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राहुल ने फिर किया मोदी पर वार, कहा-नीरव, चौकसी और पीएम के बीच है एक रिश्ता

कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने एक बार फिर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर जम कर निशाना साधा है। लंदन...
राहुल ने फिर किया मोदी पर वार, कहा-नीरव, चौकसी और पीएम के बीच है एक रिश्ता

कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने एक बार फिर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर जम कर निशाना साधा है। लंदन में शनिवार को भारतीय पत्रकार संघ के कार्यक्रम में उन्होंने कहा कि नीरव मोदी, मेहुल चोकसी और प्रधानमंत्री जी के बीच एक रिश्ता है। उनके खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं हुई। राष्ट्रीय स्वयंयेवक संघ पर हमला जारी रखते हुए उन्होंने कहा कि मुस्लिम ब्रदरहुड और आरएसएस के बीच काफी समानता है। वे सत्ता पर कब्जा करने के लिए लोकतांत्रिक प्रक्रियाओं का सहारा लेते हैं। राहुल ने कहा कि मैं किताबों पर प्रतिबंध लगाने के लिए नहीं हूं। हमें लोगों को अपनी राय बताने देना चाहिए। अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर व्यवस्थित हमला हो रहा है, जो सीधे नागपुर के इशारे पर हो रहा है।

कांग्रेस अध्यक्ष ने कहा कि लोग अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और मोदी जैसे लोकप्रिय नेताओं का इसलिए समर्थन करते हैं क्योंकि उनके पास रोज़गार नहीं है और वे गुस्से में हैं। इस समस्या को हल करने की बजाय ये नेता उस गुस्से का इस्तेमाल करते हैं। उन्होंने ऐसा करके देश को नुकसान पहुंचाया है।

राहुल ने कहा कि क्या मोदी जी भारतीय पत्रकार संघ का निमंत्रण स्वीकार करेंगे? नहीं, वे। ऐसा नहीं करेंगे। आपको पता करना चाहिए कि वो ऐसा क्यों नहीं करेंगे। उन्होंने कहा कि मोदी अपनी पार्टी के लोगों को दरकिनार कर फैसला लेते है। नोटबंदी इस बात का सबसे बड़ा उदाहरण है कि केवल एक व्यक्ति का दिमाग अपनी राय रख रहा है। भारतीय संस्थानों का पूरी तरह से अपमान किया गया, जब पूरी कैबिनेट को एक कमरे में बंद करके एक व्यक्ति ने फैसला लिया।

उन्होंने कहा कि नौकरी का संकट और कृषि की दुर्दशा इन दो समस्याओं को भारत को स्वीकार करना होगा। हमें अपने बुनियादी ढांचे को जोड़ने की जरूरत है। हमें कृषि, एमएसएमई को जोड़ने और उन्हें भारत को विकसित करने देने की जरूरत है।

राहुल गांधी ने आरोप लगाया कि भारत सरकार के विदेशी मामलों के साथ समस्या ये है कि इसमें रणनीति की घोर कमी है, केवल तदर्थवाद है। नेपाल, श्रीलंका, अफगानिस्तान सभी के साथ संबंध विफल हो रहे हैं। इतना ही नहीं प्रधानमंत्री विदेशी मामलों को एक कार्यक्रम की तरह देखते हैं। कोई ढांचा नहीं है। विदेश मंत्री का ज्यादातर समय वीजा बनाने में बीत जाता है, विदेश मंत्री के तौर पर ये उनका काम नहीं है। उनको हर कदम पर अपमानित किया गया।

उन्होंने कहा कि विपक्षी दलों के सभी नेताओं की पुरजोर आम राय है कि आरएसएस व्यवस्थित रूप से देश की संस्थाओं पर हमला कर रहा है और उसमें अपने लोगों को भर रहा है, और हमें हर हाल में इनकी रक्षा करनी है। उन्होंने कहा कि मैं आपसे पूरी तरह से असहमत हो सकता हूं, हर कदम पर आपसे लड़ सकता हूं लेकिन फिर भी आपका सम्मान करूंगा। ये हमारे देश की प्रकृति है। लेकिन दुःख की बात ये है कि आज कई लोग ऐसे नहीं देखते।

कांग्रेस अध्यक्ष ने कहा कि बुलेट ट्रेन चल नहीं रही है। आपके पास बुलेट ट्रेन का फैंसी पोस्टर हो सकता है, लेकिन बुलेट ट्रेन के टिकट की लागत हवाई जहाज के टिकट से अधिक है। अगर हमें जापान की तरफ से बुलेट ट्रेन के लिए पैसों की पेशकश की गई होती, तो हमारा जवाब होता कि हमें पैसे दें और साथ ही भारतीय रेलवे के बुनियादी ढाँचे को मजबूत करने में हमारी मदद भी करें। कांग्रेस अध्यक्ष ने कहा कि मोदी जी ने खुद कहा था कि बुलेट ट्रेन महत्वपूर्ण नहीं है, दुनिया को ये दिखाना है कि हम बुलेट ट्रेन बना सकते हैं। यह सब धारणा की बात है, इसमें कोई सच्चाई नहीं है। इस तरह की सोच काम नहीं करती।

उन्होंने कहा कि प्रेस मेरा मजाक उड़ाता है, लेकिन हम स्वास्थ्य देखभाल वाली सोने की खान पर बैठे हैं। हर देश में चिकित्सा विशेषज्ञ हैं। स्वास्थ्य देखभाल खुद ही हमारे देश में रणनीतिक बदलाव का माहौल बना सकता है। लेकिन इस पर कोई बात नहीं होती। जब मैं कहता हूं कि चिकित्सा का भविष्य चिकित्सा प्रक्रियाओं के आपस में जुड़ने में है, प्रेस मुझ पर हंसता है, वो गलत है।

कांग्रेस अध्यक्ष ने कहा कि जब पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी ने भारत में कंप्यूटर की शुरुआत की तो इन लोगों ने उनका भी मज़ाक उड़ाया था। लोगों ने कहा था कि उनको ये समझ नहीं आता कि कंप्यूटर का भारत से कोई लेना-देना नहीं है। वही लोग अब भाषण देते हैं कि कंप्यूटर कितनी शानदार चीज है।

उन्होंने आरोप लगाया कि मोदी जी मनरेगा को लोगों के लिए प्रचार वाले पर्चे की तरह देखते हैं। ऐसा नहीं है। यह एक आर्थिक रणनीति है जो न्यूनतम मजदूरी प्रदान करती है, लेकिन उनको ये समझ में नहीं आता है।

राहुल गांधी ने कहा कि पाकिस्तान के साथ समस्या गहरी है। इस बात की कोई गारंटी नहीं है कि पाकिस्तान में प्रधानमंत्री को देश के सभी संस्थानों का समर्थन हासिल है।

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