यात्रा चलती जा रही है और यात्री जुड़ते जा रहे हैं, इस सफर में राहुल गांधी कितने बदलते हैं, उनके सोच-समझ में कितना परिष्कार होता है और लोगों में वे कैसी छवि बना पाते हैं, इसकी परीक्षा जल्दी ही होगी, यकीनन 2024 के आम चुनावों में
कुछ लोग अपने हुनर, जिजीविषा और प्रतिबद्धता से जीते जी मिसाल बन चुके हैं, उनकी जिंदगी की तहों में झांकना एक वृद्ध होते समाज के लिए प्रेरणादायक हो सकता है
अगले लोकसभा चुनावों की तैयारी में विपक्ष ने अपनी गोटियां सहेजनी शुरू की हैं तो भाजपा ने भी उन नए क्षेत्रों पर फोकस किया है जो उसके लिए अलंघ्य रहे हैं लेकिन भविष्य में सियासत की तस्वीर मैदानी स्थिति पर निर्भर है, कागजी आंकड़े पर नहीं
आज चरम मौसमी घटनाओं, जैसे ग्लेशियरों के पिघलने, बादल फटने, सूनामी आने, बिजली गिरने, ऋतु-चक्र बदलने, वायरसों के प्रकोप और प्राणियों की असमय मौत में कुदरत के इस प्रतिशोध को हम रोज ही देख रहे हैं
आजादी के बाद बीते साढ़े सात दशक के दौरान हिंदी सिनेमा देश के राजनीतिक-सामाजिक सफर का हमकदम रहा है, उसकी दास्तां में इस देश का अक्स दिखता है, इतिहास, उत्थान-पतन और तकनीक से हासिल सहूलियतों पर एक नजर