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हिमाचलः भाजपा की लहर, पर सीएम कैंडिडेट धूमल हार की अाेर

68 सदस्यीय हिमाचल प्रदेश विधानसभा चुनाव के अब तक जो रूझान और नतीजे आए हैं उसकी संभावना पहले से ही जताई जा...
हिमाचलः भाजपा की लहर, पर सीएम कैंडिडेट धूमल हार की अाेर

68 सदस्यीय हिमाचल प्रदेश विधानसभा चुनाव के अब तक जो रूझान और नतीजे आए हैं उसकी संभावना पहले से ही जताई जा रही थी। पांच साल बाद भाजपा प्रदेश की सत्ता में वापसी कर रही है। चुनाव आयोग के मुताबिक तीन सीटें भाजपा जीत चुकी है और 40 पर आगे चल रही है। कांग्रेस 21 सीटों पर सिमटती दिख रही है। भ्‍ााजपा की लहर के बावजूद उसके मुख्यमंत्री उम्मीदवार प्रेम कुमार ध्‍ाूमल चुनाव हारते दिख रहे हैं।

चुनाव आयोग के मुताबिक कांग्रेस के राजिंदर राणा से धूमल करीब तीन हजार वोटों से पीछे चल रहे हैं। धूमल को 18,559 और राणा को 21,492 वोट मिले थे। धूमल पहले हमीरपुर सीट से चुनाव लड़ते थे। लेकिन इस चुनाव में उन्होंने अपनी परंपरागत सीट हमीरपुर छोड़कर सुजानपुर से चुनाव लड़ने का फैसला किया था। धूमल पहली बार 1998 में प्रदेश के मुख्यमंत्री बने थे और 2003 तक इस पद रहे थे। ‌फिर दुबारा वह 2007 से 2012 तक राज्य के मुख्यमंत्री रहे। वह पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष की जिम्मेदारी भी संभाल चुके हैं।

ठियोग का लाल सलाम

कांग्रेस की परंपरागत सीट ठियोग से सीपीएम उम्मीदवार राकेश सिंघा की जीत भी चौंकाने वाली है। उन्हें 24,791 और उनके निकटतम प्रतिद्वंद्वी भाजपा के राकेश वर्मा 22,808 वोट मिले हैं। 9101 वोट के साथ कांग्रेस के दीपक राठौर तीसरे नंबर पर रहे। सिंघा की जीत से हिमाचल विधानसभा में 24 साल बाद वामपंथ का प्रवेश हुआ है। आखिरी बार 1993 के चुनाव में जब विधानसभा में सीपीएम का इकलौता विधायक पहुंचा था तो वो भी राकेश सिंघा ही थे। उस वक्त उन्होंने शिमला सीट से जीत हासिल की थी। 1956 में शिमला के कोटगढ़ इलाके में एक किसान परिवार में पैदा हुए सिंघा हिमाचल में वामपंथ का चेहरा माने जाते हैं।

ठियोग चुनाव के दौरान काफी चर्चा में रहा थ्‍ाा। शिमला से 30 किलोमीटर दूर इस सीट का कांग्रेस की दिग्गज नेता विद्या स्टोक्स प्रतिनिधित्व करती रही हैं। इस बार उन्होंने वीरभद्र सिंह के लिए सीट छोड़ते हुए चुनाव नहीं लड़ने का फैसला किया। बाद में वीरभद्र ने अर्की से चुनाव लड़ने का फैसला किया तो विद्या ने फिर ठियोग से लड़ने का मन बना लिया। तब तक कांग्रेस इस सीट से दीपक राठौर को उम्मीदवार घोषित कर चुकी थी। स्टोक्स ने नामांकन के अंतिम दिन अपना पर्चा दाखिल किया। राठौर ने भी पार्टी का आधिकारिक पत्र देकर पर्चा भरा। स्टोक्स का नामांकन खारिज होने के बाद राठौर कांग्रेस प्रत्याशी बने।  

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