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जेएनयू छात्रसंघ: लेफ्ट का दबदबा लेकिन एबीवीपी की वापसी

जवाहरलाल नेहरू यूनिवर्सिटी छात्र संघ चुनाव में वामपंथियों का दबदबा इस बार भी कायम रहा है। पहली बार अध्‍यक्ष पद पर सीपीआई समर्थित ऑल इंडिया स्‍टूडेंट्स फेडरेशन (एआईएसएफ) का उम्‍मीदवार जीता है लेकिन 14 साल बाद अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (एबीवीपी) भी जेएनयूएसयू सेंट्रल पैनल में वापसी करने में कामयाब रही। दिल्‍ली यूनिवर्सिटी छात्रसंघ चुनाव में सभी सीटों पर जीतने वाली एबीवीपी के लिए यह एक बड़ी सफलता है। हालांकि, जेएनयू अभी भी लेफ्ट का गढ़ है लेकिन एबीवीपी का असर बढ़ रहा है।
जेएनयू छात्रसंघ: लेफ्ट का दबदबा लेकिन एबीवीपी की वापसी

पिछले दो चुनाव में भारी जीत हासिल करने वाली सीपीआई (माले) समर्थित ऑल इंडिया स्टूडेंट्स एसोसिएशन (आईसा) 67 मतों के अंतर से अध्यक्ष पद का चुनाव हार गई लेकिन उसकी झोली में उपाध्यक्ष और महासचिव के दो पद आए हैं। भाजपा समर्थित अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (एबीवीपी) ने 14 साल के अंतराल के बाद जेएनयू छात्रसंघ के सेंट्रल पैनल में वापसी की है और आईसा के प्रत्याशी को 27 मतों से हराकर संयुक्त सचिव का पद हासिल किया है। एबीवीपी केंद्रीय पैनल की चार सीटों में से उपाध्यक्ष और महासचिव की दो सीटों पर दूसरे स्थान पर रही। इससे जेएनयू में एबीवीपी के बढ़ते असर का अंदाजा लगाया जा सकता है। 

जेएनयू छात्रसंघ चुनाव के सीईसी प्रवीण थपलियाल ने बताया, अध्यक्ष पद का चुनाव जीतने वाले एआईएसएफ के कन्हैया कुमार को कुल 1029 मत मिले और उन्होंने आईसा के विजय कुमार को 67 मतों से पराजित किया। उपाध्यक्ष और महासचिव पद पर आईसा प्रत्याशी शेहला राशिद शोरा और रमा नागा को क्रमश: 1,387 और 1,159 मत मिले और उन्होंने एबीवीपी के प्रत्याशी वेलंटीना ब्रह्मा और देवेंद्र सिंह राजपूत को हराया। संयुक्त सचिव पद पर जीतने वाले एबीवीपी के सौरभ कुमार शर्मा ने आईसा के हामिद रजा को मात्र 27 मतों से पराजित किया। इस बार अध्‍यक्ष पद पर एआईएसएफ की जीत काफी अप्रत्‍याशित रही। माना जा रहा है कि एआईएसएफ ने वामपंथी मतों के विभाजन और अपने छोटे संगठन के बावजूद समर्पित कार्यकताओं के बूते विज्ञान संकायों में अच्‍छे वोट हासिल किए। इन चुनावों में कैडर आधारित वोटिंग के बजाय बेहतर उम्‍मीदवार को वोट देने का रुझान भी देखने को मिला है। 

2001 में एबीवीपी के संदीप महापात्रा ने महज एक वोट से जेएनयू छात्रसंघ अध्यक्ष का चुनाव जीता थे, लेकिन तब से केंद्रीय पैनल में एबीवीपी का खाता नहीं खुल पाया। पिछले दो साल से आईसा सभी चारों सीटों पर जीत दर्ज करती आ रही थी। लेकिन इस बार वह सिर्फ दो सीटें बचाने में कामयाब रही। प्रेसिडेंसियल डिबेट में अपना लोहा मनवाने वाले एआईएसएफ के कन्हैया कुमार ने कहा था, छात्रों को आईसा से निराशा हुई है, क्योंकि उसने अपने वादों को पूरा नहीं किया है। जेएनयूएसयू के विभिन्न संकायों से ताल्लुक रखने वाले 31 पाषर्दों को भी निर्वाचित किया गया। गत 11 सितंबर को हुए छात्रसंघ चुनाव में 53 प्रतिशत छात्रों ने अपने मताधिकार का प्रयोग किया। केंद्रीय पैनल के लिए कुल 22 उम्मीदवारों ने अपने भाग्य आजमाया और 83 छात्रा पार्षद की दौड़ में शामिल थे।

जेएनयू छात्रसंघ के नवनिर्वाचित अध्‍यक्ष कन्‍हैया कुमार ने कहा, हम देश में भगवाकरण के खिलाफ है। अगर जेएनयू में ऐसा हुआ तो इसके खिलाफ मजबूती से लड़ेंगे। हम एफटीआईआई छात्राें के समर्थन में हैं जो अपने परिसर में भगवाकरण का विरोध कर रहे हैं। एबीवीपी के विजयी उम्मीदवार सौरभ कुमार शर्मा ने कहा, हमारी जीत हमारे कार्यकर्ताओं की कड़ी मेहनत का नतीजा है। इस समय हमारा वोट प्रतिशत काफी ज्यादा रहा। यह दिखाता है कि छात्रा वामपंथी राजनीति की निष्कि्रयता से निराश हैं। 

 

- एजेंसी इनुपट  

 

 

 

 

 

 

 

 

 

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