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राहुल ने मोदी को चिट्ठी लिखकर सैनिकों के हक में उठाई आवाज

कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को एक चिट्ठी लिखकर सैनिकों के हक में आवाज बुलंद की है। राहुल ने चिट्ठी में कहा है कि सेना के जवानों को वो सब कुछ मिलना चाहिए जिसके वे हकदार हैं।
राहुल ने मोदी को चिट्ठी लिखकर सैनिकों के हक में उठाई आवाज

राहुल गांधी ने जवानों के हक की बात करते हुए पीएम मोदी को लिखी चिट्ठी में कहा, वन रैंक वन पेंशन (OROP) पर सही तरह से अमल किया जाए जिसका कोई मतलब हो। उन्होंने कहा, इस व्यवस्था से जवानों को अपना बकाया क्लेम हासिल करने के लिए संघर्ष न करना पड़े। राहुल ने इस खत में लिखा कि विकलांगों को दी जाने वाली पेंशन हो, मुआवजा हो या फिर सामान्य कर्मचारियों के साथ बराबरी का मामला हो, सभी जवानों को उनका हक मिलना चाहिए। साथ ही उन्होंने लिखा, यही नहीं, वन रैंक वन पेंशन को सही तरीके से लागू किया जाए ताकि पूर्व सैनिकों को किसी तरह की शिकायत न रहे। अमेठी से सांसद राहुल ने सातवें वेतन आयोग का जिक्र करते हुए चिट्ठी में लिखा कि इस आयोग में जो गलतियां हैं उन्हें जल्द से जल्द सुधारा जाना चाहिए। चिट्ठी में राहुल ने यह भी कहा कि इस दीवाली हमारे जवानों तक यही संदेश पहुंचे कि हम हर लिहाज से उनके आभारी हैं।

राहुल ने शनिवार को लिखे खत में कहा, सरकार की तरफ से पिछले कुछ हफ्तों में लिए गए फैसलों ने सशस्त्र बलों के मनोबल को प्रभावित किया है। यह सरकार की ड्यूटी है कि वह जवानों का ध्यान रखे, जो देश की रक्षा के लिए हर दिन अपनी जान को जोखिम में डालते हैं। उन्होंने कहा, सरकार की तरफ से लागू वन रैंक वन पेंशन योजना पूर्व सैनिकों की मांगों को पूरा नहीं करती। अपनी आवाज सुनाने के लिए उन्हें सड़कों पर आना पड़ा। एक जिम्मेदार डेमोक्रेसी होने के नाते ये तय किया जाना चाहिए कि देश के लिए जान की बाजी लगाने वाले बहादुर सैनिक 125 करोड़ लोगों का लगाव और उनका सहयोग महसूस कर सकें।

चिट्ठी में राहुल ने लिखा, सर्जिकल स्ट्राइक के तुरंत बाद ही डिसएबिलिटी पेंशन सिस्टम को एक नए स्लैब सिस्टम में बदल दिया गया, जिससे कई मामलों में इन बहादुर जवानों के विकलांग होने की स्थिति में पेंशन कम हो गई है। साथ ही राहुल ने कहा, हम दिवाली को अंधेरे पर उजाले की विजय के तौर पर सेलिब्रेट करते हैं। हमें अपने जवानों को यही मैसेज देना चाहिए कि हम अपने शब्दों और कामों से उनके आभारी हैं।  यह उनके लिए बहुत कम है जो हमारे कल के लिए अपना आज बलिदान करते हैं।

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