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गडकरी का बयान एमपी, एमएलए हारते हैं तो उसका जिम्मेदार कौन, फिर बोले नेहरू का भाषण पसंद

केन्द्रीय मंत्री नितिन गडकरी एक के बाद एक बयान देकर सियासी घमासान मचा रहे हैं। गडकरी ने अब कहा है कि...
गडकरी का बयान एमपी, एमएलए हारते हैं तो उसका जिम्मेदार कौन, फिर बोले नेहरू का भाषण पसंद

केन्द्रीय मंत्री नितिन गडकरी एक के बाद एक बयान देकर सियासी घमासान मचा रहे हैं। गडकरी ने अब कहा है कि विधायक या सांसद हारते हैं तो उसके लिए कौन जिम्मेदार है। साथ ही उन्होंने खुद को नेहरू के भाषण का मुरीद भी बताया है। गडकरी ने इससे पहले कहा था कि पार्टी नेतृत्व को हार की जिम्मेदारी लेनी चाहिए। हालांकि इसे लेकर उन्होंने बाद में सफाई भी पेश की थी।

मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, दिल्ली में सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय के सालाना लेक्चर में गडकरी ने कहा, 'अगर मैं पार्टी का अध्यक्ष हूं और मेरे सांसद-विधायक अच्छा काम नहीं कर रहे हैं तो इसका जिम्मेदार कौन होगा? मैं।' उन्होंने कहा कि अगर विधायक या सांसद  हारे तो इसका जिम्मेदार कौन होगा?’

वहीं एक कार्यक्रम में नितिन गडकरी ने जवाहर लाल नेहरू के भाषणों की तारीफ की और खुद को उनके भाषणों का मुरीद बताया। केंद्रीय मंत्री ने कहा ''सिस्टम को सुधारने को दूसरे की तरफ उंगली क्यों करते हो, अपनी तरफ क्यों नहीं करते हो। जवाहर लाल नेहरू कहते थे कि इंडिया इज नॉट ए नेशन, इट इज ए पॉपुलेशन। इस देश का हर व्यक्ति देश के लिए प्रश्न है, समस्या है। उनके भाषण मुझे बहुत पसंद हैं। तो मैं इतना तो कर सकता हूं कि मैं देश के सामने समस्या नहीं बनूंगा।''

गडकरी के इस बयान को अप्रत्यक्ष तौर पर भारतीय जनता पार्टी आलाकमान के नेतृत्व पर निशाने की तरह देखा जा रहा है। हाल ही में संपन्न हुए पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव में भाजपा को मिली हार के बीच गडकरी का यह बयान अहम माना जा रहा है।

गडकरी के इस बयान ने भी लाया सियासी भूचाल

इससे पहले गडकरी ने पिछले दिनों कहा था, 'सफलता के कई पिता होते हैं, लेकिन असफलता अनाथ होती है। जहां सफलता है वहां श्रेय लेने वालों की होड़ लगी होती है, लेकिन हार में हर कोई एक दूसरे पर उंगली उठाने लगता है।'

केंद्रीय मंत्री ने कहा था कि कि नेतृत्व में हार की जिम्मेदारी लेने की प्रवृत्ति होनी चाहिए। उन्होंने कहा, 'संगठन के प्रति नेतृत्व की वफादारी तब तक साबित नहीं होगी, जब तक वह हार की जिम्मेदारी नहीं लेता।' भाजपा नेता के मुताबिक, राजनीति में किसी राज्य या लोकसभा चुनावों में हार के बाद हारा हुआ कैंडिडेट घबराने लगता है और शिकायत करने लगता है कि उसे पर्याप्त समर्थन नहीं मिला। केंद्रीय मंत्री ने कहा कि एक नेता तभी हारता है जब या तो उसकी पार्टी कहीं चूक रही होती है या वह खुद लोगों का भरोसा जीतने में असफल होता है। गडकरी ने कहा कि हारे हुए प्रत्याशी को उनकी यही सलाह है है कि इसके लिए दूसरों को दोष नहीं देना चाहिए।

बाद में दी सफाई

गडकरी ने अपने बयान पर हंगामा मचने के बाद सफाई भी दी। दरअसल, गडकरी की इस टिप्पणी को मोदी-शाह के नेतृत्व पर सीधे हमले के तौर पर देखा जा रहा है। ऐसे में उन्होंने सफाई देते हुए कहा कि वह बैंकिंग इंडस्ट्री को लेकर बात कर रहे थे। उन्होंने ट्वीट किया, 'पिछले कुछ दिनों से मीडिया का एक वर्ग और विपक्ष मेरे बयानों को तोड़मरोड़ कर पेश कर रहा है। विपक्ष मेरे बयान का गलत संदर्भ में इस्तेमाल कर पार्टी और मेरा नाम बदनाम करने की कोशिश कर रहा है।'

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