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नीतीश कुमार का चुनावी अभियान ‘बढ़ चला बिहार’

'बहुत हुआ जुमलों का वार, फिर एक बार नीतीश कुमार’, 'आगे बढ़ता रहे बिहार, फिर एक बार नीतीश कुमार’ कुछ ऐसे ही नारे लिखे पोस्टरों से बिहार की राजधानी पटना अटा पड़ा है। पटना की सडक़ों पर बड़े-बड़े होर्डिंग देखकर ऐसा लगता है मानों राज्य में और किसी सियासी दल का कोई वजूद नहीं है। राजनीतिक दलों के पार्टी कार्यालयों को छोड़ दें तो चौराहों या सार्वजनिक स्थलों पर दूसरे दलों के होर्डिंग न के बराबर दिखेंगे। यहां तक कि सडक़ों पर चल रहे ऑटो रिक्शा‍ पर भी मुख्य‍मंत्री नीतीश कुमार की मुस्कुराती तस्वीरों वाले पोस्टर चिपके मिलेंगे।
नीतीश कुमार का चुनावी अभियान ‘बढ़ चला बिहार’

 नीतीश कुमार के इस आक्रामक प्रचार तंत्र से विरोधियों को भी आलोचना का भरपूर मौका मिल रहा है। भाजपा के वरिष्ठ नेता सुशील मोदी का आरोप है कि दूसरे दलों को प्रचार के लिए जगह ही नहीं दी जा रही है। मोदी कहते हैं, 'ऐसा कभी नहीं हुआ। विज्ञापन एजेंसियों को किसी और का प्रचार करने से रोका जा रहा है। लोगों को डराया-धमकाया जा रहा है कि अगर किसी और का प्रचार किया तो ठीक नहीं होगा।’ सुशील मोदी तो यहां तक कहते हैं कि लालू यादव जब सत्‍त में थे तब भी लोगों में इतना खौफ नहीं था जितना आज है। भाजपा ने विज्ञापन एजेंसियों को जो पैसा दिया था वह भी एजेंसियों ने लौटा दिया।

आरोप अपनी जगह, हकीकत यही है कि प्रचार के मामले में नीतीश कुमार ने सबको पीछे छोड़ दिया है। नीतीश के प्रचार की शैली ठीक वैसी ही है जैसी लोकसभा चुनाव के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की थी। तब देश के हर प्रमुख शहर मोदी की होर्डिंग से पटे थे। प्रचार के लिए निकली गाडिय़ां भी मोदीमय थीं। इस बार बारी नीतीश की है। मोदी की प्रचार टीम के प्रमुख रहे प्रशांत किशोर अब नीतीश के खेमे में हैं और उनकी प्रचार टीम के प्रमुख हैं। प्रशांत किशोर करीब 400 लोगों की टीम के साथ काम कर रहे हैं। शैली वैसी ही है जैसी लोकसभा चुनाव के दौरान नरेंद्र मोदी की थी। बदला है तो केवल कार्यक्रमों का नाम और कुछ नारे। लोग भूले नहीं होंगे लोकसभा चुनाव में 'हर-हर मोदी, घर-घर मोदी’ और 'अबकी बार, मोदी सरकार’ के नारे। यह ऐसे नारे थे जो लोगों की जुबान पर चढ़ गए थे।

इसी तर्ज पर 'हर घर दस्तक’ नीतीश कुमार के प्रचार अभियान का प्रमुख हिस्सा है। टीवी, म्यू‍जिक सिस्टम, माइक्रोफोन और स्पीकर से लैस गाडिय़ां नीतीश कुमार की उपलब्धियों का बखान करने के लिए तैयार हैं। प्रचार अभियान से जुड़े एक वालंटियर के मुताबिक होर्डिंग, बैनर से आम आदमी अब प्रभावित होने वाला नहीं है। इसलिए 'हर घर दस्तक’ अभियान की शुरूआत की गई है। इस अभियान का प्रमुख उद्देश्य यही है कि जहां तक संभव हो सके नीतीश कुमार स्वयं लोगों से मिलें। नहीं तो, पार्टी के मंत्री और विधायक लोगों से मिलकर सरकार की उपलब्धियों का बखान करें। बिहार का विकास हुआ है इसके लिए चाय पर चर्चा की तर्ज पर परचे पर चर्चा, बिहार विकास संवाद जैसे कार्यक्रम शुरू किए गए हैं ताकि लोगों की जुबान पर चढ़ सके कि बिहार में विकास नीतीश कुमार की देन है। नीतीश सरकार में मंत्री श्याम रजक के मुताबिक अभी तो यह शुरूआत है। आने वाले दिनों में बिहार के हर शहर, कस्बों में इस तरह के होर्डिंग नजर आएंगे। रजक कहते हैं कि हम मुख्य‍मंत्री पद का उम्मी‍दवार घोषित कर चुनाव लड़ रहे हैं, इसलिए हमारे प्रचार का तो मतलब है लेकिन बाकियों के लिए इसका कोई मतलब नहीं है।


