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बसपा में बगावत, मायावती की कार्यशैली को लेकर उठे सवाल

उत्तर प्रदेश में बहुजन समाज पार्टी में शुरू हुआ बगावत का सिलसिला अब महाराष्ट्र, राजस्‍थान में भी पहुंच गया। महाराष्ट्र में बसपा अध्यक्ष मायावती की कार्यशैली से असंतुष्ट राज्य के आधे से ज्यादा पदाधिकारियों और कार्यकर्ताओं ने पार्टी छोड़ दी है।
बसपा में बगावत, मायावती की कार्यशैली को लेकर उठे सवाल

पार्टी छोड़ने वाले कार्यकर्ताओं ने बसपा के संस्‍थापक सदस्य डॉ. सुरेश माने के नेतृत्व में ‘बहुजन रिपब्लिकन सोशलिस्ट पार्टी’ नाम से एक नए दल का गठन किया है। डॉ. माने कई साल तक बसपा के राष्ट्रीय महासचिव और कई राज्यों के प्रभारी के तौर पर काम कर चुके हैं। माने का ही प्रयास रहा कि कई राज्यों में बसपा का खाता भी खुला था लेकिन पिछले कुछ समय से वह मायावती की कार्यशैली से नाखुश बताए जा रहे थे।

डॉ. माने ने बताया कि आगामी सितंबर महीने में मुंबई में नवगठित पार्टी की रैली होगी उसके बाद अक्टूबर में नागपुर में तीन दिवसीय अधिवेशन होगा जिसमें आगे की रणनीति तैयार की जाएगी। डॉ. माने का कहना है कि जिस उद्देश्य से बसपा का गठन हुआ था, उन उद्देश्यों से पार्टी भटक गई है। कुछ ऐसा ही आरोप राजस्‍थान में भी बसपा के कार्यकर्ताओं ने लगाकर पार्टी छोड़ दी।

पार्टी छोड़ने वाले कार्यकर्ताओं ने मायावती की कार्यशैली से नाराज होकर यह कदम उठाया है। इस्तीफा देने वाले बसपा के पूर्व प्रदेश प्रवक्ता सुरेन्द्र लांबा का कहना है कि मायावती प्रदेश में पार्टी मामलों में पांच साल से दिलचस्पी नहीं ले रही हैं। पार्टी अब बहुजन के लिये नहीं, बल्कि बहुधन के लिये काम कर रही है।

गौरतलब है कि इससे पहले उत्तर प्रदेश में भी बसपा के कई नेताओं ने पार्टी छोड़कर ‘बहुजन संघर्ष पार्टी’ का गठन किया था। जिसमें प्रदेश के पूर्व कैबिनेट मंत्री दद्दू प्रसाद और कांशीराम के भाई दलबारा सिंह के अलावा कई लोग शामिल थे। बसपा में उठे बगावत के स्वर को पार्टी के कई नेता कोई खतरा नहीं मानते। बसपा नेताओं का कहना है की पार्टी अपने उद्देश्यों से बिल्कुल नहीं भटकी है। जो लोग पार्टी छोड़ रहे हैं उनका अपना निजी स्वार्थ है।

दरअसल बसपा में यह परंपरा रही है कि किसी भी चुनाव से पहले ही प्रभारी बनाकर उम्मीदवारों की घोषणा कर दी जाती है। ऐसे में टिकट पाने की आस लगाए कई उम्मीदवार दूसरे दलों में अपना भविष्य तलाशते हैं। बसपा नेता के मुताबिक मायावती की इसी कार्यशैली को लेकर कई बार कार्यकर्ता असंतुष्ट भी हो जाते हैं। लेकिन इससे पार्टी पर किसी प्रकार का दबाव नहीं है। 

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