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हंगामे के बावजूद सरकार अब सदन में काम कराएगी

ऐसा लगता है कि केंद्र सरकार ने सोच लिया है कि संसद में विपक्षी दलों के हंगामे के बावजूद जरूरी विधायी कार्य निपटाएगी। इसकी एक बानगी शुक्रवार को लोकसभा में देखने को मिली जब कांग्रेस, वामदलों एवं कुछ अन्य विपक्षी सदस्यों के हंगामे के बावजूद लोकसभा अध्यक्ष सुमित्रा महाजन ने लोकसभा की कार्यवाही स्‍थगित नहीं की और प्रश्नकाल का संचालन होता रहा।
हंगामे के बावजूद सरकार अब सदन में काम कराएगी

हालांकि फिर भी भोजनावकाश से आधा घंटा पहले ही उन्होंने सदन को दोपहर दो बजे तक के लिए स्‍थगित कर दिया। खास बात यह रही कि शोर-शराबे को लेकर विपक्षी सदस्य बंटे दिखे। जहां कांग्रेस और वामदल अध्यक्ष के आसन के करीब आकर हंगामा करते दिखे वहीं तृणमूल कांग्रेस के सदस्य पहले तो अपनी सीटों पर बैठे दिखे और बाद में कांग्रेस के सचेतक ज्योतिरादित्य सिंधिया के उनसे आग्रह करने पर वे अपनी सीटों पर खड़े तो हो गए मगर आसन के पास आकर हंगामे में हिस्सा नहीं लिया।

सरकार से जुड़े सूत्रों का कहना है कि सरकार अब विपक्ष के हंगामे को ज्यादा भाव देने के मूड में नहीं है। वैसे भी मीडिया की सुर्खियों से सुषमा, वसुंधरा और शिवराज की खबरें हट चुकी है और सरकार को लग रहा है कि इन मुद्दों पर भी अब वह आक्रामक रुख अपना सकती है। ऐसे में अगर वह हंगामे के बावजूद कम से कम लोकसभा को चलाने में कामयाब हो जाती है तब भी बहुत से विधायी कार्य और कई लंबित बिल कम से कम एक सदन से पारित कराए जा सकते हैं। सरकार के लिए भूमि विधेयक, वस्तु एवं सेवा कर विधेयक, रीयल इस्टेट नियामक विधेयक और जुवेनाइल जस्टिस, भ्रष्टाचार निरोधक जैसे कई महत्वपूर्ण कानूनों में बदलाव से संबंधित विधेयकों को पारित कराना जरूरी है और सरकार अब इस मूड में दिख रही है कि भले ही विपक्ष राज्यसभा न चलने दे मगर कम से कम इनमें से कुछ विधेयकों को लोकसभा से इसी सत्र में पारित करवा लिया जाए।

दरअसल, सरकार की नजर अब अगले वर्ष राज्यसभा के दि्ववार्षिक चुनावों पर टिकी है जहां बदली परिस्थितियों में भाजपा की अपनी स्थिति में जबरदस्त सुधार आने और कांग्रेस तथा वाम दलों की स्थिति कमजोर होना तय है। भाजपा को वर्तमान परिस्थितियों में 15 सीटों का फायदा हो सकता है और अगर बिहार चुनाव एनडीए के पक्ष में गए तो यह आंकड़ा 20 तक पहुंच सकता है। ऐसे में राज्यसभा में भारतीय जनता पार्टी की सदस्य संख्या उसके वर्तमान 48 से उछलकर 63 या 68 तक पहुंच सकती है जबकि कांग्रेस के सीटों की संख्या 68 से घटकर 50 से नीचे आ सकती है। तब एनडीए के सीटों की संख्या 90 के करीब पहुंच सकती है और तब अगर सरकार अन्नाद्रमुक, बीजद जैसे कुछ दलों को अपने साथ जोड़ने में कामयाब हो गई तो पार्टी की नैया राज्यसभा में भी पार लग सकती है। इसी रणनीति पर चलते हुए केंद्र सरकार अब तमाम हंगामे के बावजूद लोकसभा को चलाते रहने के पक्ष में है। जरूरी विधेयक अगर लोकसभा से पारित हो गए तो उन्हें सिर्फ राज्यसभा से पारित करवाना रह जाएगा और उस सदन में संख्याबल थोड़ा भी अपने पक्ष में झुकते ही सरकार इस काम को अंजाम दे सकती है।

शुक्रवार को ललित मोदी प्रकरण एवं अन्य मुद्दों को लेकर कांग्रेस, वाम समेत कुछ अन्य दलों के सदस्यों के भारी हंगामे के बावजूद अध्यक्ष सुमित्रा महाजन ने शुक्रवार को लोकसभा में प्रश्नकाल सहित अन्य कार्यवाही पूरी करने का प्रयास किया। उन्होंने शोर शराबे में ही प्रश्नकाल की पूरी कार्यवाही चलायी। इस दौरान कंपनी बोर्ड में महिला निदेशक, चाय अनुसंधान और विकास केंद्र, महिला एवं बाल अधिकारों का उल्लंघन, विमान दुर्घटना, राज्यों को विशेष पैकेज, आयुष संबंधी एनएसएसओ सर्वेक्षण आदि विषयों पर सदस्यों ने सवाल पूछा और संबंधित मंत्रिायों ने उनके जवाब दिए। काली पट्टी बांध कर सदन में नहीं आने की लोकसभा अध्यक्ष की चेतावनी के बावजूद कांग्रेस सदस्य आज भी सदन में अपनी बांह पर काली पट्टी लगाकर आए थे। कांग्रेस, वामदल एवं अन्य सदस्य आसन के समीप आकर नारेबाजी करते रहे।

इसपर संसदीय कार्य मंत्री एम वेंकैया नायडू ने कहा कि इन लोगों को (शोर शराबा कर रहे विपक्षी सदस्य) देश की जनता ने अस्वीकार कर दिया है। सत्ता खोने से हताश हो गए हैं। लोकतंत्र के नाम पर फ्रॉड किया जा रहा है। 40 लोग संसद को बंधक नहीं बना सकते हैं। शोर शराबे से क्षुब्ध सुमित्रा महाजन ने कहा, अगर आप इन सब चीजों को टीवी पर दिखाना चाहते हैं, तो मुझे कोई आपत्ति नहीं, पूरा देश देख ले। लेकिन आज मैं सदन की कार्यवाही स्थगित नहीं करूंगी। हालांकि, शोर शराबा जारी रहने पर उन्होंने भोजनावकाश से लगभग आधा घंटा पहले ही सदन की कार्यवाही दोपहर दो बजे स्थगित कर दी। 

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