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‘विंड टरबाइन से पानी’, राहुल गांधी ने कसा पीएम मोदी पर तंज तो भाजपा ने किया पलटवार

कोरोना वायरस, चीनी घुसपैठ, बेरोजगारी समेत अन्य मुद्दों को लेकर मोदी सरकार और प्रधानमंत्री नरेंद्र...
‘विंड टरबाइन से पानी’, राहुल गांधी ने कसा पीएम मोदी पर तंज तो भाजपा ने किया पलटवार

कोरोना वायरस, चीनी घुसपैठ, बेरोजगारी समेत अन्य मुद्दों को लेकर मोदी सरकार और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर लगातार निशाना साध रहे कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने एक बार फिर हमला बोला है। राहुल गांधी ने शुक्रवार को प्रधानमंत्री मोदी का एक वीडियो शेयर करते हुए तंज कसा है। राहुल ने पीएम मोदी के एक शीर्ष कंपनी के अधिकारी से बातचीत का वीडियो शेयर किया है। राहुल गांधी के इस बयान को लेकर भाजपा ने पलटवार किया है।

राहुल गांधी का पीएम पर तंज

राहुल गांधी ने शुक्रवार को अपने ट्वीट में लिखा, "भारत के लिए असल खतरा यह नहीं है कि हमारे प्रधानमंत्री को समझ नहीं है... वास्तविकता यह कि उनके आसपास मौजूद किसी भी शख्स में उन्हें यह बताने की हिम्मत नहीं है।"

भाजपा का पलटवार

राहुल गांधी के इस ट्वीट पर केंद्रीय रेल मंत्री पीयूष गोयल ने उन्हें जवाब दिया है। गोयल ने कहा, "राहुल गांधी के इर्द-गिर्द मौजूद किसी में इतनी हिम्मत नहीं है कि वे उन्हें बता सके कि उन्हें कुछ समझ नहीं आता है। जब दुनिया की अग्रणी कंपनी के सीईओ ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के विचार का समर्थन किया है तो वह उसका मजाक उड़ा रहे हैं।"

भाजपा की ओर से संबित पात्रा और अमित मालवीय ने भी राहुल गांधी को जवाब दिया है। संबित पात्रा ने ट्वीट में लिखा कि राहुल जी जब कल सुबह आप रात में उठेंगे तो इन साइंटिफिक पेपर्स को जरूर पढ़िएगा। मुझे पता है कि ये आपको समझ नहीं आएगा।

दूसरी ओर अमित मालवीय ने लिखा कि घमंड की कोई दवा नहीं होती। राहुल गांधी को लगता है कि दुनिया में हर कोई उनकी तरह ही बेखबर है जबकि पीएम मोदी की इन बातों को दुनिया की सबसे बड़ी विंड एनर्जी की कंपनी के सीईओ ने प्रेरणा दायक बताया था।

दरअसल, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने हाल ही में पवन ऊर्जा में भविष्य की संभावनाओं पर एक कंपनी की सीईओ के साथ बातचीत की। इस वीडियो में पीएम मोदी ने पूछा कि पवन ऊर्जा के आपके टरबाइन जहां नमी ज्यादा है, वहां हवा में से पानी सोख करके स्वच्छ जल भी उत्पादित कर सके तो यह गांवों के पेयजल की समस्या सुलझा सकते हैं। हम यह सुझाव देते हैं, क्या आपके वैज्ञानिक इस दिशा में कुछ कर सकते हैं।

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