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जर्मनी में बोले राहुल, 'दलितों, अल्पसंख्यकों, आदिवासियों को अब सरकार से नहीं मिलता कोई फायदा’

कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ब्रिटेन और जर्मनी के चार दिवसीय दौरे पर हैं। उन्होंने बुधवार को...
जर्मनी में बोले राहुल, 'दलितों, अल्पसंख्यकों, आदिवासियों को अब सरकार से नहीं मिलता कोई फायदा’

कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ब्रिटेन और जर्मनी के चार दिवसीय दौरे पर हैं। उन्होंने बुधवार को हैम्बर्ग के बुसेरियस समर स्कूल में एक कार्यक्रम के दौरान मोदी सरकार पर जमकर निशाना साधा। उन्होंने कहा, “दलितों, अल्पसंख्यकों, आदिवासियों को अब सरकार से कोई फायदा नहीं मिलता। उनको फायदा देने वाली सारी योजनाओं का पैसा चंद बड़े कॉर्पोरेट के पास जा रहा है।”

इस दौरान राहुल गांधी ने नोटबंदी और जीएसटी को लेकर भी मोदी सरकार को कठघरे में खड़ा किया। उन्होंने कहा कि नोटबंदी और जीएसटी ने एमएसएमई के नकद प्रवाह को बर्बाद कर दिया और अनौपचारिक क्षेत्र में काम करने वाले लाखों लोग बेरोजगार हो गए।

एक ओर राहुल ने मोदी सरकार पर तीखा हमला बोला, तो दूसरी ओर अंतरराष्ट्रीय राजनीति पर भी अपने विचार रखे। भाषण की अहम बातें-

- रोजगार गारंटी योजना, भोजन का अधिकार, सूचना का अधिकार और बैंकों का राष्ट्रीयकरण ये कुछ ऐसे विचार थे, जो सभी सरकारें करना चाहती हैं, लेकिन अब ये विचार काफी हद तक नष्ट हो गए हैं। दलितों, अल्पसंख्यकों और आदिवासियों को अब सरकार से कोई फायदा नहीं मिलता है. उनको फायदा देने वाली सारी योजनाओं का पैसा चंद बड़े कॉर्पोरेट के पास जा रहा है।

- कुछ साल पहले, प्रधानमंत्री जी ने भारतीय अर्थव्यवस्था में नोटबंदी का फैसला किया और एमएसएमई के नकद प्रवाह को बर्बाद कर दिया, अनौपचारिक क्षेत्र में काम करने वाले लाखों लोग बेरोजगार हो गये। बड़ी संख्या में छोटे व्यवसायों में काम करने वाले लोगों को वापस अपने गांव लौटने को मजबूर होना पड़ा। इससे लोग काफी नाराज़ हैं। लिंचिंग के बारे में जो कुछ भी हम सुनते हैं वो इसी का परिणाम है।

- यदि आप लोगों को गले नहीं लगाते और उन्हें कोई दृष्टि नहीं देते, तो कोई और ऐसा करेगा और हो सकता है कि वो विचार आपके लिए अच्छा न हो। आपस में जुड़ी दुनिया में आपको सुनना होगा कि दूसरे क्या कह रहे हैं और वे कहां से आ रहे हैं। मैं किसी व्यक्ति से लड़ सकता हूं और उससे असहमत हो सकता हूं। लेकिन, नफरत खतरनाक चीज है।

- मैंने हिंसा को झेला है और मैं आपको बता सकता हूं, कि इससे निकलने का एकमात्र तरीका है - माफ करना। और माफ़ करने के लिए आपको यह समझना होगा कि ये कहां से आ रही है।

- 1991 में मेरे पिता को आतंकवादी ने मार डाला था। जब कुछ साल बाद उस आतंकवादी की मृत्यु हो गई, तो मैं खुश नहीं हुआ। मैंने खुद को उसके बच्चों में देखा।

- अमेरिका के साथ भारत के सामरिक संबंध हैं, और हम उनके साथ लोकतंत्र जैसे कुछ विचार साझा करते हैं। लेकिन चीन बहुत तेजी से बढ़ रहा है। भारत की भूमिका इन दो शक्तियों को संतुलित करने की है।

- शरणार्थियों के अपमान का कारण कामगारों के बीच नौकरियों की कमी होना है। इससे घृणा और टकराव पैदा हो रहा है।

- भारत और चीन के बीच कोई होड़ नहीं है। हो सकता है कि चीन भारत की तुलना में तेज़ी से बढ़ रहा हो, लेकिन भारत में लोग जो चाहते हैं वो व्यक्त कर सकते हैं, और यही मायने रखता है।

- जब मैं संसद और राजनीतिक दलों को देखता हूं, तो वहां महिला प्रतिनिधि काफी कम दिखाई देती हैं। हम महिला आरक्षण के लिए विधेयक लेकर आये हैं, लेकिन,ये पूरी तरह से सामाजिक मुद्दा है। यदि हम महिलाओं को शामिल नहीं करते हैं तो  देश का निर्माण नहीं कर सकते। भारतीय पुरुषों को महिलाओं को अपने बराबर देखना होगा।

- भारत में यदि हम सभी लोगों रोजगार दे पाते हैं तो जनसंख्या अपने आप में कोई समस्या नहीं है।

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