंंह की खानी पड़ी और उस किसान-विरोधी अध्यादेश को वापस लेना पड़ा। उन्होंने कहा कि इतना ही नहीं उत्‍तर प्रदेश मेें 2017 के विधानसभा चुनावों के मद्देनज़र दलितों, अन्य पिड़ों व किसानों आदि को बरगलाने के प्रयास हो रहे हैं। 

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