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केरल में संघ की रोजाना पांच हजार से ज्यादा शाखाएं

दक्षिण भारत में केरल अकेला राज्य है जहां तमाम प्रयास के बावजूद भारतीय जनता पार्टी को कभी बड़ी चुनावी कामयाबी नहीं मिली। हालांकि बीते विधानसभा चुनाव में पहली बार राज्य में कमल खिला और पार्टी का एक विधायक जीतने में कामयाब हुआ।
केरल में संघ की रोजाना पांच हजार से ज्यादा शाखाएं

कई सीटों पर पार्टी दूसरे स्‍थान पर रही। भाजपा की इस जीत के पीछे उसे मूल संगठन आरएसएस का बड़ा हाथ है जो पिछले कई वर्षों से केरल में जड़ें जमाने में जुटा है। संघ के प्रांतों (क्षेत्रों) में सबसे ज्यादा केरल में ही दैनिक शाखाओं का आयोजन किया जा रहा है। वरिष्ठ पदाधिकारी की मानें तो यहां रोजाना पांच हजार से ज्यादा शाखाएं लग रही हैं।

संघ के अखिल भारतीय सह प्रचार प्रमुख जे. नंदकुमार का दावा है कि ‘केरल में वाम मोर्चा अपनी जमीन खो रहा है। इसके कारण ज्यादा से ज्यादा लोग संघ में शामिल हो रहे हैं। पिछले कुछ वर्षो में केरल में लगने वाली शाखाओं में वृद्धि हुई है। संघ कार्यकर्ताओं पर हमले का यह एक प्रमुख कारण भी है।’ संघ अपनी सुविधाओं के आधार पर प्रांत या क्षेत्र का विभाजन करता है। जैसे उत्तर प्रदेश को छह प्रांतों में बांटा गया है। कुल मिलाकर इस राज्य में आठ हजार से ज्यादा दैनिक शाखाएं आयोजित की जाती हैं। महाराष्ट्र को चार क्षेत्रों में विभाजित किया गया है। यहां हर दिन चार हजार शाखाएं लगती हैं। नंदकुमार के अनुसार, केरल में संघ का दायरा नरेंद्र मोदी के प्रधानमंत्री बनने से पहले वर्ष 2010-11 से ही बढ़ना शुरू हो गया था। संगठन ने युवाओं को जोड़ने के लिए अभियान भी शुरू किया है। केरल में संघ और भाजपा कार्यकर्ताओं की लगातार हत्याएं हो रही हैं। राज्य सरकार के दावों के बावजूद इस पर लगाम नहीं लग पा रही हैं।

गौरतलब है कि 2016 के विधानसभा चुनाव में भाजपा ने केरल में एक विधानसभा सीट जीती, 7 पर दूसरे स्‍थान पर रही और कम से कम 30 सीटों पर पार्टी के उम्मीदवारों को 40 हजार से ज्यादा वोट मिले। राज्य में पार्टी का मत प्रतिशत 15 फीसदी को पार कर गया है और पार्टी को उम्मीद है कि अगले चुनाव तक पार्टी वहां अपनी स्थिति और मजबूत कर लेगी।

 

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