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आप से गठबंधन पर कांग्रेस में फिर नहीं बनी सहमति, पार्टी ने अंतिम फैसला राहुल गांधी पर छोड़ा

राजधानी दिल्ली में लोकसभा चुनावों में आम आदमी पार्टी और कांग्रेस के गठबंधन को लेकर चल रही सभी अटकलों...
आप से गठबंधन पर कांग्रेस में फिर नहीं बनी सहमति, पार्टी ने अंतिम फैसला राहुल गांधी पर छोड़ा

राजधानी दिल्ली में लोकसभा चुनावों में आम आदमी पार्टी और कांग्रेस के गठबंधन को लेकर चल रही सभी अटकलों पर सोमवार को विराम लग सकता है। आज दिल्ली में राहुल गांधी की अगुआई में हो रही बैठक में गठबंधन को लेकर बातचीत जारी है। गठबंधन को लेकर अंतिम फैसला राहुल गांधी पर छोड़ दिया गया है। कांग्रेस पहले से ही गठबंधन को लेकर दो धड़ों में बंटी हुई है। एक गुट गठबंधन के पक्ष में है, तो वहीं दूसरा गुट आप के साथ किसी भी गठबंधन से इनकार कर रहा है।

राजधानी में कांग्रेस व ‘आप’ के बीच लोकसभा चुनावों के मद्देनजर गठबंधन की लगभग खत्म हो चुकी उम्मीद के बीच आज एक बार फिर से बातचीत की हवा तेज हो गई है। यही कारण है कि कांग्रेसी नेता ‘आप’ के खिलाफ या गठबंधन को लेकर कोई भी टिप्पणी करने से बच रहे हैं। वहीं, दूसरी तरफ आम आदमी पार्टी के नेता अपने प्रचार में लग गए हैं।

'दिल्ली की सातों सीटों पर चुनाव लड़ना है या...'

आम चुनावों की घोषणा हुए दो सप्ताह से ज्यादा बीत जाने के बाद भी पार्टी अपनी रणनीति तय नहीं कर सकी है। पार्टी के नेताओं को अभी यह नहीं पता है कि दिल्ली की सातों सीटों पर चुनाव लड़ना है या गठबंधन के बाद तीन या चार सीट पर। इसके चलते दिल्ली प्रदेश कार्यालय में भी चुनावी गतिविधियां ठप सी पड़ी हुई हैं। सोमवार को (आज) इस संबंध में कोई अंतिम फैसला हो सकता है। 

कांग्रेस महासचिव और दिल्ली प्रभारी पीसी चाको का कहना है कि राहुल गांधी शाम को फैसला कर सकते हैं कि बीजेपी को दिल्ली में रोकने के लिए 'आप' से गठबंधन होगा या नहीं। उन्होंने कहा, 'इस मुद्दे पर चर्चा के लिए मैं राहुल गांधी से सोमवार शाम को मिल रहा हूं। शाम तक यह जानकारी मिल जाएगी कि हम अकेले लड़ेंगे या 'आप' के साथ।'

'आप' से गठबंधन हो या नहीं, मैं चांदनी चौक से ही चुनाव लडूंगा

पूर्व केंद्रीय मंत्री एवं कांग्रेस नेता कपिल सिब्बल द्वारा अचानक चांदनी चौक लोकसभा क्षेत्र से अपनी दावेदारी ठोकने के बाद गठबंधन के कयसों को बल मिला है। दोनों ही पार्टियां गठबंधन को लेकर समय-समय पर एक दूसरे पर विरोधाभासी बयान देती रहीं, लेकिन पिछले तीन-चार महीने के बीच कई बार घटनाक्रम ऐसे हुए हैं कि लगा गठबंधन अंतिम चरण में है। कई बार तो ऐसा लगा कि गठबंधन की चर्चा अब समाप्त हो गई है, लेकिन कपिल सिब्बल की चांदनी चौक से दावेदारी से गठबंधन को फिर बल मिला है।

इतना ही नहीं बिहार में कांग्रेस के महागठबंधन का हिस्सा बनने से भी राजधानी में आप और कांग्रेस के गठबंधन के कयास तेज हो गए हैं। कपिल सिब्बल ने हाल ही कहा था कि 'आप' से गठबंधन हो या नहीं, वह चांदनी चौक से ही चुनाव लड़ेंगे। जिस प्रकार उन्होंने चांदनी चौक से दावेदारी की है उसे इस बात को बल मिला है कि अंदरखाने कहीं न कहीं कांग्रेसी नेता गठबंधन करने के प्रयास तेज कर रहे हैं। यह भी तय है कि सिब्बल चांदनी चौक से बिना गठबंधन के लड़ते हैं तो वे किसी भी हालत में जीतने की स्थिति में नहीं है।

हाईकमान के निर्णय का विरोध नहीं कर पाएगा

प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष शीला दीक्षित व उनके साथी भले ही गठबंधन का विरोध कर रहे हैं लेकिन यह तय है कि हाईकमान के निर्णय का कोई भी विरोध नहीं कर पाएगा। हाल ही में शीला ने यह स्पष्ट कर दिया था कि जो भी निर्णय हाईकमान लेगा हम उसके साथ हैं। इतना ही नहीं विपक्ष के कई नेता आप की तरफदारी में कांग्रेस को गठबंधन करने के लिए मनाने में लगे हुए हैं।

आज की बैठक में गठबंधन पर हो सकता है फैसला

कांग्रेस और आप के बीच गठबंधन का फैसला सोमवार को होने वाली कांग्रेस कार्यसमिति की बैठक में हो सकता है। यह तय है क‌ि जिस प्रकार राहुल गांधी विपक्षी नेताओं के संपर्क में हैं, ऐसे में वह अंतिम समय में आप से गठबंधन को हरी झंडी दे सकते हैं।

पीसी चाको गठबंधन के पक्ष में

इसी कड़ी में प्रदेश कांग्रेस प्रभारी पीसी चाको भी गठबंधन के पक्ष में हैं। शीला दीक्षित गुट के कड़े विरोध के बावजूद उन्होंने आशा नहीं छोड़ी और बार-बार गठबंधन करने की वकालत कर रहे हैं। उनका भी कहना है क‌ि वे जल्द ही कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी से मुलाकात करेंगे। उनको आशा है कि राहुल गांधी भाजपा को हराने के लिए आप से गठबंधन को मंजूरी दे देंगे।

2014 में ऐसा था हाल 

 बता दें कि भाजपा को पिछले लोकसभा चुनाव (2014) में 46.39 फीसदी मत मिले थे, जबकि कांग्रेस को 15.2 फीसद और आप को 33.1 फीसद मत हासिल हुए थे। यदि आप व कांग्रेस के बीच गठबंधन होता है और दोनों पिछला प्रदर्शन दोहराने में कामयाब होती हैं तो निश्चित रूप से भाजपा के विजय रथ की राह मुश्किल हो जाएगी। इस स्थिति से पार पाने के लिए भाजपा को अपना जनाधार बढ़ाना होगा।

 

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