Advertisement

RJD में महाभारत: आखिर जगदानंद सिंह लालू के इतने खास क्यों, पार्टी के लिए बेटे-परिवार के खिलाफ जाने के पीछे की ये है इनसाइड स्टोरी

बीते दो हफ्ते से तेज प्रताप यादव राष्ट्रीय जनता दल (राजद) पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष जगदानंद सिंह के...
RJD में महाभारत: आखिर जगदानंद सिंह लालू के इतने खास क्यों, पार्टी के लिए बेटे-परिवार के खिलाफ जाने के पीछे की ये है इनसाइड स्टोरी

बीते दो हफ्ते से तेज प्रताप यादव राष्ट्रीय जनता दल (राजद) पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष जगदानंद सिंह के खिलाफ आक्रामक बयानबाजी और बगावती तेवर अख्तियार करते हुए कई गंभीर आरोप लगा रहे हैं। जिसके बाद शुक्रवार को राज्य के पूर्व उपमुख्यमंत्री और महागठबंधन चेहरे तेजस्वी यादव ने अपने बड़े भाई तेज प्रताप को अनुशान में रहने की नसीहत दे डाली। तेजस्वी ने कहा कि बड़ों का लिहाज करें और पार्टी अनुशासन में रहकर ही बयान दें।

ये भी पढ़ें- तेज प्रताप की 'हरकत' से तेजस्वी नाराज! तेज प्रताप को अनुशासन में रहने की नसीहत, माता-पिता के संस्कार दिलाए याद

ये भी पढ़ें- RJD में वर्चस्व की लड़ाई और तेज!, "जगदानन्द सिंह या तेज प्रताप यादव", किसे चुनेंगे लालू

ये भी पढ़ें- RJD में टूट, दोनों भाईयों में वर्चस्व की लड़ाई पार्टी तक पहुंची, अब क्या करेंगे तेजस्वी?, चिराग पर भी नहीं डाल सकें डोरे; जानें- इनसाइड स्टोरी

दरअसल, जिस व्यक्ति के खिलाफ लालू यादव के बड़े बेटे और राज्य के पूर्व स्वास्थ्य मंत्री तेज प्रताप ने महाभारत छेड़ रखा है। उन पर पार्टी संविधान का उल्लंघन करते हुए पहले से नियुक्त छात्र राजद प्रदेश अध्यक्ष पद से आकाश यादव को हटाकर गगन कुमार को पद पर स्थापित करने के आरोप लगाए हैं। वो लालू के बेहद करीबी माने जाते हैं। जबकि, जगदानंद सिंह का कहना है कि आकाश को किसने पद पर नियुक्त किया था, किसके पास ये अधिकार है। मैंने तो नहीं किया था। सीधे तौर पर आरजेडी के भीतर वर्चस्व की लड़ाई निकलकर सामने आ रही है। तेज प्रताप यादव तो जगदानंद सिंह के खिलाफ मुकदमा करने और कोर्ट जाने तक की बात कह चुके हैं। उन्होंने कहा था कि यदि राजद सुप्रीमो और पिता लालू यादव सिंह के खिलाफ कार्रवाई नहीं करते हैं तो वो कोर्ट जाएंगे।

अब सवाल उठ रहे हैं कि लालू यादव की तरफ से इस मामले में अब तक कोई प्रतिक्रिया क्यों नहीं आई है। दरअसल, जगदानंद सिंह लालू यादव के बेहद करीबी और खास माने जाते हैं। सिंह पार्टी की तरफ से चुनाव लड़ते हुए अपने बेटे तक को हरा चुके हैं। उनके बेटे ने बीजेपी के टिकट से सिंह के खिलाफ चुनाव लड़ा था। जिसमें सिंह परिवार और बेटे के खिलाफ जाते हुए चुनाव में जीत दर्ज की थी। 2010 के विधानसभा में सिंह ने अपने बेटे सुधाकर सिंह के खिलाफ जीत दर्ज की थी।

पिछले दिनों जगदानंद सिंह पर आरोप लगाते हुए तेज प्रताप ने यहां तक कहा था कि ये पार्टी के खिलाफ काम करते हैं। इनके बेटे ने पार्टी झंडा का अपमान करने और जलाने का काम किया है। इस पर प्रतिक्रिया देते हुए सिंह ने कहा कि यदि वो परिवार को पहले रखते तो फिर अपने बेटे के खिलाफ चुनाव नहीं लड़ते। उनके लिए पार्टी सबसे पहले है।

जगदानंद सिंह लालू यादव सरकार में मंत्री, पांच बार से अधिक विधायक और सांसद भी रह चुके हैं। वो अगड़ी जाति के चेहरे माने जाते हैं। क्योंकि, राजद पार्टी पर ये आरोप लगते रहे हैं कि वो पिछड़ी जाति पर आधारित राजनीति करते हैं। वहीं, जब लालू यादव चारा घोटाले मामले में जेल गए थे, उस दौरान भी जगदानंद सिंह ने पार्टी का नेतृत्व बेहतर तरीके से निभाया था। यही वजहें मानी जा रही है कि अब तेजस्वी यादव ने भी तेज प्रताप को नसीहत दी है। वहीं, जगदानंद सिंह के फैसले में तेजस्वी की भी हामी मानी जा रही है। 

तेजस्वी यादव और तेज प्रताप यादव के बीच वर्चस्व की लड़ाई के मद्देनजर भी इस छिड़े महाभारत को देखा जा रहा है। क्योंकि, तेज प्रताप यादव ने लगातार पार्टी के खिलाफ मोर्चा खोल रखा है। छात्र राजद की बैठक के दिन कार्यालय के बाहर लगे पोस्टर से तेजस्वी की तस्वीर गायब दिखी थी, जबकि तेज प्रताप थे। ये भी देखा जा रहा है कि तेजस्वी यादव बिहार विधानसभा चुनाव के दौरान तेज प्रताप यादव और अन्य संबंधियों से दूरी बनाए हुए थे। इसके पीछे की एक वजह ये मानी गई कि चूंकि, राजद पर लालू के जंगलराज का आरोप लगता रहा है और तेज प्रताप अपने बयानबाजी को लेकर विवादों में आ जाते हैं। यही देखते हुए तेजस्वी ने काफी संभलकर राजनीतिक रणनीति तैयार की थी। जिसका परिणाम मिला कि पार्टी को 110 सीटें मिली और राजद सबसे अधिक 75 सीटों के साथ बड़ी पार्टी बनकर उभरी।

अब आप हिंदी आउटलुक अपने मोबाइल पर भी पढ़ सकते हैं। डाउनलोड करें आउटलुक हिंदी एप गूगल प्ले स्टोर या एपल स्टोर से
Advertisement
Advertisement
Advertisement
  Close Ad