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पुलिसिया हत्याओं के जिंदा साक्ष्य

आंध्र प्रदेश में पुलिस द्वारा २० लोगों की हत्या और तेलंगाना में पांच लोगों की हिरासत में मौत ने एक बार फिर इस क्षेत्र में कानून के रक्षकों द्वारा ठंडे द‌िमाग हत्याएं करने की पुराने तरीके को जिंदा किया है।
पुलिसिया हत्याओं के जिंदा साक्ष्य

इस पूरे क्षेत्र में नक्सल आंदोलन के दमन के ल‌िए विशेष प्र‌शिक्षत कुख्यात दस्ते ग्रे हाउंड द्वारा इस तरह की हत्याओं का लंबा दौर चला है। आंध्र प्रदेश और तेलंगाना पुलिस ने जिस तरह से सुनियोजित ढंग से ये हत्याएं की हैं, उससे ये आशंका जताई जा रही हैं कि आने वाले दिनों में राज्य की हिंसा और बढ़ने जा रही है।

इन दोनों ही वारदातों में खुलकर तमाम नियमों का उल्लंघन हुआ और जो ताजा फोटो सामने आए हैं, वे अपने आप में इस बात का प्रमाण है कि ये हत्याएं सुनियोजित थी। तेलंगाना में सिमी के पांच गिरफ्तार किए कार्यकर्ताओं को जिस तरह से पुलसि वैन में तथाकथित इनकाउंटर में मारा दिखाया गया, उसकी पोल खोलने वाली फोटो सामने आई, जिसमें मारे गए आरोपियों के हाथ हथकड़ी में बंद दिखाई दिए। इसी तरह से आंध्र प्रदेश में २० गरीब मजदूरों की हत्या पर राजनीतिक हंगामा बढ़ता जा रहा है। इन बीस मजदूरों में से सात मजदूरों के माथे पर गोली मारी गई है। बाकी को भी इतने करीब से मारी है कि वहां की चनड़ी जल गई है, उधड़ गई है। तथ्य सामने आ रहे हैं कि ये कोई मुठभेड़ नहीं थी, सोचे-समझे ढंग से की गई हत्याएं थीं।

 आंध्रप्रदेश में यह मुठभेड चित्तूर जिले के तिरुपति के निकट तथाकथित 20 चंदन तस्करों की हत्या को लेकर राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग ने आंध्रप्रदेश के मुख्य सचिव और पुलिस महानिदेशक को नोटिस जारी किया है। राज्य के पुलिस महानिदेशक जेवी रामुडू का यह कहना है कि गोली चलानी पुलिस की मजबूरी थी। हालांकि वह यह नहीं बता पाए कि यह कैसी मजबूरी थी। मारे गए मजदूरों के पास से जो कटी हुई लकड़ी के लट्ठे बरामद दिखाए गए हैं, वे भी पहले के कटे हुए हैं और कई में तो नंबर भी डले हुए बताए जाते हैं। इन हत्याओं के पीछे चंदन के तस्करों से पर्याप्त वसूली न हो पाना और इस इलाकों को कॉरपोरेट के हवाले करने की योजना बताई जाती है।

तेलंगाना में मारे गए पु‌लिवाले की हत्या के आरोपी पांचों गिरफ्तार युवकों को पु‌लिसवाले को मारने के प्रतिशोध में मारा गया। इन दोनों वारदातों पर दोनों राज्यों में राजनीत‌ि गरम होगी और इस पर बचाव करना दोनों राज्य सरकारों को मुश्किल पड़ना चाहिए। हालांकि यहां राज्य मशीनरी द्वारा इस तरह की हत्याओं की पुरानी परंपरा रही है और नया निजाम उसी का अनुसरण करता नजर आ रहा है। 

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