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शरद पवार और प्रशांत किशोर मिलकर कर रहे हैं बड़ी तैयारी ?, सोनिया की जगह ले सकते हैं मराठा क्षत्रप

प्रशांत किशोर और शरद पवार के बीच शुक्रवार को करीब चार घंटे की लंबी मुलाकात चली, जिसके बाद राजनीतिक...
शरद पवार और प्रशांत किशोर मिलकर कर रहे हैं बड़ी तैयारी ?, सोनिया की जगह ले सकते हैं मराठा क्षत्रप

प्रशांत किशोर और शरद पवार के बीच शुक्रवार को करीब चार घंटे की लंबी मुलाकात चली, जिसके बाद राजनीतिक गलियारों में कई तरह के कयास और अटकलें लगाई जा रही है। दरअसल, पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव के बाद चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर ने अपने काम से ब्रेक ले लिया था। लेकिन, राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) प्रमुख शरद पवार से उनका अचनाक मिलना कई संकेत दे रहे हैं। 

राजनीतिक अटकले हैं कि प्रशांत किशोर एनसीपी के साथ बतौर राजनीतिक रणनीतिकार के रूप में अपनी दूसरी पारी की शुरूआत कर सकते हैं। वहीं, दूसरी तरफ अगले लोकसभा चुनाव में एनसीपी अध्यक्ष शरद पवार को विपक्ष का चेहरा बनाने की भी चर्चा है। बंगाल चुनाव के बाद पवार ने ममता को फोन कर बधाई दी थी और लगातार पवार विभिन्न क्षेत्रीय और राष्ट्रीय विपक्षी दलों के साथ तालमेल बैठाने में जुटे हुए हैं।

मुख्य विपक्षी दल कांग्रेस की अध्यक्ष अपने खराब सेहत की वजह से राजनीति में उतनी सक्रिय नजर नहीं आ रही हैं। 2024 में पीएम नरेंद्र मोदी के सामने विपक्ष का चेहरा कौन होगा इसे लेकर विपक्षी दलों के बीच अब चर्चा जोरो पर है। इस बीच प्रशांत किशोर और शरद पवार के कल की मुलाकात अहम मानी जा रही है। 

प्रशांत किशोर अब तक नरेंद्र मोदी, जगन मोहन रेड्डी, कैप्टन अमरिंदर सिंह, ममता बनर्जी और उद्धव ठाकरे की पार्टी के लिए बतौर चुनावी रणनीतिकार काम कर चुके हैं। बंगाल चुनाव में भी किशोर ने दावा किया था कि भाजपा डबल अंक से आगे नहीं बढ़ पाएगी और हुआ भी यही। भाजपा विधानसभा चुनाव परिणाम में 77 सीट पाने में हीं कामयाब हो पाई, जबकि पार्टी ने दो सौ से अधिक सीट जीतने का दावा किया था।

महाराष्ट्र में इस वक्त अघाड़ी सरकार है, जिसमें एनसीपी और कांग्रेस के साथ मिलकर शिवसेना सरकार चला रही है। शिवसेना प्रवक्ता और सांसद संजय राउत ने कुछ दिन पहले कहा था कि राष्ट्रीय स्तर पर विपक्षी दलों के गठबंधन के गठन के लिए बातचीत शुरू होगी।

हालांकि, प्रशांत किशोर और शरद पवार के मुलाकात पर डिप्टी सीएम अजित पवार ने कहा है, “प्रशांत किशोर ने कहा है कि वे किसी चुनाव में हिस्सा नहीं लेंगे। वे पवार साहब से अपने कुछ अनुभव साझा करने आए होंगे या फिर उनका कुछ और काम होगा। अब उन्होंने रणनीतिकार का काम छोड़ दिया है। इसलिए ये चर्चाएं आधारहीन है।“

 

 

 

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