दूसरी ओर, भाजपा भले ही प्रचार में पिछड़ रही हो लेकिन अब उसने योजनाबद्ध तरीके से प्रचार की रणनीति बनानी शुरू कर दी है। पार्टी का 'मिशन 185’ है और इसके लिए प्रचार से ज्यादा कार्यकर्ताओं को जोडऩे पर जोर दिया जा रहा है। इसलिए हर विधानसभा क्षेत्र में 500 से अधिक सभाएं करने का निर्णय लिया गया है। बिहार चुनाव के प्रभारी और केंद्रीय मंत्री अनंत कुमार के मुताबिक पार्टी के 500 प्रचार रथ जिलों का दौरा करेंगे और सभी पंचायतों में एक रात गुजार कर वहां जनसंपर्क अभियान चलाएंगी। नीतीश कुमार के 'हर घर दस्तक’ अभियान के मुकाबले भाजपा का हर पंचायत में एक रात गुजारने का अभियान है। भाजपा के एक पदाधिकारी के मुताबिक पार्टी कार्यकर्ताओं के अलावा राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ का नेटवर्क भी प्रचार में जुटेगा और 'हर बूथ-दस यूथ’ के नारे के साथ प्रचार अभियान चलाएगा। अनंत कुमार के मुताबिक पहली बार बिहार में पार्टी ने एक नया फार्मूला इजाद किया है। वह फार्मूला यह है कि हर मतदान भवन पर 21 लोगों की कमेटी होगी जो कि मतदाताओं को वोट देने के लिए प्रोत्साहित करेगी। भाजपा प्रचार के अलावा संगठन को मजबूत करने पर जोर दे रही है। इसलिए 'चटाई बिछाओ - बूथ बनाओ’ कार्यक्रम के जरिये कार्यकताओं को और गतिशील करने की तैयारी कर रही है। सुशील मोदी कहते हैं, नीतीश कुमार ने प्रचार की जो रणनीति अपनाई है उससे बिहार का भला होने वाला नहीं है। मोदी के मुताबिक नीतीश को सत्ता से बेदखल कर भाजपा कार्यकर्ता उनके प्रचार तंत्र की पोल खोलेंगे।

लेकिन भाजपा के सामने बड़ा संकट यह है कि प्रदेश के किसी नेता का चेहरा सामने नहीं होगा। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ही भाजपा के पोस्टर पर प्रमुखता से छाए रहेंगे। इसलिए पार्टी ने नरेंद्र मोदी सरकार की उपलद्ब्रिधयों को ही बिहार में दिखाने का फैसला किया है। हर प्रचार रथ में एचडी टीवी लगा होगा जिसमें 20 मिनट की एक फिल्म के जरिये मोदी सरकार उपलब्धियों का बखान होगा। भाजपा के विरोधी दल इस पर चुटकी लेते हैं। राजद सांसद जयप्रकाश यादव कहते हैं कि हमने तो नेता चुन लिया लेकिन भाजपा में घमासान है। अभी से भाजपा के सहयोगी दल मुख्य‍मंत्री पद को लेकर खींचतान कर रहे हैं तो चुनाव तक क्या‍ होगा।


जो भी हो सियासी दलों के प्रचार ने चुनावी बुखार बढ़ा दिया है। नीतीश कुमार के नेतृत्व में जदयू, राष्ट्रीय जनता दल एवं कांग्रेस के महागठबंधन ने प्रचार की जो रणनीति तैयार की है वह केवल विकास की गाथा तक सीमित नहीं है। बल्कि मोबाइल, फोन एवं सोशल मीडिया के जरिए युवाओं को जोडऩे का भी अभियान चला रही है। इस अभियान के तहत सोशल मीडिया के जरिये विरोधी दलों की पोल तो खोली ही जाती है साथ ही उपलब्धियों का भी बखान किया जा रहा है। जदयू, राजद और कांग्रेस का अभियान अपने-अपने से तरीके से हो रहा है।

बिहार प्रदेश युवा कांग्रेस के सोशल मीडिया के संयोजक शम्स‍ शाहनबाज बताते हैं कि कांग्रेस का प्रचार तंत्र राष्ट्रीय स्तर पर निर्धारित होता है और उसी के आधार पर अभियान चलाया जाता है। शाहनबाज के मुताबिक बिहार चुनाव को लेकर पार्टी अपनी रणनीति तैयार कर रही है और कुछ दिनों में प्रचार अभियान शुरू कर दिया जाएगा। वहीं भाजपा, रालोसपा, लोजपा और हिन्दुस्तानी अवाम मोर्चा के महागठबंधन का अभियान नीतीश-लालू मुक्त‍ बिहार है। लोजपा अध्यक्ष और केंद्रीय मंत्री रामविलास पासवान कहते हैं कि जब हम गठबंधन कर चुनाव लड़ रहे हैं तो हमारा प्रचार अभियान भी सामूहिक होगा।  जो भी हो, बिहार में अब चुनाव प्रचार रंग पकड़ता जा रहा है। नीतीश कुमार के 'बढ़ चला बिहार’ के जवाब में भाजपा का 'अपराध, भष्ट्राचार और अहंकार, क्या‍ इसी गठबंधन से बढ़ेगा बिहार’ का नारा कितना सफल हो पाता है यह तो आने वाला समय ही बताएगा।

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