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योगेद्र यादव बनाएंगे पार्टी, बोले-मूर्तियों की दुकान निकली 'आप'

आम आदमी पार्टी से निकाले गए योगेन्द्र यादव एक नई पार्टी बनाना चाहते हैं। आम आदमी पार्टी और अरविंद केजरीवाल पर निशाना साधते हुए उन्होंने कहा कि लोगों ने आप को मंदिर समझा था लेकिन वह मूर्तियों की एक दुकान भर निकली। उन्होंने एक ऐसी पार्टी का गठन करने की इच्छा जताई जो आतंरिक लोकतंत्र, पारदर्शिता, जवाबदेही के मानकों पर खरा उतरकर देश भर में उर्जा का संचार करे।
योगेद्र यादव बनाएंगे पार्टी, बोले-मूर्तियों की दुकान निकली 'आप'

स्वराज अभियान के संयोजक और आम आदमी पार्टी के पूर्व नेता योगेन्द्र यादव ने रविवार को एक नई राजनीतिक पार्टी का गठन करने की बात कहते हुए कहा, हम पार्टी का गठन करते समय यह सुनिश्चित करेंगे कि स्वराज अभियान स्वतंत्र रूप से काम करता रहे और इसका प्रस्तावित पार्टी में विलय न हो। उन्होंने आम आदमी पार्टी की मूल संस्था इंडिया एगेंस्ट करप्शन का जिक्र करते हुए कहा कि उसे समाप्त करना एक भूल थी जिसके कारण पार्टी पर नजर रखने और मार्गदर्शन करने वाला कोई नहीं रह गया। पूर्व आप नेता ने कहा,  हमारी नीति स्पष्ट है और हम एक वैकल्पिक राजनीतिक शक्ति विकसित करना चाहते हैं और पार्टी बनाना चाहते हैं। हम इसके द्वारा आतंरिक लोकतंत्र, पारदर्शिता, जवाबदेही के मानकों पर खरा उतरकर देश भर में उर्जा का संचार करना चाहते हैं। इस दिशा में हमने कई कदम उठाए हैं। योगेंद्र ने दावा किया कि किसी भी तरह से पार्टी बनाना और चुनाव लड़ना हमारा उद्देश्य नहीं है। इस विषय पर जो भी होगा, सार्वजनिक तौर पर और लोकतांत्रिक प्रक्रिया के जरिये होगा।

स्वराज अभियान का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि यह एक प्रयास है। देश में भ्रष्टाचार विरोधी आंदोलन में जो अद्भुत उर्जा पैदा हुई थी, उस उर्जा को बनाए रखकर राष्ट्र के विकास के लिए उपयोग किया जाए। योगेन्द्र ने कहा,  फिलहाल हमारा सारा ध्यान कुछ ऐसे मुद्दों पर है जिन्हें देश की राजनीति की मुख्यधारा में नहीं उठाया गया। जो ज्वलंत हैं लेकिन जिन पर पर्याप्त ध्यान नहीं दिया गया। किसानों का मुद्दा एक प्रमुख विषय है जिस पर ध्यान नहीं दिया गया। भूमि अधिग्रहण और देश में सूखे की स्थिति ऐसे विषय हैं जिन्हें हमने उठाया है और आगे भी समेकित ढंग से काम करना है। उन्होंने कहा कि बुंदेलखंड में सूखे का विषय, खाद्य सुरक्षा कानून का अनुपालन जैसे कई मुद्दे हैं जिन्हें स्वराज आंदोलन ने आगे बढ़ाया है। खाद्य सुरक्षा कानून के विषय पर हमने उच्चतम न्यायालय का दरवाजा खटखटाया। हम देशभर के भ्रष्टाचार विरोधी कार्यकर्ताओं को एक बार फिर से एकजुट करेंगे और इस दिशा में दिल्ली में 27-28 फरवरी को सम्मेलन का आयोजन कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि हम शिक्षा के साथ युवाओं को जागृत करने का काम कर रहे हैं और इस दिशा में इलाहाबाद उच्च न्यायालय के उस फैसले को एक अभियान के तौर पर आगे बढ़ा रहे हैं जिसमें अदालत ने कहा था कि सरकारी कर्मचारियों के बच्चों को सरकारी स्कूल में पढ़ना चाहिए। 

अरविंद केजरीवाल के नेतृत्व वाली आप सरकार के कामकाज एवं दशा दिशा पर करारा प्रहार करते हुए उनके पूर्व सहयोगी योगेन्द्र ने कहा है कि लोगों ने आप को मंदिर समझा पर वह मूर्तियों की दुकान निकली। उन्होंने कहा कि आप और उसके नेतृत्व ने लोगों की उम्मीदों पर कुठाराघात किया है जिससे मर्यादा एवं नैतिकता की वैकल्पिक राजनीति की बात करने वालों के लिए दोगुनी बड़ी चुनौती खड़ी हो गई है। उन्होंने कहा,  यह बेहद दुख का विषय है कि आम आदमी पार्टी आज भारत की एक आम पार्टी बन कर रह गई है। कांग्रेस, भाजपा, सपा, तेदेपा या किसी अन्य पार्टी की तरह ही चुनाव जीतना, सरकार बनाना और हर कीमत पर उसे बचाना यहीं तक वह सीमित हो गई है। केजरीवाल के नेतृत्व वाली दिल्ली सरकार पर निशाना साधते हुए उन्होंने कहा, न तो विचारों का आग्रह और न ही न्यूनतम नैतिकता और मर्यादा रह गई है। विचारों का स्थान सस्ते लोकलुभावन चीजों ने लिया है और तालियां बटोरना एकमात्र उद्देश्य रह गया है। कोई समग्र विचार नहीं है। लोगों को निराशा होती है जब जिन न्यूनतम कार्यों के लिए पार्टी बनी, उन्हें तिलांजलि दी जाती है। 

उन्होंने आप सरकार के पूर्व मंत्री जितेन्द्र तोमर, सोमनाथ भारती आदि का नाम लिया और कहा कि इनके कृत्य लज्जित करने वाले थे लेकिन आप नेतृत्व और सरकार इन चीजों पर मूकदर्शक बनी रही, ऐसे में दूसरी पार्टियों से यह अलग कैसे हुई? योगेन्द्र ने कहा,  लोगों ने इसे बाकी दुकानों से अलग एक मंदिर समझा था लेकिन जिन लोगों ने इसे मंदिर समझा, उनके लिए यह मूर्तियों की दुकान भर निकली। उन्होंने कहा कि आप आज एक एेसी पार्टी रह गई है जो सिर्फ अपने या पराये के स्तर पर अंतर करती है और आरोपों का सामना कर रहे अपने नेताओं का अंत तक बचाव करती है। एेसा कहते हुए मैं यह तो नहीं कहता कि केजरीवाल सरकार अब तक की सबसे बुरी सरकार है, हो सकता है कि यह कांग्रेस या भाजपा सरकार की तुलना में बेहतर हो लेकिन दिक्कत इस बात की है कि जिन आम लोगों ने इससे अपने सपनों को जोड़ा था, उनके साथ कुठाराघात हुआ है।

 

 

 

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