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कांग्रेस की शर्तें स्वीकार होते ही पास हो जाएगा जीएसटी: राहुल

कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी ने कहा है कि सरकार जैसे ही कांग्रेस द्वारा रखी गई शर्तों को स्वीकार करती है उनकी पार्टी संसद में जीएसटी विधेयक का समर्थन करेगी। राहुल ने आज मुंबई में कहा कि महज 15 मिनट में यह विधेयक पारित हो जाएगा। यह टेबल पर आमने-सामने बैठकर किया जा सकता है, लेकिन सरकार इस पर विचार नहीं कर रही है।
कांग्रेस की शर्तें स्वीकार होते ही पास हो जाएगा जीएसटी: राहुल

मुंबई के नरसी मोंजी इंस्टीट्यूट में प्रबंधन की पढ़ाई कर रहे छात्रों के साथ बातचीत में राहुल ने कहा, जीएसटी पर सरकार के साथ समझौता संभव है। उन्होंने स्पष्ट तौर पर कहा, सरकार जिस दिन हमारी शर्तें मान लेती है, हम जीएसटी पारित करा देंगे। इसमें महज 15 मिनट लगेंगे। जीएसटी क्रियान्वयन में अड़चनों के बारे में पूछे जाने पर गांधी ने कहा, यह कांग्रेस पार्टी ही थी जो जीएसटी विधेयक लेकर आई। तब भाजपा ने संसद में सात वर्षों तक इसे लटकाए रखा। तब जेटली ने इसे पारित नहीं होने दिया। गुजरात के मुख्यमंत्री के तौर पर नरेंद्र मोदी ने भी जीएसटी पारित नहीं होने दिया। उन्होंने कहा, हम एक ऐसा जीएसटी नहीं चाहते जहां करों की कोई सीमा न हो। हम लगने वाले कर की अधिकतम सीमा वहां चाहते हैं। साथ ही विवाद का समाधान भी निष्पक्ष और निरपेक्ष होना आवश्यक है। मुझे नहीं लगता कि यह कहना किसी तरह से गलत है।

कांग्रेस उपाध्यक्ष ने वित्त मंत्री अरुण जेटली को आड़े हाथों लेते हुए कहा, जेटलीजी के मुझे यह नहीं बताना चाहिए कि जीएसटी अच्छा है। मुझे पता है कि यह अच्छा है। जेटली ने पूर्व में ब्रिटेन में एक इंटरव्यू में कहा था कि संसद को ठप करना भाजपा की रणनीति थी। संसद ठप करना कांग्रेस की रणनीति नहीं है। 

कृषि संकट और कम बारिश के चलते समस्या झेल रहे किसानों की मदद में सरकार की भूमिका के बारे में पूछे जाने पर गांधी ने कहा, हमने कृषि अर्थव्यवस्था से ज्ञान आधारित अर्थव्यवस्था और उद्योग अर्थव्यवस्था की तरफ धीरे-धीरे रुख किया है। उन्हेंने कहा, संप्रग के शासनकाल में हमें मनरेगा को लेकर आलोचना झेलनी पड़ी और लोगों ने कहा कि हम यह क्यों कर रहे हैं। कृषि न केवल किसानों के लिए, बल्कि उद्योग के लिए भी एक समस्या है। जब हम सरकार में थे तो किसानों की मदद करने की हमारी एक रणनीति थी। कृषि उतार-चढ़ाव भरा क्षेत्र बन चुका है। एक राष्ट्र के तौर पर हमें इस क्षेत्र का सहयोग करना चाहिए। हम किसानों को न्यूनतम समर्थन मूल्य देने को लेकर पक्के थे। दुर्भाग्य से मौजूदा सरकार अपने ध्यान से भटक गई है। वे किसानों और कृषि पर उतना अधिक ध्यान नहीं दे रहे हैं।

 

 

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