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मुख्तार अब्बास नकवी का केजरीवाल पर तंज, कहा- 'करने में जीरो और धरने में हीरो'

उपराज्यपाल के निवास पर दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल पिछले एक सप्ताह से धरने पर बैठे हुए हैं।...
मुख्तार अब्बास नकवी का केजरीवाल पर तंज, कहा- 'करने में जीरो और धरने में हीरो'

उपराज्यपाल के निवास पर दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल पिछले एक सप्ताह से धरने पर बैठे हुए हैं। रविवार को वे और उनके पार्टी नेता पीएम आवास तक मार्च करने का भी प्रयास किए। उनके  इस कदम के लिए जहां कई लोग उनका समर्थन कर रहे हैं वहीं कुछ उनका विरोध भी कर रहे हैं।

समाचार एजेंसी एएनआई के मुताबिक, सोमवार को केंद्रीय मंत्री मुख्तार अब्बास नकवी ने केजरीवाल पर तंज कसते हुए कहा, “करने में जीरो, धरने में हीरो, करना कुछ नहीं धरना सब कुछ। ऐसी उनकी मानसिकता है, वो लोगों के भरोसे को तोड़ रहे हैं जिसे दिल्लीवासियों ने उनपर जताया था।”

केजरीवाल दिल्ली में नौकरशाहों की कथित ‘‘हड़ताल’’ खत्म करवाने के लिए अपने मंत्रिमंडल के सहयोगियों के साथ पिछले सात दिनों से उपराज्यपाल के कार्यालय में धरना पर बैठे हैं। इसे लेकर पश्चिम बंगाल, आंध्रप्रदेश, कर्नाटक और केरल के मुख्यमंत्रियों ने दिल्ली के अपने समकक्ष अरविंद केजरीवाल के प्रति एकजुटता दिखाई है। पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी, आंध्रप्रदेश के मुख्यमंत्री एन चंद्रबाबू नायडू, कर्नाटक के मुख्यमंत्री एच डी कुमारस्वामी और केरल के मुख्यमंत्री पिनरायी विजयन ने केंद्र से तुरंत संकट का समाधान करने को कहा। इसके अलावा झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने भी ‘दिल्ली संकट’ को संविधान का उल्लंघन बताते हुए केजरीवाल को समर्थन दिया।

सीपीआईएम के महासचिव सीताराम येचुरी ने कहा कि संविधान की मौलिक विशेषता संघीय ढांचे को केन्द्र की भाजपा सरकार कमजोर कर रही है जिसकी वे कड़ी निंदा करते हैं। उन्होंने कहा कि केन्द्र की भाजपा सरकार गैर-बीजेपी शासित राज्यों में राज्यपाल और उपराज्यपाल, के कार्यालय का उपयोग लोकतांत्रिक ढंग से निर्वाचित सरकार को अस्थिर करने के लिए कर रही है।

क्या है मामला?

दिल्ली की केजरीवाल सरकार अब आर-पार के मूड में दिखाई दे रही है। केजरीवाल दिल्ली में नौकरशाहों की कथित ‘‘हड़ताल’’ खत्म करवाने के लिए अपने मंत्रिमंडल के सहयोगियों के साथ पिछले सात दिनों से उपराज्यपाल के कार्यालय में धरना पर बैठे हैं। केजरीवाल पिछले चार महीने से सरकार के कामकाज का बहिष्कार करनेवाले अधिकारियों पर कार्रवाई की मांग कर रहे हैं। साथ ही दिल्ली सरकार की डोर टू डोर राशन योजना को मंजूरी देने की बात कह रहे हैं। उपराज्यपाल ने मांगों को मानने से मना कर दिया है जबकि केजरीवाल का कहना है कि मांगे पूरी होने तक वह डटे रहेंगे। उनका कहना है कि अफसरों की हड़ताल के कारण दिल्ली के लोगों के कामों पर असर पड़ रहा है। उपराज्यपाल ने जहां अफसरों में अविश्वास और डर का माहौल होने की बात कही है तो मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने इसे उपराज्यपाल द्वारा प्रायोजित हड़ताल करार दिया है।

ये हैं तीन मांगें

#उपराज्यपाल स्वयं आईएएस अधिकारियों की गैरकानूनी हड़ताल फौरन खत्म कराएं, क्योंकि वो सेवा विभाग के प्रमुख हैं।

 

#काम रोकने वाले आईएएस अधिकारियों के खिलाफ कठोर कार्रवाई करें।

 

#राशन की डोर-स्टेप-डिलीवरी की योजना को मंजूर करें।

क्या कह रहे हैं उपराज्यपाल?

इधर, उपराज्यपाल निवास की ओर से जारी प्रेस विज्ञप्ति में किसी भी तरह के हड़ताल का खंडन किया गया है। राज्यपाल दफ्तर की ओर से कहा गया है कि अफसरों में डर और अविश्वास का माहौल है, जिसे सीएम ही दूर कर सकते हैं। जहां तक डोर स्टेर राशन डिलीवरी की फाइल की बात है तो वह खाद्य मंत्री इमरान हुसैन के पास ही है। उसके लिए केंद्र की मंजूरी जरूरी है जिसके लिए दिल्ली सरकार को ही कदम उठाने हैं। उन्होंने कहा कि अधिकारी बाकायदा दिल्ली सरकार की बैठकों में भाग ले रहे हैं और विरोध के बावजूद अपना काम कुशल तरीके से कर रहे हैं। सरकार की ओर से अफसरों के साथ सकारात्मक बातचीत की कोशिश तक नहीं हुई। आज भी तीन आईएएस अफसरों को विधानसभा से राहत के लिए कोर्ट जाना पड़ा।

क्या है कथित हड़ताल की वजह?

मुख्य सचिव अंशु प्रकाश के साथ मुख्यमंत्री के सरकारी आवास पर कथित मारपीट के बाद आईएएस पिछले करीब चार माह से  कथित तौर पर हड़ताल पर हैं।

 

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