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इन 2 सीटों के बीच फंस गए मिथुन चक्रवर्ती, भाजपा की लिस्ट से नाम गायब, पार्टी को पता चल गई हकीकत?

पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनावों को लेकर सियासी सरगर्मियां तेज है। यहां आठ चरणों में होने वाले विधानसभा...
इन 2 सीटों के बीच फंस गए मिथुन चक्रवर्ती, भाजपा की लिस्ट से नाम गायब, पार्टी को पता चल गई हकीकत?

पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनावों को लेकर सियासी सरगर्मियां तेज है। यहां आठ चरणों में होने वाले विधानसभा चुनाव का आगाज 27 मार्च से होगा। इसके लिए सभी राजनीतिक दलों ने अपने-अपने उम्मीदवारों की घोषणा कर दी है। इसी बीच मंगलवार को बीजेपी ने भी 13 प्रत्याशियों की नई सूची जारी की है, लेकिन इसमें अप्रत्याशित रूप से भाजपा में शामिल हुए दिग्गज अभिनेता मिथुन चक्रवर्ती का नाम नहीं है। इसे मिथुन और उनके प्रशंसकों के लिए बड़ा झटका माना जा रहा है।

पिछले दिनों 7 मार्च को भाजपा में शामिल हुए थे मिथुन चक्रवर्ती को राशबिहारी सीट से टिकट मिलने की उम्मीद लगाई जा रही थी। भाजपा सूत्रों ने भी उन्हें टिकट मिलने के संकेत दिए थे। मिथुन ने कोलकाता के ब्रिगेड परेड मैदान में प्रधानमंत्री मोदी की रैली शुरू होने से पहले पश्चिम बंगाल भाजपा प्रमुख दिलीप घोष, पार्टी उपाध्यक्ष मुकुल रॉय और सुवेंदु अधिकारी की मौजूदगी में भाजपा की सदस्यता ग्रहण की थी। उसके बाद से उनके चुनाव लड़ने के कयास लगाए जा रहे थे, यह भी चर्चा थी की बीजेपी उसे मुख्यमंत्री उम्मीदवार के तौर पर भी पेश कर सकती है।

उनके भाजपा में शामिल होने के बाद से ही उनके समर्थक उन्हें राशबिहारी सीट से टिकट मिलने की उम्मीद लगाए बैठे थे। लेकिन मंगलवार को जारी की गई लिस्ट में भाजपा ने इस सीट से पूर्व लेफ्टिनेंट जनरल सुब्रतो साहा के नाम पर मुहर लगा दी।
इसके अलावा कुछ सूत्रों ने उनके लिए प्रतिष्ठित दक्षिण कोलकाता सीट को रिजर्व रखने के संकेत दिए थे। मिथुन ने भी मुंबई की मतदाता सूची से अपना नाम उत्तर कोलकाता में दर्ज कराया था। ऐसे में अब सिर्फ किन्हीं उम्मीदवारों को बदलकर भले ही पार्टी मिथुन को टिकट दे। यह उम्मीद इसलिए जताई जा रही है क्योंकि भाजपा ने दो सीटों पर प्रत्याशियों को बदला भी है। जाने-माने अर्थशास्त्री अशोक लाहिड़ी अब अलीपुरद्वार की जगह बालुरघाट से चुनाव लड़ेंगे। वहीं, कोलकाता की रासबिहारी सीट से भाजपा ने सेना के पूर्व लेफ्टिनेंट जनरल सुब्रतो साहा (सेवानिवृत्त) को उम्मीदवार बनाया है।


भाजपा ने मिथुन को भले ही टिकट नहीं दिया है, मगर उन्हें स्टार प्रचारक का दर्जा अवश्य दिया है। यही वजह है कि वह 30 मार्च को नंदीग्राम में पार्टी प्रत्याशी सुवेंदु अधिकारी के समर्थन में चुनावी रैली करेंगे। उस रोड शो में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह भी शामिल होंगे। इसी प्रकार मिथुन को अन्य चुनाव रैलियों की जिम्मेदारी भी सौंपी जा सकती है। ऐसे में मिथुन इन चुनाव रैलियों के माध्यम ही अपने समर्थकों से रूबरू हो सकेंगे।

