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विधानसभा की जोर-आजमाइश में बुजुर्ग नेता

भारतीय जनता पार्टी में जहां 75 साल से ज्यादा की उम्र वाले नेताओं को राजनीति से रिटायर करने की बात प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और पार्टी अध्यक्ष अमित शाह कर चुके हैं, वहीं इस बार के विधानसभा चुनाव में कई राज्यों में विभिन्न पार्टियों के वयोवृद्ध नेता मैदान में उतर रहे हैं। वाममोर्चा और कांग्रेस में कई उम्मीदवार ऐसे हैं, जो 80 साल से ज्यादा की उम्र के हैं। केरल से माकपा के वयोवृद्ध नेता वीएस अच्युतानंदन मैदान में हैं, जो 92 साल के हैं। बंगाल वाममोर्चा के कई ऐसे नेता हैं, जो 75 पार कर चुके हैं। पूर्व मुख्यमंत्री ज्योति बसु 90 साल से ज्यादा की उम्र तक राजनीति में सक्रिय रहे। दोनों राज्यों में कांग्रेस के भी कई नेता ऐसे हैं, जो उम्र के आठवें पड़ाव में पहुंच चुके हैं।
विधानसभा की जोर-आजमाइश में बुजुर्ग नेता

माकपा ने वीएस अच्युतानंदन के साथ ही पार्टी में उनके घोर विरोधी माने जा रहे 71 साल के पी विजयन को भी मैदान में उतरने की इजाजत दे दी। केरल से चुनाव लड़ रहे केरल कांग्रेस (एम) के नेता केएम मणि 83 साल के हैं। केरल में तो भाजपा ने भी अपने वयोवृद्ध नेता 86 साल के ओ राजागोपाल को मैदान में उतारा है। बंगाल में वाममोर्चा ने दो हिस्सों में 200 उम्मीदवारों के नाम घोषित किए हैं। इनमें 130 नए और युवा चेहरे हैं। 70 बुजुर्ग नेता हैं। इनमें अधिकांश वाममोर्चा के पूर्व मंत्री हैं।

पूर्व वित्त मंत्री असीम दासगुप्त अपनी खड़दह सीट से चुनाव लड़ रहे हैं। पूर्व अल्पसंख्यक विकास मंत्री अब्दुस सत्तार अपनी पुरानी आमडांगा सीट से मैदान में हैं। दोनों उम्र के सात दशक पार कर चुके हैं। हैवीवेट सुजन चक्रवर्ती यादवपुर से हैं। बुजुर्ग नेताओं में शुमार राजारहाट-गोपालपुर से उम्मीदवार नेपालदेव भट्टाचार्य, पूर्व मंत्री देवेश दास, आएसपी के सुभाष नस्कर, फारवर्ड ब्लॉक के परेश अधिकारी, आरएसपी के बुजुर्ग नेता विश्वनाथ चौधरी, पुलिनबिहारी बास्के, पीडीएस के नेता समीर पुततुंडु अपनी सीटों पर जोर-आजमाइश की तैयारी में जुटे हैं। 

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