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जितने चाहे केस कर लें, संघ की विचारधारा से लड़ता रहूंगा: राहुल

कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी ने आज गुवाहाटी में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) की विचारधारा की निंदा करते हुए कहा कि इस तरह के संगठन भारत का विभाजन कराना चाहते हैं। राहुल ने कहा कि उन पर चाहे जितने केस हो जाएं वे आरएसएस की विचारधारा के खिलाफ लड़ते रहेेंगे।
जितने चाहे केस कर लें, संघ की विचारधारा से लड़ता रहूंगा: राहुल

एक संघ पदाधिकारी द्वारा दायर आपराधिक मानहानि के एक मामले में राहुल आज गुवाहाटी की एक अदालत में पेश हुए जिसने उन्हें निजी बॉंड पर राहत दे दी। पेशी के बाद राहुल ने संघ पर हमला बोलते हुए कहा कि इस तरह के संगठन भारत का विभाजन कराना चाहते हैं। कांग्रेस उपाध्यक्ष ने कहा कि वे इस तरह के मामले दर्ज किए जाने से परेशान नहीं होंगे। राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री तरूण गोगोई और काफी संख्या में कांग्रेस समर्थकों की मौजूदगी में राहुल ने कहा, मैं देश की एकजुटता और देश के लोगों के बीच प्रेम और स्नेह के पक्ष में हूं। उन्होंने कहा, ये लोग (आरएसएस) चाहते हैं कि मैं किसानों के लिए न लड़ूं, लेकिन मैं ऐसा नहीं कर सकता। ये मेरे डीएनए में है। ये मेरे भीतर है। मैं डरता नहीं हूं। मुझे डिगाया नहीं जा सकता। मैं खुश हूं, उन्हें जितने चाहें उतने मामले दर्ज कराने दीजिए। कांग्रेस नेता ने कहा कि वे देश की एकजुटता के लिए खड़े हैं और वे संघ तथा ऐसे सभी संगठनों की विचारधारा के खिलाफ हैं जो भारत को विभाजित करना चाहते हैं और देश हित के लिए नुकसानदायक हैं।

कांग्रेस उपाध्यक्ष ने दावा किया कि इस तरह के मामले उन्हें उनकी उत्तर प्रदेश यात्रा के पथ से डिगाने और परेशान करने के लिए दायर किए जा रहे हैं। राहुल ने कहा, मेरे खिलाफ जितने भी मामले दर्ज किए जाएंगे, मैं उतना ही आगे बढ़ूंगा और गरीब किसानों, समाज के कमजोर तबकों, मजदूरों और बेरोजगार युवकों की मदद के लिए संघर्ष करूंगा। मेरा उद्देश्य उनकी मदद करना है। सरकार पर सिर्फ दस पंद्रह लोगों की बेहतरी के लिए काम करने का आरोप लगाते हुए उन्होंने कहा, अच्छे दिन सिर्फ उन लोगों के लिए आए हैं जबकि किसान, मजदूर और बेराजगार युवक अभी भी दुखी हैं। आरएसएस के एक विभाग संचालक अंजन बोरा ने राहुल के खिलाफ एक आपराधिक अवमानना मामला दायर करते हुए कहा है कि राहुल ने यह कहकर आरएसएस की छवि को नुकसान पहुंचाया है कि आरएसएस के लोगों ने उन्हें गत 12 दिसंबर 2015 को असम के 16वीं सदी के एक वैष्णव मठ बारपेटा सत्र में घुसने नहीं दिया।

 

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