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बिहार में जदयू के सामने दो सीटों के बूते भाजपा से 25 सीटें पाने की चुनौती

अगले साल लोकसभा चुनाव में बिहार में एनडीए के घटक दल मैदान में उतरेंगे तो यह तय हो गया है कि मुख्यमंत्री...
बिहार में जदयू के सामने दो सीटों के बूते भाजपा से 25 सीटें पाने की चुनौती

अगले साल लोकसभा चुनाव में बिहार में एनडीए के घटक दल मैदान में उतरेंगे तो यह तय हो गया है कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार गठबंधन का चेहरा होंगे। मगर सीट बंटवारा कैसे होगा इस पर एक बड़ा सवाल खड़ा होने लगा है। राज्य की 40 सीटों में 32 पर एनडीए का कब्जा है। इनमें जदयू की दो सीटें भी हैं जो उसने 2014 में एनडीए के खिलाफ लड़कर हासिल की थी। 2019 के लोकसभा चुनाव में सीटों का बंटवारा कैसे होगा इस पर कोई खुलकर नहीं बोल रहा है पर जैसे संकेत हैं उससे जदयू ज्यादा से ज्यादा सीटें हासिल करने के लिए दबाव बनाने की कोशिश कर रही है। एक आकलन यह है कि जदयू को बाकी बची आठ सीटें दे दी जाए और भाजपा अपने कोटे की कुछ सीटें भी छोड़ दे।

दोनों दलों के बीच सीटों के बंटवारे का मामला तब उठा जब रविवार को जदयू नेता अजय आलोक ने कहा कि सीट शेयरिंग को लेकर उनकी पार्टी में कोई कन्फ्यूजन नहीं है। उन्होंने याद दिलाया कि हम अब तक 25 सीटों पर चुनाव लड़ रहे थे और भाजपा 15 सीटों पर लेकिन अब अन्य सहयोगी पार्टियां भी हमसे जुड़ गई हैं। तो अब सीट शेयरिंग को लेकर वरिष्ठ नेता फैसला करेंगे। 2009 में जदयू ने 25 सीटों पर चुनाव लड़कर 20 और भाजपा ने 15 सीटों पर चुनाव लड़कर 12 सीटें जीतीं थी।

समाचार एजेंसी एनएनआइ के अनुसार सीटों के बंटवारे को लेकर राज्य के उपमुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी ने कहा कि जब दिल मिल गए हैं तो सीट कौन सी बड़ी चीज है। कौन कितनी सीटों पर लड़ेगा या नहीं लड़ेगा ये सारा जिस दिन बैठेंगे उस दिन तय हो जाएगा।  जब मोदी से पूछा गया कि क्या 2019 में नीतीश कुमार एनडीए के चेहरा होंगे तो उन्होंने कहा कि देश के पीएम नरेंद्र मोदी हैं लेकिन बिहार के नेता तो नीतीश कुमार हैं। इसलिए बिहार में जो वोट मिलेगा वह नरेंद्र मोदी के नाम पर और नीतीश कुमार के काम पर मिलेगा। इसमें विरोधाभास कहां है।

दूसरी ओर जदयू नेता पवन वर्मा ने कहा कि अभी इस मुद्दे पर कोई औपचारिक वार्ता नहीं हुई है। उन्होंने कहा कि भाजपा एनडीए की सबसे बड़ी पार्टी है और वह सहयोगी दलों के पारस्परिक सम्मान और समझ को ध्यान में रखते हुए फैसला लेगी। उन्होंने कहा कि गठबंधन के सहयोगियों के बीच सीटों के तालमेल को लेकर चर्चा होते रहनी चाहिए। लेकिन इस बात का ध्यान दिया जाना चाहिए बिहार में जदयू सीनियर पार्टनर है नीतीश कुमार आज एनडीए के मुख्यमंत्री हैं।

2014 में हुए लोकसभा चुनाव में भाजपा, लोजपा और रालोसपा ने साथ मिलकर चुनाव लड़ा था। भाजपा ने 30 में से 22 सीटें जीतीं थी, लोजपा सात में से छह उम्मीदवार और रालोसपा के तीनों प्रत्याशी जीते थे। दूसरी ओर, जदयू ने सभी 40 सीटों पर चुनाव लड़ा था और दो पर सफलता हासिल की थी। राज्य की अन्य सीटों में राजद के खाते में चार, कांग्रेस के खाते में दो और एनसीपी के खाते में एक सीट आई थी।

अगर वोट प्रतिशत की बात करें तो जदयू समेत राजग के खाते में 2014 में करीब 54 फीसदी वोट पड़े थे। राजद, कांग्रेस और एनसीपी को कुल वोटों का क़रीब 30 फीसदी हिस्सा हासिल हुआ था। ऐसे में राजद की कोशिश होगी कि 2019 में इस वोट शेयर को बरकरार रखा जाए ताकि अधिक से अधिक सीटें हासिल की जा सकें। 

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