बता दें कि बंगालियों पर मिथुन का गहरा प्रभाव है। 71 वर्षीय मिथुन ने लंबे समय तक बॉलीवुड स्टार होने के अलावा, समानांतर फिल्मों और पॉप आधारित बी-ग्रेड की फिल्मों में अभिनय किया है। वे बंगाल में परोपकारी कार्यों के लिए सम्मान के नजर से देखे जाते हैं। थैलेसीमिया के खिलाफ जागरूकता और रक्त दान अभियान ने उन्हें काफी लोकप्रियता दिलाई है।

मिथुन के भाजपा में शामिल होने के बाद, टीएमसी के वरिष्ठ नेता और ममता के करीबी फिरहाद हाकिम ने कटाक्ष करते हुए कहा, "वे राजनीति में उतने ही बहुमुखी हैं जितना अभिनय में।" मिथुन 1970 के दशक में नक्सल आंदोलन से जुड़े और वाम मोर्चा शासन के दौरान उनके लिए प्रचार किया। ममता के सत्ता में आने के बाद उनके करीब हो गए। 2014 में टीएमसी ने उन्हें राज्यसभा सदस्य भी बनाया।

साल खत्म होते-होते उनका नाम शारदा चिटफंड घोटाले में आ गया और प्रवर्तन निदेशालय ने उन्हें दागी कंपनियों के साथ लेन-देन के मामले में सम्मन जारी कर दिया। उसके बाद उन्होंने 2015 में ईडी को 1.19 करोड़ रुपये लौटा दिए और दिसंबर 2016 में राज्यसभा से इस्तीफा देकर टीएमसी से दूर हो गए।

खुद को कोबरा सांप बताते हुए मिथुन ने तृणमूल पर सीधे कोई हमला नहीं किया। बस इतना कहा, “मैं किसी को दोष नहीं देना चाहता। वह मेरा एक बुरा फैसला था।” अभी तक उन्होंने ममता पर भी सीधा हमला नहीं किया है। बस इतना कहा है कि राज्य में शासन व्यवस्था पूरी तरह से गड़बड़ा गई और उसमें आमूल-चूल बदलाव की जरूरत है।

राजनीति में अनुभव की कमी उनके साक्षात्कारों में साफ दिखती है। वे कई अहम मुद्दों पर जवाब देने से बचते हैं। भाजपा में क्यों गए, इसका भी विशेष कारण नहीं बता सके। यहां तक कि प्रधानमंत्री के उस दावे को भी नहीं समझा सके कि बंगाल को 'सोनार बांग्ला' बनाएंगे। ऐसे में सवाल उठ रहा है कि भाजपा जिस फायदे के लिए उन्हें लेकर आई है, क्या वह उसे दिला पाएंगे। टीएमसी सांसद सौगत रॉय ने मिथुन को खारिज करते हुए कहा, "वे कोई आइकान नहीं हैं।"

हालांकि भाजपा काफी उत्साहित है। पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष दिलीप घोष कहते हैं, “बंगाल का सबसे सफल आदमी बदलाव की बात कर रहा है, तो क्या उनकी बात का असर नहीं होगा?” मिथुन के कोबरा वाले बयान की सोशल मीडिया पर काफी आलोचना हुई। बर्धवान जिल में टीएमसी का एक पोस्टर लगा है, जिसमें लिखा है, “घर में कॉर्बोलिक एसिड जरूर रखें, एक जहरीला सांप घूम रहा है।” हालांकि मिथुन कहते हैं, “पिक्चर अभी बाकी है।”

 

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