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बच्चियों से रेप के दोषियों को मौत की सजा वाला बिल लोकसभा में पारित

12 साल की कम उम्र की बच्चियों से रेप के दोषियों को मौत की सजा देने के प्रावधान वाले बिल को लोकसभा ने...
बच्चियों से रेप के दोषियों को मौत की सजा वाला बिल लोकसभा में पारित

12 साल की कम उम्र की बच्चियों से रेप के दोषियों को मौत की सजा देने के प्रावधान वाले बिल को लोकसभा ने सोमवार को ध्वनिमत से पारित कर दिया।  आपराधिक कानून (संशोधन) बिल 2018 को लगभग सभी दलों ने समर्थन दिया। विपक्ष के कुछ सदस्यों ने कानून को लागू करने के लिए अध्यादेश का रास्ता अपनाने पर सरकार का विरोध किया। विपक्षी सदस्यों द्वारा सुझाए गए संशोधनों को ध्वनिमत से खारिज कर दिया गया।

इस मामले में दो घंटे चली चर्चा का जवाब देते हुए गृह राज्य मंत्री किरऩ रिजिजू ने कहा कि कठोर कानून बनाने का मकसद नाबालिग बच्चियों को सुरक्षा प्रदान करना है। उन्होंने कहा अभी भारतीय दंड संहिता में महिलाओं के साथ रेप के दोषियों के लिए सजा का प्रावधान तो है पर 16 या 12 साल से कम उम्र की नाबालिग बच्चियों के साथ किए गए रेप या गैंग रेप कोई प्रावधान नहीं है। उन्होंने कहा कि सरकार ने जो नया कानून प्रस्तावित किया है इसमें ऐसे अपराध के लिए सजा के कई महत्वपूर्ण प्रावधान किए गए हैं।

उन्होंने कहा कि 12 साल से कम उम्र की बच्चियों के साथ रेप और और गैंगरेप की हाल की घटनाओं ने पूरे देश की विवेक को हिला दिया है। इसलिए, ऐसे अपराधों के लिए और कठोर दंड की जरूरत है। चर्चा के दौरान लोकसभा की कार्यवाही का संचालन कर रहे उपाध्यक्ष एम थंबी दुरई ने सलाह दी कि सजा के प्रावधानों का अधिकतम प्रचार करने की जरूरत है। इस पर मंत्री ने सहमति जताई।

चर्चा की शुरूआत करते हुए भाजपा की किरण खेर ने कहा कि यह संशोधन विधेयक बालिकाओं से बलात्कार जैसे जघन्य अपराध के खिलाफ महत्वपूर्ण कदम है जो लड़कियों के लिये सुरक्षित भविष्य को सुनिश्चित करेगा।
उन्होंने कहा कि हमारे समक्ष 2-3 वर्ष की बच्चियों से बलात्कार की खबरें आ रही हैं, ऐसे में एक जनप्रतिनिधि के तौर पर हम असंवेदनशील नहीं रह सकते । कानून को सख्त बनाना अत्यंत जरूरी है और ऐसे अपराधियों के संबंध में मृत्यु दंड महत्वपूर्ण प्रावधान है। खेर ने कहा कि इसमें छह महीने में अपील की सुनवाई पूरी होने की बात कही गई है क्योंकि हमने निर्भया मामले में देखा कि मामले में 4 वर्ष लग गए । सरकार ने विशेष अदालत गठित करके मामले का निपटारा करने की बात कही है।
कांग्रेस की रंजीत रंजन ने कहा कि कोई भी कानून तब तक प्रभावी नहीं हो सकता है जब तक व्यवस्था कारगर नहीं हो और समाज जागरूक नहीं हो। उन्होंने कहा कि बलात्कार के मामले में जांच का विषय आता है तब छह-सात राज्यों में ही फोरेंसिक लैब हैं। बलात्कार के मामले में पुलिस थाने पर लोगों को भरोसा नहीं होता है। रंजीत रंजन ने कहा कि बलात्कार का मामला राजनीति का अखाड़ा बनाया जा रहा है और इस सिलसिले में कठुआ, मंदसौर ही नहीं निठारी और अन्य मामलों का भी वह जिक्र करना चाहेंगी ।
उन्होंने कहा कि थाना या डॉक्टर सहित अगर किसी अन्य ने अपना काम ठीक से नहीं किया है, तब इनके खिलाफ कार्रवाई का क्या प्रावधान है । यह भी स्पष्ट हो । अगर एक बार बलात्कार की पुष्टि होती है तब बच्ची को दुबारा पड़ताल के लिए नहीं बुलाया जाना चाहिए ।
अन्नाद्रमुक के पीजी वेंकटेश ने कहा कि इस विधेयक को तैयार करने में काफी शोध किया गया है। इसमें मृत्युदंड को प्रतिरोधक के तौर पर रखा गया है। ऐसे जघन्य अपराध करने वालों को कोई रियायत नहीं मिलनी चाहिए। उन्होंने कहा कि इसे लागू करने के आयामों पर खास ध्यान देने की जरूरत है। इसके साथ ही यौन शिक्षा पर ध्यान देना चाहिए । 

 तृणमूल कांग्रेस के सौगत रॉय ने विधेयका समर्थन करते हुए कहा कि बच्चियों के खिलाफ ऐसे जघन्य अपराध के दोषियों पर कोई दया नहीं होनी चाहिए। उन्होंने कुछ राज्यों में बलात्कार की घटनाओं का आंकड़ा पेश किया और कहा कि सख्त कानून बनाने के साथ ही इसका सही क्रियान्वयन होना चाहिए।
बीजद के पिनाकी मिश्रा ने कहा कि ढांचागत खामियों के चलते पॉक्सो नाकाम होता दिख रहा है। उन्होंने कहा कि इस विधेयक के दायरे में लड़कों के साथ होने वाले जघन्य अपराधों को भी शामिल किया जाना चाहिए। मिश्रा ने कड़ी सजा के प्रावधान का समर्थन किया, हालांकि मौत की सजा पाने वालों में अधिकतर गरीब लोग होते हैं।

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