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मध्‍य प्रदेश में हार के बाद राकेश सिंह ने की अध्यक्ष पद से इस्तीफे की पेशकश, शाह ने किया नामंजूर

भाजपा का गढ़ माने जाने वाले मध्‍य प्रदेश में करीब 15 साल तक राज करने के बाद विधानसभा चुनाव में सत्‍ता...
मध्‍य प्रदेश में हार के बाद राकेश सिंह ने की अध्यक्ष पद से इस्तीफे की पेशकश, शाह ने किया नामंजूर

भाजपा का गढ़ माने जाने वाले मध्‍य प्रदेश में करीब 15 साल तक राज करने के बाद विधानसभा चुनाव में सत्‍ता से बेदखल होते ही पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष राकेश सिंह ने इस्तीफा दे दिया है। बताया जा रहा है कि सिंह ने पार्टी के राष्‍ट्रीय अध्‍यक्ष अमित शाह को पत्र भेजकर इस्‍तीफा दे दिया है।

न्यूज़ एजेंसी एएनआई के मुताबिक, पार्टी अध्यक्ष राकेश सिंह ने प्रदेश में हार की जिम्‍मेदारी अपने ऊपर लेते हुए पार्टी अध्यक्ष को अपना इस्तीफा भेजा है। हालांकि पार्टी अध्यक्ष अमित शाह ने प्रदेश अध्यक्ष राकेश सिंह का इस्तीफा स्वीकार नहीं किया।

इससे पहले हार की जिम्मेदारी लेते हुए शिवराज सिंह ने इस्तीफा दिया

इससे पहले बुधवार को मुख्‍यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने इस हार के लिए जिम्‍मेदारी लेते हुए सीएम पद से इस्‍तीफा दे दिया था। उस समय राकेश सिंह ने कुछ भी नहीं कहा था। हालांकि बाद में राकेश सिंह ने ट्वीट कर कहा था, 'यह शिवराज जी का बड़प्पन है कि वह पार्टी की हार की जिम्मेदारी ले रहे हैं, लेकिन बीजेपी में हर जिम्मेदारी सामूहिक होती है। अगर कोई कमी रही है, तो वह हम सभी की कमी है। उसे दूर करके हम लोकसभा चुनाव में पहले से अच्छा प्रदर्शन करेंगे।'

8 महीने पहले ही सिंह को प्रदेश अध्यक्ष बनाया गया था

विधानसभा चुनाव से करीब 8 महीने पहले खंडवा लोकसभा सीट से सांसद नंदकुमार सिंह चौहान को हटाकर राकेश सिंह को बीजेपी का प्रदेश अध्यक्ष बनाया गया था। वह अमित शाह की पसंद बताए गए थे। राकेश जबलपुर से तीसरी बार सांसद चुने गए हैं। वह लोकसभा में पार्टी के सचेतक थे।

सूत्रों का कहना है कि राकेश सिंह को शीर्ष नेतृत्व की नाराजगी का अहसास है। इसी वजह से उन्होंने दिल्ली में गुरूवार को होने वाली बैठक से पहले अपना इस्तीफा अमित शाह को भेज दिया है।

भाजपा के राष्ट्रीय पदाधिकारियों की बैठक आज

गुरुवार को दिल्ली में भाजपा के राष्ट्रीय पदाधिकारियों की बैठक हो सकती है। इसमें तीनों राज्यों में मिली हार की समीक्षा होगी। मप्र की भाजपा इकाई केंद्रीय नेतृत्व से नेता प्रतिपक्ष के नाम की चर्चा कर सकती है। बताया जा रहा है कि संगठन लोकसभा चुनाव तक शिवराज को ही इस भूमिका में रख सकता है।

ये है जनादेश

230 सीटों में से कांग्रेस 114 सीटों पर जीत दर्ज कर सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी है। वहीं पिछले 15 सालों से सत्तारूढ़ बीजेपी को 109 सीटें मिली है। सूबे में सरकार बनाने के लिए 116 सीटों की जरूरत है। हालांकि मध्य प्रदेश के सियासी समीकरण में किंगमेकर की भूमिका में मायावती की पार्टी बीएसपी और समाजवादी पार्टी के विधायक हैं। वहीं निर्दलीय की भूमिका भी यहां अहम है बीएसपी ने दो, समाजवादी पार्टी ने एक और निर्दलीय ने चार सीटों पर कामयाबी पाई है।

भाजपा भी लगा रही थी गणित?

इस बीच बीजेपी ने सरकार बनाने का दावा किया था। मध्य प्रदेश बीजेपी के अध्यक्ष राकेश सिंह ने देर रात ट्वीट कर कहा था, 'प्रदेश में कांग्रेस को जनादेश नहीं है। कई निर्दलीय और अन्य बीजेपी के संपर्क में हैं। कल राज्यपाल महोदया से मिलेंगे।' लेकिन शिवराज के ऐलान के बाद कांग्रेस के लिए सरकार बनाने का रास्ता साफ हो गया है।

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