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हर दस साल पर तय होगा राजनीतिक दलों का दर्जा

केंद्रीय चुनाव आयोग ने राजनीतिक दलों के दर्जे की समीक्षा करने के नियमों में बदलाव किया है। नए नियमों के तहत आयोग अब पांच साल के बजाय हर दस साल पर राजनीतिक दलों की राष्ट्रीय और राज्य स्तरीय मान्यता की समीक्षा करेगा।
हर दस साल पर तय होगा राजनीतिक दलों का दर्जा

केंद्रीय निर्वाचन आयोग ने सोमवार को नियमों में बदलाव किए जिससे अब पांच के बजाय हर दस साल पर दलों की राष्ट्रीय व राज्य स्तर की मान्यता की समीक्षा की जाएगी। आयोग ने सोमवार को जारी अपनी अधिसूचना में कहा कि किसी दल को राष्ट्रीय या राज्य स्तरीय घोषित करने के आधार में कोई परिवर्तन नहीं होगा। नए नियमों के तहत अब राजनीतिक दलों का प्रदर्शन किसी एक विधानसभा या लोकसभा चुनाव में प्रदर्शन से नहीं बल्कि ऐसे दो चुनावों के आधार पर तय किया जाएगा। ऐसे में आयोग दलों के दर्जे की समीक्षा हर दस साल पर करेगा। आयोग ने चुनाव चिन्ह संबंधित आदेश, 1968 के पैराग्राफ 6सी में तत्काल प्रभाव से बदलाव किया है। पिछली बार इसे वर्ष 2011 में संशोधित किया गया था। नियमों में किए गए बदलाव से यह सुनिश्चित होगा कि सत्तारूढ़ दल केवल एंटी-इंकंबेंसी की वजह से हर चुनाव के बाद अपना दर्जा न खो दे। वर्तमान में भाजपा, बसपा, कांग्रेस, राकांपा, भाकपा और भाकपा माले छह मान्यता प्राप्त राजनीतिक दल हैं। इसी तरह देश भर में राज्य स्तर पर भी 64 मान्यता प्राप्त दल हैं।

नए नियम से बसपा, राकांपा, भाकपा जैसे दलों की मुसीबतें बढ़ सकती हैं। दरअसल बसपा, भाकपा और राकांपा 2014 के लोकसभा चुनावों में करारी हार के बाद अपना राष्ट्रीय दर्जा खो सकती हैं। इस मुद्दे पर चुनाव आयोग ने इन तीनों दलों को वर्ष 2014 में ही नोटिस जारी किया था। किसी राजनीतिक दल के राष्ट्रीय या राज्य स्तर में मान्यता पाने का अर्थ होता है कि उसका चुनाव चिन्ह पूरे भारत में किसी अन्य दल के द्वारा इस्तेमाल नहीं होता। राष्ट्रीय दलों को अपने पार्टी कार्यालय बनाने के लिए सरकार से जमीन का आवंटन भी मिलता है। चुनाव के दौरान एक राष्ट्रीय दल के अधिकतम 40 स्टार प्रचारक हो सकते हैं। अन्य दलों को अधिकतम 20 स्टार प्रचारक इस्तेमाल करने का अधिकार है। राजनीतिक दल को राष्ट्रीय पार्टी का दर्जा तब मिलता है जब वह लोकसभा चुनाव में कम से कम तीन राज्यों में दो फीसदी वोट हासिल करती है या लोकसभा या विधानसभा चुनाव में कम से कम चार राज्यों में कुल वैध मतों का छह फीसदी वोट हासिल करे जिसके जरिये उसे कम से कम चार लोकसभा सीटें मिली हों।

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